Page 62 - NIS Hindi 01-15 October, 2025
P. 62

व्याक्ति��त्� वि�जीयाा�ाजीे विसु�विधायाा






        1919 को जन्र्मं तिवजर्याराजे का तिववाह स  े
        पूहलीे तिकसी राजपूरिरवार से स�ब�धा नहं थाा।
        र्मर्ध्र्य प्रदेेश के सागौर के सार्मान्र्य पूरिरवार र्मं
              े
                              े
        जन्र्म लीने के साथा उन्हंने लीखा तिदेव्र्येश्वरी
        से ग्वातिलीर्यर के तिस�तिधार्या पूरिरवार र्मं तिववाह के
        बादे तिवजर्याराजे र्ताक का सफर ही र्तार्य नहं
        तिकर्या, बल्कि�क सबको अपूना भांी बनार्या। र्यह
                          े
        पूाठ भांी पूढ़ाार्या तिक जनसवा के तिलीए, राजकीर्य
        देातिर्यत्वं के तिलीए तिकसी खास पूरिरवार र्मं जन्र्म
          े
        लीना ही जरूरी नहं होर्ताा। कोई भांी साधाारर्ण
        से साधाारर्ण व्र्यल्किक्र्ता, तिजनके भांीर्तार र्योग्र्यर्ताा
        है, प्रतिर्ताभांा है, देेश सवा की भांावना है, वह
                        े
        इस लीोकर्ता�त्रा र्मं सत्तीा को भांी सवा का र्मार्ध्र्यर्म
                              े
        बना सकर्ताा है। उनके पूास सत् र्ताा, स�पूतित्ती और
        सार्मथ् र्य थाा, लीतिकन उन सबसे बढ़ाकर जो
              म
                    े
        उनकी अर्मानर्ता थाी, वो थाी स�स् कार, सवा और
                                    े
        स् नेह की सरिरर्ताा। सा�सदे और जनस�घ की स�स्थाापूक सदेस्र्य रहं
        राजर्मार्ताा तिवजर्याराजे तिस�तिधार्या ने र्यह सातिबर्ता तिकर्या तिक जनप्रतिर्तातिनतिधा
        के तिलीए राजसत्तीा नहं, जनसवा सबसे र्महत्वपूूर्ण है। र्यही कारर्ण   राजमीाता वि�जयााराजे वि�विधायाा जी केो
                              े
                                            म
                                                                                           ं
        है तिक उन्हंने लीोकर्ता�त्रा की रक्षाा के तिलीए स�घषाम तिकर्या और जीवन   उनकेी जयाती पर आंदरपूणव श्रेद्धाजजिल।
                                                                             ं
                                                                                                   ं
                  म
                            े
        का र्महत् वपूूर्ण कालीख�ड जली र्मं तिबर्ताार्या। आपूार्ताकाली के देौरान
                                                                                  ू
                               े
               े
        तिर्ताहाड़े जली से उन्हंने अपूनी बतिटेर्यं को जो तिचट्ठीी तिलीखी थाी उसर्मं   उन्हैंने अपना परा जी�न जन केल्यााण
                                                                         े
                ु
        उन्हंने बहर्ता बड़ेी सीख देी थाी। उन्हंने तिलीखा थाा- “अपूनी भांावी   और राष्ट् र ��ा केो �मीर्पिपत केर विदयाा। गरीबं
        पूीतिढ़ार्यं को सीना र्ताानकर जीने की प्रेरर्णा तिर्मलीे, इस उद्देेश्र्य से हर्मं   और �विचतं के जिलए प्रयाा�, �शक्त भाारत के
                                                                             े
                                                                                                           े
                                                                     ं
        आज की तिवपूदेा को धाैर्य के साथा झेेलीना चातिहए।”     विनमीावण मीं हैर विके�ी केो प्रेटिरत केरने �ाले हैं।
                          म
          आर्मजन के प्रतिर्ता तिवजर्याराजे तिस�तिधार्या की भांावना को र्मथारा के
                                                    ु
        बाकतिबहारी र्म�तिदेर र्मं देशमन के देौरान की गौई उनकी उस प्राथामना से   �है �ाहै� और दूरदर्शिशता केा पयाावया थं।
            े
          �
        सर्मझेा जा सकर्ताा है, तिजसर्मं उन्हंने भांगौवान कृष्र्ण से र्यह कार्मना   -नरद्र मीोदी, प्रधाानमींत्रीी
                                                                             ं
                             ु
        की थाी-“हे कृष्र्ण! ऐसी बासरी बजाओ तिक पूूरे भांारर्ता के नर-नारी
                            �
                                                  े
        पूनः जागौरूक हो उठं।” नारीशल्किक्र्ता के बारे र्मं र्ताो वो तिवशषार्ताौर पूर   र्मं कहा है “एक तिदेन र्ये शरीर र्यहं रह जाएगौा, आत्र्मा जहा� से आई
         ु
                                    ु
        कहर्ताी थां तिक-“जो हाथा पूालीने को झेलीा सकर्ताा है, वह तिवश् व पूर   है, वहं चलीी जाएगौी� शून्र्य से शून्र्य र्मं। स्र्मृतिर्तार्या� रह जाए�गौी। अपूनी
                                                                                                     े
        राज भांी कर सकर्ताे हं।” आर्ध् र्याल्कित्र्मकर्ताा के साथा भांी उनका गौहरा   इन स्र्मृतिर्तार्यं को र्मं उनके तिलीए छोोड़े जाऊगौी, तिजनसे र्मरा सरोकार
                                                                                           ं
          ु
        जड़ेाव थाा। साधाना, उपूासना, भांल्किक्र्ता उनके अ�र्तार्ममन र्मं रची बसी   रहा है, तिजनकी र्मं सरोकार रही हू�।” ऐसे कई र्मौके आए जब पूदे
                                                                                   े
        थाी, लीतिकन जब वो भांगौवान की उपूासना करर्ताी थां र्ताो उनके पूूजा   उनके पूास चली कर आए लीतिकन उन्हंने उसे तिवनम्रर्ताा के साथा
             े
        र्म�तिदेर र्मं एक तिचत्रा भांारर्ता र्मार्ताा का भांी होर्ताा थाा। अद्भुर्ता स�र्योगौ है   ठुकरा तिदेर्या। 25 जनवरी 2001 को उनका तिनधान हो गौर्या। 12
        तिक रार्मजन्र्मभांतिर्म र्म�तिदेर तिनर्मामर्ण के तिलीए उन्हंने जो स�घषाम तिकर्या,   अक्टेूबर 2020 को प्रधाानर्म�त्राी नरंद्र र्मोदेी ने राजर्मार्ताा तिवजर्याराजे
                   ू
        उनकी जन्र्मशर्ताा�देी के साली र्मं ही उनका वह सपूना भांी पूूरा हुआ।   तिस�तिधार्या के जन्र्मशर्ताी सर्मारोह के उपूलीक्ष्र्य र्मं 100 रुपूर्ये के र्म�र्य
                                                                                                           ू
           अपूनी स्र्मृतिर्तार्यं को लीेकर तिवजर्याराजे ने अपूनी तिलीखी एक तिकर्तााब   का तिवशषा स्र्मारक तिसक्का जारी तिकर्या। n
                                                                   े
         60
         60  न्यूू इंंनि�यूा संमाचाार | 1-15 अक्टूूबर 2025
   57   58   59   60   61   62   63   64