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नया सवेरा   स्वास्थय आय्वद-योग को हमली पिचान
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                                           वे
                   नई उम्मीद




                          आ्पकमी जमीवनशैलमी अब




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                          आयुवहदक










         अ               िग से आयुष नवभ़ाग क़ा मंत़्ािय बऩाकर 2014 के ब़ाद से केंद्र सरक़ार ने सव़ास्थय सेव़ाओं में आयुववेद, योग

                                                                  कृ
                         और अन्य प़ारंपररक नचनकतस़ा प्रण़ानियों को एकीकत करने क़ा प्रय़ास नकय़ा। भ़ारत के प्रय़ासों की वजह से
                         दुननय़ा में 21 जून 2015 से अंतरऱा्ट्रीय योग नदवस की शुरुआत हुई। उसी क़ा नतीज़ा है नक अच़ानक आई
                         कोरोऩा जैसी मह़ाम़ारी में आयुववेद-योग ने देश की रक़्ा की तो दुननय़ा को भी इस प्ऱाचीन परंपऱा की त़ाकत क़ा
                         अहस़ास कऱाय़ा। समग्रत़ा में सव़ास्थय समसय़ाओं क़ा ननद़ान करने व़ािे आयुववेद क़ा ब़ाज़ार अब देश-दुननय़ा
                         में तेजी से बढ रह़ा तो भ़ारत अपनी सभयत़ा की इस पहच़ान क़ा प्रणेत़ा बनने को है तैय़ार


                   आयुववेद भ़ारत की एक नवऱासत है, नजसके नवसत़ार में पूरी म़ानवत़ा
                   की भि़ाई है। ये देखकर नकस भ़ारतीय को खुशी नहीं होगी नक हम़ाऱा

                   प़ारंपररक ज़्ान अब अन्य देशों को भी समृद्ध कर रह़ा है।




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        आरयुववेद कली बढ़तली महत्ा पर प्रधानमंत्रली नरेंद्र मोदली का रे कथन   दननरा कली सबसे प्राचलीन पद्धनत कली ओर न नसफ्फ लोगों का रूझान
        कोरोना जैसली वैस्शवक महामारली के काल में और भली अहम सानबत हआ   बढ़ा है बस्लक आरयुववेद ने भली आधननकता के साथ तालमेल कर पांव
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                                                                                     यु
        है। कोरोना कली कोई दवाई नहीं होने कली वजह से आरयुववेद और रोग हली   पसारना शरू कर नदरा है।
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        एक ऐसा माधरम बना नजससे लोगों ने अपनली रोग प्रनतरोधक क्मता   आ्य्ववेद बन रहा जी्वन िा अंग
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        को बढारा और इस महामारली से बचाव नकरा। आधननक नचनकतसा से   आज शारद हली कोई ऐसा ्र होगा, जहां आरयुववेद से जड़ा एकाध
                                                                                                      यु
        जड़े नवशेषज् भली रह मानते हैं नक कोरोना का बचाव अपने शरलीर कली   उतपादन मौजूद नहीं हो। अंग्जली दवाओं के दयुषप्रभाव (साइड इफेकटस)
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        रोग प्रनतरोधक क्मता को बढ़ाकर हली नकरा जा सकता है। रहली वजह   कली आशंका के मद्नजर लोग सौंदर प्रसाधन से लेकर भोजन तक
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        है नक कोरोना के इस काल में दननरा कली ननगाहें भारत के आरयुववेद   में हबयाल उतपाद का प्ररोग करने लगे हैं। अननरनमत जलीवन शैलली से
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        और रोग कली परंपरा पर नटकली रहली। दननरा के देश भली अब आरयुववेद   परेशान लोगों के जलीवन में आरयुववेद एक आवशरक अंग बन गरा है।
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        कली शस्कत को ट्वलीकारने लगे हैं। ऐसे में रह सवाल अहम हो जाता है   आठ शाखाओं में बंटी है आ्य्ववेद किकितसा
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        नक करा अब आरयुववेद दवाई कली पयुनड़रा के संकुनचत नजररए से बाहर   आरयुववेद को लेकर लंबे समर तक नमथक भली रहा है और इसे एलोपैथली
        ननकलने को है? इसका जवाब ननस्शचत तौर से हां में होगा करोंनक
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