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व्�क्ति�ित्�  राजगुुरु





                                                 लिशैवरामां राजीगुरु


                                                    े
                                                 �शैभाब्धिक्तं और �ाहैं� कूे प्रतंीकू


                                                 देश केी स्वाा�ी�र्तेा केे जिलाए क्रााजिर्तेकेारी जिशवारामें रा�गुरु केे बाजिलादा�
                                                                           �
                                                 �े उन्हं भारर्तेीय इजिर्तेहास मेंं अमेंर बा�ा जिदया। देशभश्चिक्र्ते वा साहस केे
                                                                                         ू
                                                                                       ृ
                                                                             े
                                                 प्रर्तेीके रा�गुरु केा �ीवा� राष्ट्रप्रमें और मेंार्तेभजिमें केे जिलाए समेंपुमर्ण केी
                                                 अ�ोखाी जिमेंसाला है। उ�केे �ीवा� केा एके ही प्रर्ण, एके ही लाक्ष्य और
                                                                                           ू
                                                 एके ही �� थेी - भारर्ते केी आ�ादी। जिवादशी हकेमेंर्ते केे अमेंा�वाीय
                                                                                         ु
                                                         ु
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                                                 अत्याचारं केे बााद भी वाह इसी लाक्ष्य केे जिलाए ह�सर्तेे-ह�सर्तेे फाासी पुर
                                                                                                      �
                                                 चढ़केर अमेंर हो गए। मेंार्तेभजिमें केे जिलाए उ�केा समेंपुमर्ण देशवााजिसयं केो
                                                                         ू
                                                                       ृ
                                                    ै
                                                              े
                                                 सदवा केरर्तेा रहगा प्रेरिरर्ते�...
                                                 �न्में : 24 अगस्र्ते 1908, शहीदी जिदवास : 23 मेंाचम 1931
             पा   ु  णे  कोे  खड़ा  मंं  24  अगस्त  1908  कोो  धिशुवारामं  हैरिर   जाता हैै धिको जबं इने तीनें कोो फांसेी दोंी जा रहैी थाी तबं उनेकोे चाहैर  े
                          े
                                                                                                               े
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                                                                 पार तधिनेको भाी धिशुकोने नेहैी थाी और याे मंस्ती मंं ‘मंरा रंग दोंे बंसेती
                                                                                                                ं
                   राजगुरु कोा जन्मं हैुआ थाा धिजसेे दोंधिनेयाा राजगुरु कोे नेामं सेे
                                                                                                      े
                                                                                        ं
                   जानेती हैै। उनेकोे धिपाता कोा नेामं हैरिर नेारायाण और उनेकोी   चाो�ा’ गीत गा रहैे थाे। इन्हैंनेे ‘इको�ाबं धिजदोंाबंादों’ कोे नेारे भाी �गाए
                                                                                                ं
                                                                                      ं
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                                                                                                 ं
            मंाता कोा नेामं पाावा�ती बंाई थाा। अपानेे जीवाने कोे शुुरुआती धिदोंनें सेे   और दोंशु कोी खाधितर हैसेते-हैसेते फांसेी कोे फदोंे सेे झ� गए। भाारतीया
                                                                      े
                                                                                 ं
                                                                                                       ू
            हैी राजगुरु कोा रुझाने �ांधितकोारी गधितधिवाधि�यां कोी तरफ हैोनेे �गा   स्वात�ता सेंग्राामं कोे इधितहैासे मंं 23 मंाचा� एको मंहैत्वापाण� घोर्टनेा मंानेी
                                                                     ं
            थाा। भाारतीया स्वात�ता सेंग्राामं कोे इधितहैासे मंं अपानेी वाीरता कोे धि�ए   जाती हैै। याहैी कोारण हैै धिको हैर सेा� 23 मंाचा� कोो दोंशुभार मंं ‘शुहैीदों
                                                                                                      े
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                                                                                                ं
            हैमंशुा याादों धिकोए जानेे वाा�े धिशुवारामं हैरिर राजगुरु एको धिने�र और   धिदोंवासे’ कोे रूपा मंं मंनेायाा जाता हैै। हैसेते-हैसेते फांसेी कोा फदोंा चामं
                                                                                                            ं
                                                                                                                ू
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                                                                                                       े
                                                       ं
            सेाहैसेी �ांधितकोारी थाे। दोंशु कोी आजादोंी कोे धि�ए वाहै धिहैदोंुस्ताने   �ेनेे वाा�े मंा भाारती कोे मंहैाने सेपाूत राजगुरु जबं दोंशु कोी खाधितर
            सेोशुधि�स्र्ट रिरपाश्वि��कोने आमंी सेे जड़े।         शुहैीदों हैुए थाे उसे सेमंया उनेकोी उम्रा मंहैज 22 सेा� हैी थाी। वाीर
                                      ु
                                                                                               े
             अक्र्टबंर  1928  कोो  सेाइमंने  कोमंीशुने  कोा  धिवारो�  कोर  रहैे   सेपाूत राजगुरु कोी शुहैादोंत नेे ने धिसेफफ अग्राजी सेरकोार कोो धिहै�ा कोर
                 ू
                                                                                              ं
                                                                                                       ं
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            भाारतीयां पार अग्राजी पाधि�से नेे �ा�ीचााज� कोर धिदोंयाा धिजसेमंं �ा�ा   रख धिदोंयाा थाा बंश्विल्को कोरोड़ं याुवााओं कोो स्वाा�ीनेता आदोंो�ने कोे धि�ए
                            ं
            �ाजपात  राया  कोो  गभाीर  चाोर्टं  आईं  और  उनेकोी  मंौत  हैो  गई।   प्रेेरिरत कोरनेे कोा भाी कोामं धिकोयाा।
                                                           े
            �ाजपात राया कोी मंौत कोा बंदों�ा �ेनेे कोे धि�ए राजगुरु, सेुखदोंवा   77वां स्वातं�ता धिदोंवासे कोे अवासेर पार �ा� धिको�े कोी प्रेाचाीर से   े
                       ं
                                                                                                               ं
                                             े
            और भागत धिसेहै नेे इसे �ा�ीचााज� कोे धिजम्मंदोंार पाधि�से अफसेर   प्रे�ानेमं�ी नेरं� मंोदोंी नेे राजगुरु कोो याादों धिकोयाा थाा। प्रे�ानेमं�ी
                                                                       ं
                                                  ु
            जपाी सेां�से� कोी हैत्याा कोर दोंी। कोाफी मंशुक्कोत कोे बंादों धि�धिर्टशु   नेरं� मंोदोंी नेे कोहैा थाा, “पाूज्या बंापाू कोे नेतृत्वा मंं असेहैयाोग कोा
                                                                                                 े
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              ु
            पाधि�से नेे आधिखरकोार आजादोंी कोे �ांधितदोंूत राजगुरु कोो धिगरफ्तार   आदोंो�ने,  सेत्यााग्राहै  और  भागत  धिसेहै,  सेुखदोंवा,  राजगुरू  जैसे  े
                                                                                                    े
                                                                                             ं
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                                ु
            कोर धि�याा और उने पार मंकोदोंमंा चा�ायाा। अग्राजं नेे जपाी सेां�से�   अनेधिगनेत वाीरं कोा बंधि�दोंाने, उसे पाीढ़ाी मंं शुायादों हैी कोोई व्याश्विक्त
            कोी हैत्याा कोे धि�ए राजगुरु, सेखदोंवा और भागत धिसेहै कोो फांसेी कोी   हैोगा धिजसेनेे दोंशु कोी आजादोंी मंं अपानेा याोगदोंाने ने धिदोंयाा हैो। मंं
                                  ु
                                                                            े
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                  ु
            सेजा सेनेाई।                                         आज दोंशु कोी आजादोंी कोी जंग मंं धिजने-धिजने नेे याोगदोंाने धिदोंयाा
                                                                       े
                                                           ं
                              ं
             23 मंाचा� 1931 कोो अग्राजं नेे मंहैाने दोंशुभाक्त राजगुरु, भागत धिसेहै   हैै, बंधि�दोंाने धिदोंए हैं, त्यााग धिकोयाा हैै, तपास्याा कोी हैै, उने सेबंकोो
                                         े
                               े
            और सेुखदोंवा कोो अपारा�ी बंताकोर फांसेी पार �र्टकोा धिदोंयाा। बंतायाा   आदोंरपाूवा�को नेमंने कोरता है, उनेकोा अधिभानेंदोंने कोरता हैं।”  n
                                                                                     ं
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             36  न्यूू इंंडि�यूा समााचाार   16-31 अगस्त, 2024
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