Page 57 - NIS Hindi 01-15 July 2022
P. 57
राष्ट्र प्रधनामंत्री का बलॉग
कली जरूित होतली थली। रे पाउिि जुटाने का इंतजाम घि के हम
ैं
बच्चों का था। मां हमें चूलहे से ननकलली िाख, एक कटोिली औि मां कहिरी ह- अपना शररीर हमेशा
एक महलीन सा कपड़ा दे देतली थीं। नफि हम लोग उस कटोिली के अच्ा रिना, िुद को स्वस्थ रिना
मुंह पि वो कपड़ा कस के बांधकि 5-6 चुटकली िाख उस पि क्ोंवक शररीर अच्ा रहगा, िभरी िुम
े
िख देते थे। नफि धलीिे-धलीिे हम कपड़े पि िखली उस िाख को
िगड़ते थे। ऐसा किने पि िाख के जो सबसे महलीन कण होते थे, अच्ा काम भरी कर पाओगे।
वो कटोिली में नलीचे जमा होते जाते थे। मां हम लोगों को हमेशा
कहतली थीं नक “अपना काम अचछे से किना। िाख के मोटे दानों कभली इसे बोझ नहीं माना। जैसे मैं महलीनों-महलीनों के नलए खाने
कली वजह से बच्चों को कोई नदककत नहीं होनली चानहए”। में नमक छोड़ देता था। कई बाि ऐसा होता था नक मैं हफतों-
ऐसली हली मुझे एक औि बात राद आ िहली है, नजसमें मां कली हफतों अन्न तराग देता था, नसफ्फ दूध हली पलीरा किता था। कभली
ममता भली थली औि सूझबूझ भली। दिअसल एक बाि नपताजली को तर कि लेता था नक अब 6 महलीने तक मली्ठा नहीं खाऊंगा। सदती
ं
एक धानमयाक अनुष्ठान किवाना था। इसके नलए हम सभली को के नदनों में, मैं खुले में सोता था, नहाने के नलए मटके के ्ठिे
नमयादा जली के तट पि नकसली ट्थान पि जाना था। भलीषण गमती के पानली से नहारा किता था। मैं अपनली पिलीक्ा ट्वरं हली ले िहा था।
नदन थे इसनलए वहां जाने के नलए हम लोग सुबह-सुबह हली घि मां मेिे मनोभावों को समझ िहली थीं। वो कोई नजद नहीं कितली
से ननकल नलए थे। किलीब तलीन-साढ़े तलीन घंटे का सफि िहा थीं। वो रहली कहतली थीं- ्ठलीक है भाई, जैसा तुमहािा मन किे।
होगा। हम जहां बस से उतिे, वहां से आगे का िाट्ता पैदल हली मां को आभास हो िहा था नक मैं कुछ अलग हली नदशा में जा
जाना था। लेनकन गमती इतनली जरादा थली नक जमलीन से जैसे आग िहा हूं। मुझे राद है, एक बाि हमािे घि के पास नगिली महादेव
ननकल िहली हो। इसनलए हम लोग नमयादा जली नकनािे पि पानली मंनदि में एक महातमा जली आए हुए थे। वो हाथ में जवाि उगा कि
में पैि िखकि चलने लगे थे। नदली में इस तिह चलना आसान तपट्रा कि िहे थे। मैं बड़े मन से उनकली सेवा में जुटा हुआ था।
नहीं होता। कुछ हली देि में हम बच्चे बुिली तिह थक गए। जोि कली उसली दौिान मेिली मौसली कली शादली पड़ गई थली। परिवाि में सबको
भूख भली लगली थली। मां हम सभली कली स्ट्थनत देख िहली थीं, समझ वहां जाने का बहुत मन था। मामा के घि जाना था, मां कली बहन
िहली थीं। मां ने नपताजली को कहा नक थोड़ली देि के नलए बलीच में कली शादली थली, इसनलए मां भली बहुत उतसाह में थीं। सब अपनली
रहीं रुक जाते हैं। मां ने नपताजली को तुिंत आसपास कहीं से तैरािली में जुटे थे लेनकन मैंने मां के पास जाकि कहा नक मैं मौसली
गुड़ खिलीदकि लाने को कहा। नपताजली दौड़े हुए गए औि गुड़ कली शादली में नहीं जाना चाहता। मां ने वजह पूछली तो मैंने उनहें
खिलीदकि लाए। मैं तब बच्चा था लेनकन गुड़ खाने के बाद पानली महातमा जली वालली बात बताई।
पलीते हली जैसे शिलीि में नई ऊजाया आ गई। हम सभली नफि चल मां को दुख जरूि हुआ नक मैं उनकली बहन कली शादली में नहीं
पड़े। उस गमती में पूजा के नलए उस तिह ननकलना, मां कली वो जा िहा, लेनकन उनहोंने मेिे मन का आदि नकरा। वो रहली बोलीं
समझदािली, नपताजली का तुिंत गुड़ खिलीदकि लाना, मुझे आज भली नक ्ठलीक है, जैसा तुमहािा मन किे, वैसा हली किो। लेनकन उनहें
एक-एक पल अचछली तिह राद है। इस बात कली नचंता थली नक मैं अकेले घि में िहूंगा कैसे? मुझे
दूसिों कली इचछा का सममान किने कली भावना, दूसिों पि तकललीफ ना हो इसनलए वो मेिे नलए 4-5 नदन का सूखा खाना
अपनली इचछा ना थोपने कली भावना, मैंने मां में बचपन से हली देखली बनाकि घि में िख गई थीं।
है। खासतौि पि मुझे लेकि वो बहुत धरान िखतली थीं नक वो मेिे मैंने जब घि छोड़ने का फैसला कि नलरा, तो उसे भली मां
औि मेिे ननणयारों को बलीच कभली दलीवाि ना बनें। उनसे मुझे हमेशा कई नदन पहले हली समझ गई थीं। मैं मां-नपताजली से बात-बात में
प्रोतसाहन हली नमला। बचपन से वो मेिे मन में एक अलग हली कहता हली िहता था नक मेिा मन किता है नक बाहि जाकि देखूं,
कृ
प्रकाि कली प्रवृनत्त पनपते हुए देख िहीं थीं। मैं अपने सभली भाई- दुननरा करा है। मैं उनसे कहता था नक िामकषण नमशन के म्ठ
बहनों से अलग सा िहता था। में जाना है। ट्वामली नववेकानंद जली के बािे में भली उनसे खूब बातें
मेिली नदनचराया कली वजह से, मेिे तिह-तिह के प्ररोगों कली किता था। मां-नपताजली रे सब सुनते िहते थे। रे नसलनसला कई
वजह से कई बाि मां को मेिे नलए अलग से इंतजाम भली किने नदन तक लगाताि चला।
पड़ते थे। लेनकन उनके चेहिे पि कभली नशकन नहीं आई, मां ने एक नदन आनखिकाि मैंने मां-नपता को घि छोड़ने कली इचछा
बताई औि उनसे आशलीवायाद मांगा। मेिली बात सुनकि नपताजली बहुत
न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 जुलाई 2022 55