Page 20 - NIS - Hindi 16-30 June, 2022
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आवरण कथा      राष्ट्र नीनत
                   नवशव पटल पर भारत
     आवरण कथा






              हमें ततरंगे की ताकत वहां ददख्री, जब बसरों पर   एक छोरा सा 6 साल का मासूम सोनू, नजसका
                                        े
                                                                                           े
            ततरंगा दख ककस्री ने चेकक ं ग क नलए नहीं रोका।    ददल््री से अपहरण कर बांग्ादश भेज ददया
                    े
              एयरपोर तक लाने क नलए बसरों में भारत का         गया।  बांग्ादश में उससे काम कराया जाता और
                                                                           े
                                  े
                      ्य
                                                                                         ै
             झंडा लगाया गया, झंडा लगाने क बाद वहां की        मारा-प्रीरा जाता। वो कहता ह- जब मुझे पता
                                           े
                          े
                                                                                       े
          सेना भ्री चेकक ं ग क नलए नहीं रोक रह्री थ्री।…ततरंगे   चला कक मैं भारत सरकार क प्रयास से अपने घर
             का क्ा महत्व ह, हमें यूक्न में पता चला। वहां    जा रहा ह तो मैं बहुत खुश हुआ और अपने पररवार
                            ै
                                    े
                                                                     ं
           ततरंगा भारत्रीयरों की ढाल बना। … हम डर गए थे,     से नमल सका।
                                                       े
            े
          लककन भारत सरकार की मदद से सुरक्षित तर्रीक          एक मा जब अपन बच् क पपता को ढूुंढ़न जाती
                                                                    ुं
                                                                                     रे
                                                                              रे
                                                                                   रे
                                                                                                    रे
           से वापस आ गए। हमें ततरंगे की वैल् पता चल्री।      ह, अपना पररवार पूरा करना चाहती ह। अपन पपत
                                             ू
                                                                                                ै
                                                              ै
                                                                                                       रे
                                 ्य
             इस पररस्स्थतत में नसर भारत सरकार ह्री मदद       को खोजन जममानी गई गुरप्रीत कौर भी ऐसा ही
                                                                       रे
          कर रह्री थ्री। हमारे दस्ावेज बहुत तेज्री से वेर्रीराइ
                                                                                            ुं
                                                                                                  रे
                                                                                   रे
                                                             सपना लकर गईं थीं। लपकन वहा उनक साथ-
                                                                     रे
            हुए। जबकक अन्य दशरों क छात्रों का दस्ावेज ह्री
                                   े
                              े
                                                                                              ुं
                                                             साथ उनकी बच्ी की शजंदगी भी दाव पर लग गई।
                             वेर्रीराइ नहीं हो पा रहा था।”
                                                             उन्ोंन उम्ीद भी छोड़ दी पक कभी भारत वापस
                                                                   रे
                                         ुं
         रूस-यूक्न युद्ध क्रेत्र स शिमला पहची कशिि िमामा
                 रे
                              रे
                                                                                            रे
                                                                                                        ैं
                                                                   ुं
                                                             जा पाएगी। लपकन उन् जममानी क िरणाथथी कप
                                                                                   ें
                                                                         रे
                                                      ुं
                                                    रे
          और ओशिमा हो या आगरा की साक्ी शसंह या हमत
                                                                                           रे
                                                                   ु
                                                             स सकिल वापस लाया गया। व कहती ह, “जब
                                                               रे
                                                                                                    ैं
                                    ुं
                                       रे
         जैस छात्र-छात्राए, यूक्न में फस भारतीयों क ललए
                             रे
                         ुं
             रे
                                                  रे
                                                                                    रे
                                                                           रे
                                                             तत्ालीन पवदि मुंत्री न कहा पक आपको वापस
                                               रे
          चलाए गए ऑपररेिन गगा क तहत लौट भारतीयों
                                    रे
                                ुं
                                                                                 रे
                                                             लाया जाएगा। तो मैं बहद खुि हई। मुझरे लगा पक
             की कहानी कवल जीवन की रक्ा नहीं, बल्कि
                         रे
                                                                                                        रे
                                                                     रे
                                                                               रे
                                                             जल्ी स मुंत्री जी मररे सामन आए और मैं उनक
                                                                                       रे
                                                                                            ुं
                                                       ै
                         राष्ट् क बढ़तरे गौरव का प्रतीक ह।
                               रे
                                                                        ुं
                                                             पैर पकड़ लू।”
                          ै
                                                  रे
                                                                        ुं
                                                                                              ु
           ऐसी ही कहानी ह सुिील कपूर की, शजन्ोंन दुबई की एक शिपपंग कपनी में ज्ाइन पकया। कछ ही ददनों में
                                                                                 ैं
                              ुं
                                                                                                        े
                                          रे
                                       ुं
          सुिील ऐसी जगह पहच गए जहा स वापसी नामुलमकन लग रही थी। व बतात ह, “हमें ओमान से ड्रीजल लना
                                                                         रे
                                                                               रे
         होता था और वह्री ड्रीजल दुबई में बेचना होता था। यह प्रकक्या 7-8 ददन चल्री और अचानक हमार्री नशप क बगल
                                                                                                      े
                                                                         े
                           ै
          में एक नशप आता ह और उनमें जो लोग होते ह वे  हमें मारना शुरू कर दते ह। हमारे हाथ-पैर बांध ददए। कनपट््री
                                                  ैं
                                                                            ैं
                                                  े
         पर बंदूक लगा द्री। करर हम लोगरों को ईरान लकर गए और वहां जाकर पता लगा कक हम लोगरों को दो साल की
                                       ै
         सजा और जुमा्यना लगाया गया ह। जुमा्यना कर्रीब 2.9 यूएस नमनलयन डॉलर यान्री लगभग 19 करोड़ रुपये का
                                                                   ं
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                        े
         था। स्मगनल ं ग क झूठ आरोप में रसाया गया था। भार्री भरकम दड रानश की वजह से घर वापस्री की कोई उम््रीद
                                       ं
                                                                                                           े
                             े
         नहीं थ्री। जब भारत क कवदश मंत््री को पता चला तो उन्रोंने प्रयास ककया। उस्री दौरा भारत दौरे पर आए ईरान क
                                 े
                    े
                             े
                 कवदश मंत््री क सामने यह बात रख्री गई। करर मुझे ररहा ककया गया और मैं भारत लौर पाया।”
          18  नयू इंनडयटा समटाचटार | 16-30 जून 2022
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