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आलेख गांधी जयंती
गहरा संबंध देखा। उनहचोंिे ऐसली दुनिरा कली कलपिा कली थली, नर्समें
हर िागररक के नलए गररमा व समृनधि हो। र्ब दुनिरा अनधकारचों
कली बात करतली है तो गांधली कतयावरचों पर र्ोर देते हैं। उनहचोंिे ‘रंग
इंनडरा’ में नलखा : ‘कतयावर हली अनधकारचों का सच्ा स्ोत है।
दुनिया में कई जि-आंदोलि हुए रनद हम सब अपिे कतयावरचों का निवयाहि करें तो अनधकार जरादा
ं
हैं। कई तरह के ्सवतत्ता संघर री दूर िहीं रहेंगे।’ ‘हररर्ि’ पनत्रका में उनहचोंिे नलखा, ‘र्ो अपिे
्
कतयावरचों को वरवस्ट्थत ढंग से अंर्ाम देता है उसे अनधकार अपिे
हुए हैं, लनकि जिता की वयापक आप नमल र्ाते हैं।’ धरतली के उत्तरानधकारली के रूप में हम इसके
े
रागीदारी गांधीवादी संघर को सबस े कलराण के नलए भली नर्ममेदार हैं, नर्समें इसकली विट्पनतरां और
्
र्लीव शानमल हैं। गांधलीर्ली के रूप में हमें मागयादशयाि देिे वाला
अलग करती ह ै सवयाश्रेषठ नशक्षक उपलबध है। मािवता में भरोसा रखिे वालचों
को एकर्ुट करिे से लेकर नटकाऊ नवकास को आगे बढ़ािे और
आनथयाक ट्वावलमबि सुनिस्शचत करिे तक गांधली हर समट्रा का
समाधाि देते हैं। हम भारतलीर इस नदशा में अपिा दानरतव निभा
रहे हैं। र्हां तक गरलीबली नमटािे कली बात है भारत सबसे तेर्ली से
काम करिे वाले देशचों में है। ट्वच्छता के हमारे प्ररासचों िे दुनिरा
या
संगनठत होते हैं तब सब नमलकर कार करिे में कामराब होते हैं।’ उनहचोंि े का धराि खींचा है। इंटरिेशिल सोलर अलारंस र्ैसे प्ररासचों के
भारतलीर राषरिवाद कली इस रूप में कलपिा कली थली नक र्ो संकुनचत ि हो माधरम से भारत अक्षर ऊर्ाया स्ोतचों के दोहि में अग्णली भूनमका
बस्लक ऐसा हो र्ो पूरली मािवता कली सेवा करे। निभा रहा है।
महातमा गांधली समार् के सभली वगकों में भरोसे के प्रतलीक भली थे। 1917 इस अलारंस िे कई देशचों को नटकाऊ भनवषर कली खानतर
ु
में गर्रात के अहमदाबाद में कपड़ा नमल कली बड़ली हड़ताल हुई। र्ब सौर ऊर्ाया के दोहि के नलए एकर्ुट नकरा है। हम दुनिरा के
नमल मानलकचों और श्रनमकचों के बलीच टकराव बहुत बढ़ गरा तो गांधलीर्ली साथ नमलकर दुनिरा के नलए और भली बहुत कु्छ करिा चाहते
िे मधरट्थता करके नरारसंगत समझौता करारा। गांधलीर्ली िे श्रनमकचों के हैं।गांधलीर्ली को श्रधिांर्नल देेिे के नलए मैं उस बात कली पेशकश
अनधकारचों के नलए मर्ूर महार्ि संघ गनठत नकरा था। इससे उर्ागर करता हूं नर्से मैं आइंट्टलीि चैलेंर् कहता हूं। हम गांधलीर्ली के
होता है नक कैसे ्छोटे कदम बड़ा प्रभाव ्छोड़ते हैं। उि नदिचों ‘महार्ि’ बारे में अलबटटि आइंट्टलीि का प्रनसधि वकतवर र्ािते हैं, ‘आिे
शबद का उपरोग श्रेषठ वग के नलए आदर ट्वरूप प्ररोग नकरा र्ाता था। वालली पलीनढ़रां मुस्शकल से हली नवशवास करेंगली नक रकत-मांस का
या
गांधलीर्ली िे ‘महार्ि’ के साथ ‘मर्ूर’ र्ोड़कर सामानर्क संरचिा को र्लीता-र्ागता ऐसा कोई वरस्कत धरतली पर हुआ था।’ हम रह कैसे
उलट नदरा। श्रनमकचों के गौरव को बढ़ा नदरा। गांधलीर्ली िे साधारण चलीर्चों सुनिस्शचत करें नक गांधलीर्ली के आदशया भावली पलीनढ़रां भली राद रखें?
को वरापक र्िमािस कली रार्िलीनत से र्ोड़ा। वाट्तव में चरखे और मैं नवचारकचों, उद्यनमरचों और टेक्ोलॉर्ली ललीडसया को आमंनत्रत
खादली को राषरि कली आतम-निभयारता और सशस्कतकरण से और कौि र्ोड़ करता हूं नक वे इिोवेशि के र्रररे गांधलीर्ली के नवचारचों को फैलािे
सकता था। चुटकली भर िमक से कौि नवशाल र्ि-आंदोलि खड़ा कर में अग्णली भूनमका निभाएं।
सकता था! औपनिवेनशक रार् में िमक कािि के तहत भारतलीर िमक आइए, हमारली दुनिरा को समृधि बिािे और िफरत और
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पर लगारा िरा टैकस बोझ था। 1930 कली दांडली रात्रा के माधरम से तकललीफचों से मुकत करिे के नलए कधे से कधा नमलाकर काम
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गांधलीर्ली िे िमक कािि को चुिौतली दली अौर ऐनतहानसक सनविर अवज्ा करें। तभली हम महातमा गांधली के सपिे को पूरा करेंगे, र्ो उिके
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आंदोलि शुरू हो गरा। दुनिरा में कई र्ि-आंदोलि हुए हैं, कई तरह नप्रर भर्ि ‘वैषणव र्ि तो’ में वरकत हुआ है। रह कहता है
के ट्वतंत्रता संघषया भली, लेनकि र्िता कली वरापक भागलीदारली गांधलीवादली नक सच्ा मािव वह है र्ो दूसरे के ददया को महसूस कर सके,
संघषया रा उिसे प्रेररत संघषकों को सबसे अलग करतली है। तकललीफचों को दूर करें और इसका उसे कभली अहंकार ि हो।
उिके नलए ट्वाधलीिता नवदेशली शासि कली गैर-मौर्ूदगली का िाम दुवन्या का आ्पको नमन, वप्र्य बा्पू!
िहीं था। उनहचोंिे रार्िलीनतक ट्वतंत्रता और वरस्कतगत सशस्कतकरण में
(बा्पू की 150िीं ि्यंती ्पर प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी द्ारा विखा ग्या आिेख)
न्यू इंडिया समाचार 7