Page 50 - NIS Hindi 16-31 May, 2025
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       व्यक्ति�तत्वीं पत्रिडत रोंाजकीमारों शा�ल

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                चपारेण



                के े  जाननायके




          केरीबा 108 सााले पहलेे हुआ चापारर्ण सात्याग्रह भाारत
                                     ं
          केी आजाादीी के आदीोलेने मं मीले केा पत्थर ही नेहं
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                           ं
          बानेा, बाखिल्के योह महत्�पूर्णय घाटेंनेा थी जिजासानेे बारिरस्टेंर
                                                  ै
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           मोहनेदीासा केरमचादी गाांधाी केो महात्मा के रूप मं
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            पर दीश मं स्थाविपत केर स्�ाधाीनेता साग्राम के केद्र
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            मं लेा �� ि ा विकेयोा। चापारर्ण के इसा सात्याग्रह केी
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            नें� मं केछ लेोगा ऐसाे भाी हं, जिजान्हंनेे इसाके जिलेए
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          अपनेा सा�यस्� दीां� पर लेगाा विदीयोा। ऐसाे ही एके अविमटें        पड़िडात रेाजाके ु मारे शुक्ल
                                                                                         ृ
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          हस्ताक्षर हं, पवि�त राजाकेमार शक्ला। जिजानेकेी जिजादी के   जान्म 23 अंगास्ता 1875, मत्यु : 20 मई 1929
                                                       े
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             चालेते बाापू चापारर्ण आनेे के जिलेए हुए मजाबार…
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                                                             ड़िदया। शाुक्ले ने 27 ��वा�ी, 1917 केो बाड़ितया (ड़िबाहा�) संे गांधाीजाी
                                                                                           े
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                                                             केो चापीा�र्णा मं ड़िकेसंानं केी ददशाा बाया के�ते हुए ड़िलेखूा- “ड़िप्रय महात्मा,
                                                                                  �
                                                                                 ु
                                                              आपी संबाकेी संमस्या संुनते हं, आजा मुझेे भाी अपीनी केहानी केहने केा
                                                              मौकेा दीड़िजाए... हमा�ी केहानी दड़िक्षार्णा अफ्रेीकेा मं चाले �हे संंघ�� केी
                                                              केहानी संे भाी अड़िधाके दद�नाके है।”
                                                                 ं
                                                                पीड़िडॉत जाी ने ही महात्मा गांधाी संे चापीा�र्णा आने केा केई बाा� अन�ोधा
                                                                                                           ु
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                                                             ड़िकेया। शाुक्ले जाी केे बाा�-बाा� आग्रह के�ने केे बााद गांधाीजाी ने उन्हं
                                                               ं
                      ह संमय ड़िबाहा� केे चापीा�र्णा मं अग्रजां केी लेादी गई   चापीा�र्णा आने केा आश्वाासंन ड़िदया। महात्मा गांधाी 10 अप्रले, 1917
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                                                                                                      ै
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                      तीनकेड़िठोया प्रर्णाालेी केे ड़िवा�ोधा केा था। तीनकेड़िठोया   केो पीटना पीहुंचाे थे। इसंकेे बााद उन्हंने चापीा�र्णा जााके� संत्याग्रह केे
                                                                                           ं
                      यानी ह� ड़िकेसंान केो अपीने खूेत केे 3/20 ड़िहस्संे   माध्यम संे ड़िकेसंानं केे पीक्षा मं आवााजा उठोाई। गांधाीजाी ने चापीा�र्णा मं
                                                                                                       ं
                                                                                         ु
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                                                                                    ं
         य पी� नीले केी खूती के�नी होती थी। 20 केठ्ठीे केा   संत्याग्रह केा अस्त्र चालेाके� अग्रजाी हकेूमत केी नंवा ड़िहलेा दी थी।
                                                                                                 े
                                                                  ं
         एके बाीघा था औ� तीन केठ्ठीे मं नीले केी बाुवााई केा मतलेबा था,   इसं आदोलेन केे बााद महात्मा गांधाी ड़िवाश्वा केे बा�े नता बानके� उभा�े।
                                                               ं
         तीनकेड़िठोया रि�वााजा। इसं ड़िनयम केे चालेते वा�ं संे अग्रजां केे अत्याचाा�   चापीा�र्णा संत्याग्रह केी सं�लेता केे बााद आजाादी केा �ाष्ट्रीीय संंघ��
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         संह �हे ड़िकेसंानं केे संामने केोई �ास्ता भाी नहं था। लेबाे संमय संे इसं   नए चा�र्णा मं प्रवाशा के� गया।
                                                                         े
         प्रथा केा ड़िवा�ोधा होता आ �हा था। ड़िवा�ोधा के�ने वाालें मं पीं. �ाजाकेमा�   महात्मा गांधाी ने अपीनी आत्मकेथा ‘संत्य केे प्रयोग’ मं भाी पीड़िडॉत
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         शाुक्ले भाी शााड़िमले थे। 23 अगस्त, 1875 केो चापीा�र्णा केे संतवारि�या   �ाजाकेमा� शाुक्ले पी� एके पी�ा अध्याय ड़िलेखूा है, ड़िजासंमं उन्हंने उनकेी
                                                                  ु
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         गांवा मं जान्मे शाुक्ले भाी ड़िकेसंान थे। ड़िकेसंानं पी� अग्रजां केे अत्याचाा�   सं�लेता औ� संमपी�र्णा केा ड़िजाक्रो ड़िकेया है। चापीा�र्णा संत्याग्रह केे बााद,
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                                                                ं
         केी केहानी उन्हंने 1914 मं बाांकेीपी� औ� 1915 मं छपी�ा मं हुए केांग्रसं   आदोलेन मं अपीनी जामीन-जाायदाद संबा केुछ न्यौछावा� के�ने वाालेे
                                                       े
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         केे प्रांतीय संम्मलेन मं संबाकेे संामने �खूी। 1916 मं केांग्रसं केे लेखूनऊं   पीड़िडॉत शाुक्ले केे बााकेी केे ड़िदन ग�ीबाी मं बाीते। उनकेा 20 मई, 1929
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         अड़िधावाशान मं उन्हंने महात्मा गांधाी संे ड़िमलेके� चापीा�र्णा केे ड़िकेसंानं   केो 54 वा�� केी आयु मं ड़िनधान हो गया। उनकेे संम्मान मं भाा�त
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                                            ं
         केा दद� बायान ड़िकेया औ� उन्हं आने केा न्योता ड़िदया। बाापीू ने इसंे टाले   सं�केा� ने स्मा�के डॉाके ड़िटकेट भाी जाा�ी ड़िकेया। n
         48  न्यूू इंंनि�यूा सौमाचाार | 16-31 मई 2025
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