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स्वास्थय आय्वद-योग को हमली पिचान नया सवेरा
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नई उम्मीद
आयु्ववेद ्ें कया है खास
प्ऱाचीन नचनकतस़ा पद्धनत अब आधुननकत़ा के स़ाथ कदमत़ाि कर रही है तो िोगों क़ा भी
धय़ान, स़ाधऩा से िेकर नचनकतस़ा तक क़ा आकषमाक पैकेज मुहैय़ा कऱा रही है।
पयमाटन सुनवध़ाएं
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अननरनमत जलीवनशैलली कली वजह से होने वालली बलीमारररों के आरयुववेद से जड़े अट्पतालों और दवाई दकानों कली संखरा बेहद तेजली से
साथ माननसक तनाव को कम करने के नलए रोग, साधना बढ़ली है। नदललली में हली एमस कली तजया पर अनखल भारतलीर आरयुववेद संट्थान
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और आरयुवद कली तरफ बढ़ रहे हैं। ऐसे में केरल, बेंगलयुरू, 2016 से आधननक सयुनवधाओं के साथ शोध पर काम कर रहा है।
हररविार, ऋ नषकेश, तनमलनाडु, नहमाचल प्रदेश, उत्राखंड
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जैसे क्त्र आरयुवद के क्त्र में मनडकल टूररजम का केंद्र बनकर उभरे हैं। ब़ाज़ार
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दननरा के आरयुववेद बाजार में भारत कली स्ट्थनत 2014
पंचकममा से पहले बहत मजबूत नहीं थली। जबनक इसका वैस्शवक
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शरलीर में ननतर नकरा कम के जररए होने वालली साफ-सफाई के बावजूद नवषैल े बाजार अनमाननत तौर पर 80 अरब अमेररकली डॉलर
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ततव उसली तरह जमा रह जाते हैं, जैसे पानली कली टकली में गाद। ऐसे में पंचकमया ऐसली का है नजसका 2050 तक 6 खरब होने का अनमान
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पद्धनत है नजसमें वमन, नवरेचन, नट्र, वट्तली और रकतमोक्ण कली नकराएं हैं। है। ऐसे में इस प्राचलीन सभरता का अगवा भारत के सामने सनहरा
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नवशेषज्ों के मतानबक इससे कोमोजोम ट्तर तक कली सफाई हो जातली है। अवसर है।
जग रही उममीद आरयुववेद कली महत्ा को इस उदाहरण से भली समझा जा सकता है। 2015 कली जलाई में अफगाननट्तान से आए तब 8
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वषमीर मो. मूसा कली गदयान अपने सहारे नहीं नटक पातली थली। अफगाननट्तान और भारत के बड़े अट्पतालों में उसका
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ईलाज नहीं हो पारा तो उसके नपता रूसफ नईमली ने आरयुववेद का सहारा नलरा। महज छह महलीने के आरयुवनदक
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इलाज से मूसा जो दो नमनट भली खड़े होकर काम नहीं कर पाता था, करलीब 6-8 नमनट काम करने लगा।
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के प्रनतट्पधमी वरवट्था के तौर पर पेश करते हए कमतर नदखारा अप्रनशनक्त बतारा गरा और अंग्जों ने कानून लाकर एलोपैथली को
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जाता रहा है। लेनकन सहली मारने में रह एलोपैथली का सहारक है। अननवार करते हए आरयुववेद, रूनानली, होमरोपैथली नचनकतसा को बाहर
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एलोपैथली तवररत राहत देता है तो आरयुववेद कली प्रनकरा रोगों को जड़ कर नदरा।
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से खतम करने का काम करतली है। सजयारली से लेकर कैंसर जैसली गंभलीर देश में ्योग-आ्य्ववेद िा आकधिाररि सफर
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बलीमारररों का इलाज आरयुववेद के ग्थों में दजया है। 1,000 ई.पू. में आजादली के दो दशक बाद 1970 में कानून के जररए आरयुवद, रूनानली,
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हली आरयुववेद नचनकतसा को आठ खंडों में बांटा गरा था। इनमें कार नसद्ध के नचनकतसकों को कानूनली संरक्ण नमला। पहलली बार 1995 में
नचनकतसा (मेनडसलीन), बाल नचनकतसा, मानस रोग (नरूरोलॉजली), इसे अलग नवभाग बनारा गरा और 2003 में अटल नबहारली वाजपरली
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शलर नचनकतसा (सजयारली), शालकर नचनकतसा (ईएनटली-दांत), कली सरकार के समर इसे आरष नाम नदरा गरा। लनकन 2014 में
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अगद तंत्र (टॉस्कसकोलॉजली), रसारन नचनकतसा और वृषर नचनकतसा प्रधानमत्रली बनने के बाद नरेंद्र मोदली ने आरष का अलग मत्रालर बनाकर
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(अगलली पलीढ़ली को ट्वट्थ रखना) शानमल है। दादली-नानली कली नपटारली आरयुवद और रोग को नवशव ट्तर पर नई पहचान नदलाने का नजममा
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और रसोई ्र में साधारण बलीमारररों से ननपटने का नयुट्खा आरयुववेद उठारा। प्रधानमत्रली बनने के चार महलीने के भलीतर प्रधानमत्रली मोदली न े
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ने नदरा है, लेनकन इतना वरापक होकर भली आरयुववेद लंबे समर तक 27 नसतंबर 2014 को रोग को अंतरराषरिलीर पहचान नदलाने कली पहल
भारत में इतना करों नपछड़ गरा? 11वीं-12वीं सदली में बाहरली हमलों सरकत राषरि के मंच से कली और 11 नदसंबर को को सरकत राषरि महासभा
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ने इसे नकसान पहंचारा और नबनटश राज में 1835 में आरयुववेद पर के 193 सदट्र देशों और 177 सह समथयाक देशों ने 21 जून को हर साल
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सलीधा हमला हआ। तब कोलकाता में आरयुववेद कॉलेज को बंद कर अंतरराषरिलीर रोग नदवस मनाने का संकलप सवयासममनत से ट्वलीकार कर
उसे आधननक मेनडकल कॉलेज में तबदलील कर नदरा गरा। वैद्ों को नलरा। उसके बाद से हर साल 21 जून को इसका आरोजन हो रहा है।
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न्यू इंडिया समाचार 19