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आलेख             गांधी जयंती





























                 भारत और विशि को क्यों है




                         गांधी की आिश्यकता?






              एक महान नेता विनहोंने  ऐसी दुवन्या की कल्पना की िहां हर


              नागररक का िीिन गररमा और समृवधि से ्परर्पूर्ण हो


                                                                              -नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्ी




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                     षया  1959  में  डॉ.  मानटि  लूथर  नकरंग  र्ूनिरर   महसूस नकरा नक अनहंसक प्रनतरोध का वहां नवट्तार नकरा र्ा
                     अमेररका  से  भारत  आए  तो  उनहचोंिे  कहा,  ‘मैं   सकता है। हमें राद आता है नक दनक्षण अफ्लीका में भली नसफ्फ बॉरकाट
             व दूसरे  देशचों  में  एक  परटक  कली  तरह  र्ा  सकता   हुए हैं।’
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            हं,  लनकि  भारत  में  एक  तलीथयारात्रली  हं।’  उनहचोंिे  आगे  कहा,     िेलसि मंडेला िे गांधलीर्ली को ‘पनवत्र रोधिा’ कहते हुए नलखा,
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            ‘भारत एक ऐसली भनम है र्हां अनहंसक सामानर्क बदलाव कली   ‘असहरोग कली उिकली रणिलीनत, उिका इस बात पर र्ोर दिा नक
                                     ें
            तकिलीकें नवकनसत कली गईं, नर्नह मेरे लोगचों िे अलाबामा के   हम पर नकसली का प्रभुतव तभली चलेगा र्ब हम, हमें अधलीि रखि  े
            मचोंटगोमेरली और दनक्षण अमेररका में आर्मारा है। हमिे उनह  ें  वाले से सहरोग करेंगे। उिके अनहंसक प्रनतरोध िे हमारली सदली में
            प्रभावली पारा है- वे काम करतली हैं!’               कई उपनिवेश और िट्लवाद नवरोधली आंदोलिचों को अंतरराषरिलीर
              डॉ. नकरंग भारत आए, उसका कारण राह नदखािे वालली रोशिली   ट्तर पर प्रररत नकरा।’ मंडेला के नलए गांधली भारतलीर और दनक्षण
                                                                      े
            मोहि दास करमचंद गांधली थे। बापू दुनिराभर में करोड़चों लोगचों को   अफ्लीकली थे। उिमें मािव समार् के सबसे बड़े नवरोधाभासचों में पुल
                                                                                                       ं
            आर् भली हौसला दे रहे हैं। प्रनतरोध के गांधलीवादली तरलीकचों िे कई   बििे कली अिूठली रोगरता थली। 1925 में गांधलीर्ली िे ‘रंग इनडरा’ में
            अफ्लीकली देशचों में उममलीद कली भाविा प्रजवनलत कली। डॉ. नकरंग िे कहा   नलखा : ‘नकसली वरस्कत के नलए राषरिवादली हुए बगैर अंतरराषरिलीरवादली
            था, ‘र्ब मैं पस्शचम अफ्लीका में घािा गरा तो प्रधािमत्रली िक्रुमाह   होिा असंभव है। अंतरराषरिलीरवाद तभली संभव होता है र्ब राषरिवाद
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            िे मुझसे कहा नक उनहचोंिे गांधलीर्ली के काम के बारे में पढ़ा है और   एक तरर बि र्ाता है अथायात र्ब अलग-अलग देशचों के लोग




          6    न्यू इंडिया समाचार
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