Page 9 - NIS Hindi 01-15,April 2023
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व््यक्क्ित्व डॉ. केशवराव बब्लराम हेडगेवार






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                        प्धानमंत्ी नरद् मोदी द्ारा वलवख्त पुस््तक- “ज्योव्तपुंज” के अंश
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                          धानमंत्
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                                                    वलवख्त
                                                             पुस््तक- “ज्
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                                                                               पुंज” के अंश
                                         मोदी द्
                                                                         योव्त
            एक लेखक के तौर पर प्रधानमंरिी नरेंद्र मोदी ने “ज््योडतपुंज” पुस्तक
            में  िॉ. केशिराि बडलराम हेिगेिार के डिर््य में डलखा है, िॉ्तटर
            जी देश की आजादी के डलए कु्छ-न-कु्छ कर गुजरने के डलए
            अनेक मागयों से प्र्यासरत हुए। कभी डतलक जी, कभी क्ांडतकारर्यों,
            कभी सुभार् तो कभी अरडिंद के पास िॉ्तटर साहब सत््य की खोज
            में कु्छ पररणामजन््य कर डदखाने के उद्श््य से दौड़ते रहते...िॉ्तटर
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            जी के जीिन का प्रारंडभक काल केिल देश को आजाद करिाने के
            डलए मर-डमटने की उत्कट भािना से भरा हुआ था। देश को गुलाम
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            बनाने िाले अंग्ज के साथ संघर् करना मानो उनकी प्रिडति बन गई
            थी.. राष्ट्र की परमोन्नडत ही मानो उनके जीिन का ध््ये्य बन गई।
            समाज-पुरुर्ों का साक्ात्कार करने की प्रडक््या में समाज का हर
            व््यक््तत उनके मन में परमात्मा बन ग्या। स्िामी डििेकानंद की तरह
            ही एक मारि भारत माता ही उनकी आराध््या देिी बन गई थीं।






        का नदन कैसे हो सकता है? र्ह तो शोक का नदन है।” र्ह   कि नदर्ा। इसमें से एक केशविाव हेिगेवाि भली थिे। इन्हें स्ककूल
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        बालक िॉ. केशविाव बनलिाम हिगेवाि थिे। बनलिाम पंत औि   से बाहि कि नदर्ा गर्ा। बाद में नकसली तिह से उन्होंने मैनट्क कली
        िेवतली के घि छ्ठली संतान के रूप में बालक केशविाव का जन्म   पिलीक्षा पास कली।
        1 अप्रल 1889 को हुआ थिा। महज 11 साल कली आर्ु में उनके   केशविाव हेिगेवाि कली संग्ठन शब्क्त औि िाष्ट् प्रेम को
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        माता-नपता का ननधन हो गर्ा जो नागपि में फैले प्लग ग्नसत   देखकि नागपुि के नेता ने चंदा जुटाकि उन्हें पढ़ने के नलए
        लोगों कली सेवा के दौिान इस बलीमािली कली चपेट में आ गए थिे।  कलकत्ा के नेशनल मेनिकल कॉलेज में भेजा। पढ़ाई के बहाने
          देश में जब वंदे मातिम् आंदोलन चला तो िॉ. हेिगेवाि   र्हां देशभि के क्रांनतकारिर्ों के बलीच समन्वर् भली नकर्ा थिा।
        नागपुि के नवद्यालर्ों में आंदोलन कली अग्र्ली टोलली में शानमल   उन्होंने मेनिकल कली पिलीक्षा फस्टटि क्लास में पास कली नफि वापस
        थिे। इस दौिान स्ककूल में ननिलीक्षकों का कक्षा में स्वागत वंदे   नागपुि लौट आए। िॉ. हेिगेवाि ने देश औि समाज के नलए
        मातिम् के उद्घोष से नकर्ा जाता थिा। इस आंदोलन से गुस्से में   नौकिली को ्ठुकिा नदर्ा। नववाह के संबंध में अनभभावक चाचा
        आकि नरिनटश सिकाि नागपुि के सािे स्ककूल बंद कि आंदोलन   को पत्र नलखा, “मैंने आजलीवन रिह्मचािली जलीवन का पालन किते
        के संचालकों को तलाशने लगली। र्ह िॉ. हेिगेवाि कली अद्भुत   हुए देश के नलए जलीवन लगाने कली प्रनतज्ा कली है। मुझे नववाह नहीं
        संग्ठन शब्क्त का हली परिर्ाम थिा नक चाि महलीने तक नकसली का   किना है।” इसके बाद नरिनटश सिकाि के नखलाफ आंदोलन को

        नाम सामने नहीं आर्ा। आनखिकाि, सिकािली कमयाचािली औि   अपने जलीवन का एकमात्र ध्र्ेर् बनार्ा औि जेल भली गए। माना
        अनभभावकों ने नमल कि एक फॉमूयाला ननकाला नक नवद्यालर्   जाता है नक शहलीद िाजगुरु के भूनमगत िहने के दौिान नागपुि में
        खोलें औि स्ककूल में प्रवेश किते समर् गेट पि खड़े हेिमास्टि   उनके िहने कली व्र्वस्थिा िॉ. हेिगेवाि ने हली कली थिली। िाष्ट् को
        हि एक छात्र से पूछेंगे नक गलतली हुई न? र्हां नसि नहलाकि हां   पिम वैभव तक पहुंचाने औि चैिेवेनत-चैिेवेनत के मूलमंत्र के
        कह कि माफलीनामे के साथि हली छात्रों को स्ककूल में प्रवेश नदर्ा   साथि 1925 में नवजर्दशमली के नदन 17 सानथिर्ों के साथि संघ कली
        जाना थिा लेनकन नागपुि में दो नवद्यानथियार्ों ने ऐसा किने से मना   नींव िालली। 21 जून 1940 को उनका ननधन हो गर्ा। n





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