Page 17 - NIS Hindi 2021 November 1-15
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आवरण     लोकिल िे गलोबल
                                                                                           कि्ा   भारतीय उतपाद


                                                                 ओ                   हाका, अमेररका कली उत्तरली सलीमा

                                                                                     पर  लगे  हए  मेस्कसको  में  एक
                                                                                             यु
                                                                                     जगह है। इस क्त्र के एक रयुवा
                                                                                                 े
                                                                                     माक्फ ब्ाउन ने महातमा गांधली पर
                                                                                     एक नफलम देखली। ब्ाउन रे नफलम

                                                                                                            यु
                                                                                     देखकर बापू से इतना प्रभानवत हए
                                                                    नक वे भारत में बापू के आश्म आए और उनके बारे में
                जब हम तयोहार किी बात किरते हैं,                     गहराई से जाना-समझा। तब ब्ाउन को अहसास हआ नक
                                                                                                        यु
                तैयारी किरते हैं, तो िबिे पहले मन में               भारत का खादली केवल एक कपड़ा हली नहीं है, बस्लक रह
                यही आता है, सकि बाजार किब जाना                      तो एक पूरली जलीवन पधिनत है। इससे ग्ामलीण अथयावरवट्था
                है? ्या-्या खरीददारी किरनी है?                      और आतमननभयारता का दशयान जयुड़ा है। ब्ाउन ने ठान नलरा
                                                                                                 यु
                खािकिर, बच्ों में तो इिकिा सवशेर                    नक मेस्कसको जाकर वे खादली का काम शरू करेंगे। उ्होंने
                उतिाह रहता है - इि बार, तयोहार पर,                  ओहाका में ग्ामलीणों को खादली का काम नसखारा, प्रनशनक्त
                नया, ्या समलने वाला है? तयोहारों                    नकरा और आज ‘ओहाका खादली’ एक ब्ांि बन गरा है।
                                                                                   यु
                किी ये उमंग और बाजार किी चमकि,                      ब्ाउन बताते हैं नक शरू में खादली को लेकर लोगों में संदेह
                एकि-दूिरे िे जुड़ी हुई है। लेसकिन इि                 था, लेनकन बाद में इसमें लोगों कली नदलचट्पली बढली और

                बार भी जब आप खरीददारी किरने जायें                   इसका बाजार तैरार हो गरा। वे रह भली कहते हैं नक जब
                                                                    आप लोगों कली जरूरतों को पूरा करते हैं तो नफर लोग भली
                तो ‘वोकिल रॉर लोकिल’ किा अपना                       आपसे जयुड़ने चले आते हैं। लंबे समर तक सादगली कली
                  ं
                िकिलप अवशय याद रखें। बाजार िे                       पहचान रहली खादली सात समंदर पार मेस्कसको के ओहाका
                                                                                        यु
                िामान खरीदते िमय, हमें स्ानीय                       में कैसे पहंचली रे नकसली नदलचट्प कहानली से कम नहीं है।
                                                                            यु
                उतपादों किो प्रा्समकिता देनी है।                    आजादली के आंदोलनों के बाद आज एक बार नफर वहली

                                                                    खादली ट्वदेशली कली शान और फैशन का परार बन रहली है।
                                                                                                   या
                – नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्ी
                                                                                         यु
                                                                    इसनलए ओहाका हली नहीं, दननरा में और भली कई जगह
                                                                    खादली बनाई जा रहली है।
                                                                                      या
                                                                       यु
                                                                      मंबई के रहने वाले हर नत्रवेदली कुि समर पहले अपने
                                                                    बेटे के नलए नखलौने खरलीदने बाजार पहंचे। हर कहते हैं,
                                                                                                यु
                                                                                                      या
                                                                    पहलली बार उ्होंने देखा नक दकानदार ग्ाहकों को कह रहे
                                                                                         यु
                                                                    हैं, रह नखलौना अचिा है करोंनक रह मेि इन इंनिरा है।
                                                                    इससे पहले महंगे नवदेशली नखलौनों को हली अचिा समझा
                                                                    जाता था।
                                                                       यु
                                                                      मंबई कली रह कहानली भारत में लोगों के लोकल उतपादों
                                                                    के प्रनत वोकल होने का उदाहरण है तो ओहाका कली खादली
                                                                    भारतलीर  ब्ांि  के  गलोबल  होने  कली।  भारत  के  ट्थानलीर
                                                                    उतपादों कली खूबली है नक उनके साथ अकसर एक पूरा दशयान
                                                                    जयुड़ा होता है। रहली वजह है नक कोनवि काल में ‘वोकल
                                                                          फॉर  लोकल’  का  आह्ान  आज  जन-जन  कली

                                                                            आवाज बन गई है और देश के लोग लोकल
                                                                             चलीजों को खरलीदने लगे हैं तो देसली उतपाद भली




                                                                                                          15
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                                                                                    न्यू इडिया समाचार | 1-15 नवंबर 2021
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