Page 50 - NIS - Hindi 01-15 September,2023
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राष्ट्र  सं्त रकिदास स्मेारि





































                                                                         ृ
                 सवराित की िमसद् और



                           सवकाि िा्थ-िा्थ







               विकवित और िमेधि राष्ट्र के िंकल््प की विवधि मेें ज्टी िरकार देश मेें भरौवतक विकाि के िाथ िांस्कृवतक
                                                          ु
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              विराित, िनातन िंस्कृवत और ितों के िंदेश िे भी विश्ि को ्पररवचत करा रही है, जन-जन को जोड़ रही है।
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              भारत के ितों ने िमेाज को आध्यास्त्मेक ज्ान के मेागणि ्पर आगे बढ़ाने मेें मेहत्ि्पू्णणि भवमेका वनभाई है। प्रमेुख
                                                                                    ू
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              ं
             ितों और िमेाज िुधारकों का िम्मेान करना प्रधानमेंत्ी नरद्र मेोदी के कायषों की विशेष ्पहचान रही है। इिी कड़ी
               मेें ्पीएमे मेोदी ने मेध्य प्रदेश के िागर मेें 12 अगस्त को िंत रविदाि के स्मेारक-िंग्रहालय का वशलान्याि,
                 4000 करोड़ रु्पये की कई विकाि ्पररयोजनाओं की आधारवशला रखी और राष्ट्र को की िमेव्पत…...
                                                                                                णि
        सं   त िनवदास का जलीवन, उनका दशयान, उनका संदेश कालजलीवली   िनवदास के स्मािक का नशलान्र्ास िाष्ट् कली साझा समनद्ध को आग  े
                                                                                  ें
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                                                                कार्याक्म म प्रधानमत्रली निद् मोदली ने कहा, संत नशिोमनण गुरुदेव
                                                                              ं
                                                                                                    ृ
             औि कलजर्ली है। उसली संत िनवदास कली जन्मस्थलली वािाणसली
                                              ं
        संसदलीर् सलीट का प्रनतनननधत्व किने वाले प्रधानमत्रली निद् मोदली   बढ़ाने के नलए नकर्ा गर्ा है। नदव्र् स्मािक के ‘भनम पूजन’ के बाद
                                                                                                ू
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        सुधाि औि नव प्रवतयान कली भावना को कद् म िखकि लगाताि गिलीब,   नवश्वास व्र््तत नकर्ा नक सतों के आशलीवायाद से कुछ वषयों म मनदि
                           ू
        नकसान, मनहलाओं, अनुसनचत जानत, जनजानत एवं वनचत समाज   पिा बन जाने पि उद्घाटन किने भली आएंगे। जब प्रेिणा एवं प्रगनत
                                                              ू
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        को सश्तत बनाने के नलए अथक प्रर्ास कि िहे ह। इसली कड़ली म  ें  एक साथ आते ह तो एक नए र्ुग का सूत्रपात होता है। अमृतकाल म  ें
                                                                         ैं
        संत िनवदास मनदि का ननमायाण कि इस भनम कली सांस्कृनतक औि   हमािली नजम्मदािली है नक हम अपनली नविासत को भली आगे बढ़ाएं औि
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                                                                      े
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        ऐनतहानसक नविासत के पुनजायागिण को बढ़ावा देने के साथ सभली   अतलीत से सबक भली ल। ें
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        लोगों को उनका अनधकाि देने, मानव धमया को स्थानपत किने के   अभूतपवया  स्पलीि  औि  स्केल  पि  देश  के  कोने-कोने  म  ें
        साथ समिसता का संदेश नदर्ा गर्ा है।                   इंफ्ास्ट््तचि  का  ननमायाण  औि  मॉिनया  कनेक््तटनवटली  को  बढ़ावा
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