Page 25 - NIS Hindi January 16-31,2023
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आवरण कथा      जी-20 दवशेर



                                   प्र्ीक नचनह और ्ीम




                                      भाित कवी जवी-20 अध्यक्षता कवी रवीम


                                         “वसुधैव कुटुमबकम्” एक पृ्थवी, एक पररवार, एक भजवष्र है, जिसे महा उपजनषद के

                                         प्रारीन संसककृत पाठ से जिरा गरा है। वासतव में रह थीम मानव, पशु, पौधे, और सूक्मिीव

        िी-20 का िोगो भारत के            सभी के िीवन मूलर और वरापक ब्हांि में उनके पृ्थवी ग्रह पर अंतस्यबंधों की पुकष्ट
        राष्ट्ीर धवि के िीवंत            करती है। रह थीम परा्यवरण के जिए िीवनशैिी (LiFE) के साथ वरक्तगत िीवनशैिी
        रंगों- केसरररा, शवेत, हरा और     के सतर पर परा्यवरणीर रूप से जटकाऊ और जिममेदार जवकलप के साथ ही, राष्ट्ीर
        नीिा से प्रेररत है। रह पृ्थवी ग्रह   जवकास को रेखांजकत करती है।
        को भारत के राष्ट्ीर पुष्प कमि
                                                                                                    ै
        के साथ िोड़ता है िो रुनौजतरों      n  िी-20 का रह िोगो (Logo) केवि       कर रहा है। हमारे रहां अद्त का जरंतन
        के बीर जवकास को दशा्यता है।         एक प्रतीक जरनह नहीं है। रह एक       िीव मात् के एकतव का दश्यन रहा है।
                                                                                                      ं
        पृ्थवी प्रतीक है भारत के इस ग्रह    संदेश है। रह एक भावना है, िो हमारी   रह दश्यन, आि के वैकशवक द्दों और
        को समथ्यन तथा िीवन के प्रजत         रगों में है। रह एक संकलप है, िो     दुजवधाओं के समाधान का माधरम बने।

        प्रककृजत के साथ पूण्य सामंिसर के    हमारी सोर में शाजमि रहा है।
                                                                              n  भारत ने इस प्रतीक जरनह के िररए रह
        दृकष्टकोण के दश्यन का।
                                                                                                    ु
                                          n  ‘वसुधैव कुटुंबकम्' के मंत् के िररए   संदेश दुजनरा को जदरा है। रद से मुक्त
        जी-20 वेबसाइट                       जवशव बंधुतव की जिस भावना को हम      के जिए िो संदेश भगवान बुद ने जदए
        भारत की िी-20 अधरक्ता की            िीते आए हैं, वह जवरार इस िोगो और    थे और जहंसा के प्रजतरोध में अजहंसा
        वेबसाइट www.g20.in को               थीम में प्रजतजबजबत हो रहा है।       का िो मंत् राष्ट्जपता महातमा गांधी ने
                                                      ं
        प्रधानमंत्ी मोदी ने िार जकरा। रह                                        समाधान के जिए जदरा था, िी-20 के
                       ं
        वेबसाइट, मि िी-20 अधरक्ता         n  िोगो में कमि का िकूि, भारत की      िररए भारत उनकी वैकशवक प्रजतष्ठा को
                 ू
        वेबसाइट www.g20.org पर 1            पौराजणक धरोहर, हमारी आसथा, हमारी    नई ऊिा्य देने में िुट रुका है।
                     ं
        जदसंबर 2022 से सराजित है। िी-20     बौजदकता, इन सब को एक साथ जरजत्त
        की प्रमुख िानकारररों तथा वरवसथा
                                         n  िी-20 ऐप: वेबसाइट के अिावा एंड्ोइि और आईओएस पिेटिॉम्य पर एक
                           ू
        के अिावा रह वेबसाइट सरनाओं          मोबाइि ऐप “G20 India” भी िारी जकरा गरा है।
        के भिार के रूप में काम कर रही
            ं
        है। वेबसाइट में नागररकों के जिए   n  क्वटर हैंिि: भारत ने जपछिे प्रेसीिेंसी से क्वटर हैंिि @g20org सजहत
        एक अनुभाग शाजमि है िहां वह          आजधकाररक सोशि मीजिरा हैंिि िे जिरा।
        अपने सुझाव दे सकते हैं।



        पास नजतनली नवनशषिता है, उतनली हली नवनवधता भली है। जली-20 के   जन-जन के जलीवन का नहससा बनाना है। आज नवशव इलाज कली
                            यु
        अधरक् के रूप में भाित दननरा को रह नदखाने को तैराि है नक   जगह आिोगर कली तलाश कि िहा है। भाित का आरयुववेद, रोग, नजसे
                                                                   यु
        कैसे लोकतंत्र जब एक वरवस्ा के सा्-सा् एक संसकाि औि   लेकि दननरा में एक नरा नवशवास औि उतसाह है, उसके नवसताि के
        संसकृनत बन जातली है, तो नहतों के िकिाव रा संघषया कली कोई गंजाईश   नलए एक वैलशवक वरवस्ा बनकि उभिा है। इसली वषया अंतििाषट्लीर
                                                    यु
        नहीं िह जातली। भाित आज दननरा के हि मानव को आशवसत किने   पोषक (मोिा) अनाज वषया मनारा जा िहा है, जबनक भाित सनदरों
                             यु
        कली लस्नत में है नक प्रगनत औि प्रकृनत दोनों एक दूसिे के सा् चल   से  अनेकों  मोिे  अनाज  को  अपने  घि  कली  िसोई  में  जगह  नदए

                                                              यु
        सकते हैं। सतत नवकास को केवल सिकािों के नससिम कली जगह   हए है।


                                                                                 न्यू इंडि्ा समाचार   16-31 जनवरी 2023  23
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