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राष्टट्र  अमृत महोत््सवी





          राम तवनोद तसांह : तहांसक क्ाांतत से

            शुरूआत, अतहांसा के िने पुजारी

               जन्म : 6 माच्ग 1895, मृत्योु : 23 मई, 1967             अल्लूरी सीताराम राजू
        भब     भसंह  का  जन्म  6  जुलाई  1895  को                        जगल के नायोक
                                                                            ां
              हार के भवख््यात क्ांभतकारी राम भवनोद
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        सारण भजला के मलखाचक गोांव म हुआ ्था।                        जन्म : 04 िुलाई 1897, मृत्यो : 7 मई 1924
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                                                                                 ू
        माना जाता है भक भगोत भसंह और महात्मा गोांधी           स्व   तंत्रता सेनानी अल्लरी सीताराम राजू का जन्म 4 जुलाई 1897
                                                                                                         ें
                                                                                                    ु
                                                                                ें
        से उनका संपक्क रहा और उनके जीवन पर इन                       को आंध्र प्रदेश म भीमावरम के समीप मोगोल्ल गोांव म हुआ
        दोनों महापुरूर्ष का कािी प्रभाव रहा। उन्होंन  े      ्था। उन्होंने गोैरकानूनी भब्भटश नीभत्यों के भखलाि कई बार अपनी आवाज
        भारत की आजादी के भलए एक क्ांभतकारी के                उिाई। वह एक ऐसे भनडर क्ांभतकारी ्थे भजन्होंने आभदवासी न होकर भी
                               े
        तौर पर काम करना शुरू भक्या लभकन बाद के               उन लोगोों के अभधकारों और उनकी स्वतंत्रता के भलए लड़ाई लड़ी। उन्ह  ें
        भदनों म वह अभहंसा के पुजारी बन गोए। खुदीराम बोस को िांसी भदए जान  े  उनकी वीरता और साहस के भलए “मण््यम वीरुडु” (जगोल का ना्यक)
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                                                                                                  ं
        की घटना से राम भवनोद भसंह अत््यंत प्रभाभवत हुए और वह ढाका अनुशीलन   की उपाभध दी गोई ्थी। उन्होंने अंग्ेजों के सा्थ अपने संघर्ष्ज के दौरान ्यह
                                                                               ें
        सभमभत के सदस््य बन गोए। राम भवनोद भसंह जब भागोलपुर म पढ़ते ्थे तो   दशा्ज्या भक “दम है तो हम रोक लो- रोक सको तो रोक लो।” सीताराम
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        अपनी  क्ांभतकारी  का्य्जकलापों  के  कारण  प्र्थम  भवश्व  ्यधि  के  सम्य   राजू ने जब क्ांभत का भबगोुल िरूका ्था, तो उनका ज्यघोर्ष ्था- मनद  े
                                                                                   ं
        नजरबंद कर भलए गोए। इसके बाद वह 1918-1920 तक हजारीबागो   राज््यम  ्याभन  हमारा  राज््य।  उन्होंने  भवदेशी  शासन  के  अत््याचारों  के
        सट्रल जेल म बंद रहे।                                 भखलाि जब जगो शुरू की ्थी, तब उनकी उम्र केवल 24-25 साल ्थी।
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                                                                        ं
          असह्योगो आंदोलन के दौरान महात्मा गोांधी के आह्ान पर उन्होंन  े  सीताराम राजू ने स्करूली भशक्षा अपने गोांव म पूरी की और भिर उच्
                                                                                             ें
                                                                                                      ें
        अपनी पढ़ाई ्छोड़ दी और उत्साहपव्जक इसम शाभमल हो गोए। उन्होंन  े  भशक्षा के भलए भवशाखापट्नम चले गोए। 18 वर्ष्ज की आ्यु म, वह सभी
                                       ें
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        1921 म अपने गोांव म गोांधी कुटीर नामक खादी आश्म स््थाभपत भक्या।   सांसाररक सखों को त््यागो कर संन््यासी बन गोए। भारत के आध््यात्म न  े
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        माना जाता है भक भहन्दस्तान सोशभलस्ट ररपक्ब्लकन एसोभसएशन सदस््य   सीताराम राजू को करुणा और सत््य का बोध भद्या। आभदवासी समाज
        के तौर पर वह “वाभजदपुर डकैती” म शाभमल हुए। “भतरहुत र्षड्यंत्र केस”   के भलए समभाव और ममभाव भद्या, त््यागो और साहस भद्या। शुरुआत
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        म भी उनको अभभ्य्तत बना्या गो्या लभकन वे ररहा कर भद्ये गोए। 24   म, सीताराम राजू ने महात्मा गोांधी के असह्योगो आंदोलन के प्रभाव म  ें
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                                                                                                        ं
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                                    ें
        जून, 1930 को पभलस दल ने भदघवारा म उनके घर और गोांधी कुटीर म  ें  आकर आभदवाभस्यों को स््थानी्य पंचा्यत अदालतों म न््या्य मागोने और
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        ्छापेमारी की ्थी। ्योगोद्र श्तला को शरण देने की वजह से राम भवनोद भसंह   औपभनवभशक अदालतों का बभहष्कार करने के भलए प्रररत भक्या। 1922
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                                                                   े
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        को जुलाई 1930 म भगोरफ्तार कर भल्या गो्या। इसके बाद िरवरी 1932   म, उन्होंने अंग्ेजों के भखलाि रम्पा भवद्रोह शुरू भक्या। अंग्ेज रम्पा
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                                                                          ें
                                                                       े
        म उन्ह ररहा भक्या गो्या। 24 नवंबर, 1932 को भबहार और उड़ीसा की   प्रशासभनक क्षत्र म रहने वाले आभदवाभस्यों को वहां से बेदखल करना
         ें
        सरकार ने 40 क्ांभतकारर्यों को भक्भमनल ट्राइब के सदस््य होने के बार  े  चाहती ्थी। अंग्ेजों के अत््याचार से आभदवासी भवद्रोह की शुरुआत हुई,
        जानकारी दी ्थी भजसम राम भवनोद भसंह का नाम भी शाभमल ्था। 1933   भजसे मान््यम भवद्रोह के नाम से भी जाना जाता है। सीताराम राजू ने न््या्य
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                                                                 ं
        म मुख््य सभचव ने पक्ब्लक सेफ्टी ए्तट के तहत राम भवनोद भसंह को ्छह   की मागो की और गोुररल्ला ्यधि का सहारा भल्या। उनके दो साल के सशस्त्र
                                                                               ु
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        माह के भलए अपने गोांव म नजरबंद कर भद्या। भदसंबर 1934 म सरकार   संघर्ष्ज (1922-24) ने भब्भटश अभधकारर्यों को इस हद तक परेशान
                         ें
        ने उनकी नजरबंदी की अवभध बढ़ा दी जो 1937 म जाकर खत्म हुई।  कर भद्या भक अंग्ेजों ने उन्ह भजंदा ्या मदा्ज पकड़ने पर 10,000 रुप्ये के
                                                                                ें
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          1942 के भारत ्छोड़ो आंदोलन के सम्य 10 अगोस्त को राम   पुरस्कार की घोर्षणा कर दी।
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        भवनोद भसंह को भारत रक्षा कानून के तहत भगोरफ्तार भक्या गो्या ्था।   आभखरकार 7 मई 1924 को अंग्ेजों ने उन्ह धोखे से घेर भल्या। एक
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        12 अगोस्त, 1942 को राम भवनोद भसंह की दोनों पुभत्र्यों ने भदघवारा   पड़ से बांध भद्या और गोोली मारकर हत््या कर दी। 27 साल की ्छोटी
                                                                                            ं
        ्थाने पर आक्मण कर वहां राष्ट्री्य ध्वज िहरा भद्या। पररणामस्वरूप   उम्र म वो शहीद हो गोए। 8 मई को उनका अभतम संस्कार भक्या गो्या।
                                                                  ें
        20 अगोस्त को राम भवनोद भसंह के घर को डा्यनामाइट से उड़ा भद्या   आंध्र प्रदेश सरकार हर साल उनकी जन्मभतभ्थ, 4 जुलाई को राज््य उत्सव
        गो्या। 1946 में वह भबहार भवधानसभा के सदस््य चुने गो्ये। राम भवनोद   के रूप म मनाती है। प्रधानमत्री नरद्र मोदी ने 4 जुलाई 2022 को आंध्र
                                                                                 ं
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        भसंह पर प्रधानमंत्री की मैंटरभशप ्योजना ्युवा (्युवा, उदी्यमान और   प्रदेश के भीमावरम म महान स्वतंत्रता सेनानी अल्लरी सीताराम राजू के
                                                                            ें
        प्रभतभाशाली लेखक) के अंतगो्जत उत्कर्ष्ज आनंद ने ‘गोांधी-भगोत के   एक साल चलने वाले 125वीं ज्यंती समारोह का शुभारंभ और उनकी 30
        सा्थी राम भवनोद भसंह’ शीर्ष्जक से एक भकताब भलखी है। ्यह पुस्तक   िट ऊंची कांस््य प्रभतमा का भी अनावरण भक्या ्था। का्य्जक्म म पीएम
                                                                                                         ें
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        ्युवा लेखकों के भलए इस ्योजना के तहत तै्यार की गोई पुस्तकमाला   मोदी ने कहा ्था, “अल्लरी सीताराम राजू भारत की संस्कृभत, जनजाती्य
                                                                                             ैं
        का अंश है। 23 मई, 1967 को उनका भनधन हो गो्या।        पहचान, वीरता, आदश्ज और मूल््यों के प्रतीक ह।”  n
         40  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 जुलाई 2023
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