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समा-सामायि�कीी  गुुलाामाी कीे यि�शाा� से माुक्ति�ि










































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            मंमंु� नेे कोई ऐसेे धिनेण�या धि�ए हैं, धिजनेसेे रा�ट्रीपाधित भावाने कोे सेाथा आमं   अशुोको कोा धिसेहै धिशुखर हैै। याहै शु�दों अशुोको वाृक्ष कोो भाी सेदोंधिभा�त
                                                                                             ं
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            �ोगं कोा जड़ावा बंढ़ाा हैै।                          कोरता हैै धिजसेकोा भाारतीया �ाधिमं�को पारपाराओं कोे सेाथा-सेाथा को�ा
                                                                          ृ
               इसेी कोड़ी मंं रा�ट्रीपाधित भावाने, जो भाारत कोे रा�ट्रीपाधित कोा कोायाा��या   और सेंस्कोधित मंं भाी गहैरा मंहैत्वा हैै। ‘अशुोको हैॉ�’ कोा नेामं
            एवां धिनेवाासे हैै, रा�ट्री कोा प्रेतीको और �ोगं कोी एको अमंूल्या धिवारासेत   बंदों�कोर ‘अशुोको मंं�पा’ कोरनेे सेे भााषा मंं एकोरूपाता आती हैै
                                                                                      ु
            हैै। इसेे �ोगं कोे धि�ए और अधि�को से�भा बंनेानेे कोे उद्देेश्या से  े    और ‘अशुोको’ शु�दों सेे जड़े प्रेमंुख मंूल्यां कोो बंरकोरार रखते
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                                                                      ं
            �गातार प्रेयाासे धिकोए जा रहैे हैं। रा�ट्रीपाधित भावाने कोे वाातावारण कोो   हैुए अग्राजीकोरण कोे धिनेशुाने धिमंर्ट जाते हैं। इसेसेे पाहै�े रा�ट्रीपाधित
                                                                       े
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            भाारतीया सेास्कोधितको मंूल्यां एवां नेागरिरकों कोे अनेुरूपा बंनेानेे कोी धिदोंशुा   भावाने श्विस्थात मंुग� गा�टने कोा नेामं बंदों�कोर अमंृत उद्योाने धिकोयाा
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            मंं �गातार प्रेयाासे धिकोए गए हैं। इसेी कोो आगे बंढ़ााते हैुए रा�ट्रीपाधित   गयाा थाा।
            भावाने कोे दोंो मंहैत्वापाण� हैॉ�ं कोे जो नेामं बंदों�े गए हैं उनेमंं ‘दोंरबंार
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            हैॉ�’ रा�ट्रीीया पाुरस्कोार प्रेदोंाने कोरनेे जैसेे मंहैत्वापाण� सेमंारोहैं एवां   नुए लि�रे �े स्वर्यां कूो परिरभाालि�तं कूर रहैंा राष्ट्र
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            उत्सेवां कोा स्था� हैै। ‘दोंरबंार’ शु�दों कोा आशुया भाारतीया शुासेकों वा   अक्सेर, कोछा बंदों�ावा ऐसेे हैोते हैं जो हैमंारे जीवाने कोा धिहैस्सेा
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            अग्राजं कोे दोंरबंार एवां सेभााओं सेे हैै। भाारत कोे गणतं� बंनेनेे कोे बंादों   बंने जाते हैं। एको ऐसेा धिहैस्सेा जो भा�े दोंेखनेे-सेनेनेे मंं बंड़ा नेा
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            इसेकोी प्रेासेंधिगकोता सेमंाप्‍त हैो गई �धिकोने नेामं नेहैं बंदों�ा गयाा।   धिदोंखता हैो �धिकोने वाहै हैमंारी सेोचा मंं बंड़े बंदों�ावा �कोर आता हैै।
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            जबंधिको ‘गणतं�’ कोी अवा�ारणा प्रेाचाीने कोा� सेे भाारतीया सेमंाज मं  ं  �ीको उसेी तरहै जैसेे आजादोंी कोे आदोंो�ने कोे सेमंया चारखा और
                                                                                            ं
            गहैराई सेे धिनेधिहैत हैै, इसेधि�ए इसे आयाोजने स्था� कोे धि�ए ‘गणत�   एको मंुट्‌ �ी नेमंको जैसेे छाोर्टे प्रेतीकोात्मंको प्रेयाासे, धिजन्हैंनेे अग्राजी
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            मं�पा’ एको उपायाुक्त नेामं बंनेा।                    शुासेने कोी नेंवा धिहै�ा दोंी। इधितहैासे सेाक्षी हैै धिको खादोंी कोा एको
               इसेी तरहै ‘अशुोको हैॉ�’ मं�तः एको बंॉ�रूमं थाा। ‘अशुोको’   �ागा, आजादोंी कोे आदोंो�ने कोी ताकोत बंने गयाा, उसेनेे ग�ामंी कोी
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            शु�दों कोा आशुया एको ऐसेे व्याश्विक्त सेे हैै जो “सेभाी को�र्टं सेे मंुक्त”   जजीरं कोो तोड़ धिदोंयाा। �ीको उसेी तरहै अबं जबं एको रा�ट्री कोे रूपा
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            याा “धिकोसेी भाी दोंुःख सेे रधिहैत” हैो। इसेकोे अ�ावाा, ‘अशुोको’   मंं भाारत स्वायां कोो नेए धिसेरे सेे पारिरभााधिषत कोर रहैा हैै तो ग�ामंी कोे
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            कोा आशुया एकोता और शुांधितपाण� सेहै-अश्विस्तत्वा कोे प्रेतीको सेम्राार्ट   प्रेतीकों कोो धिमंर्टानेा भाी रा�ट्री कोा कोत�व्या बंने जाता हैै।
            अशुोको सेे हैै। भाारत गणराज्या कोा रा�ट्रीीया प्रेतीको सेारनेाथा कोे   आइए जाानतेे हैंं कि�स तेरहैं कि�ट रहैंे हैंं गुुलाा�ी �े किनशांा��....
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