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आिरण कथा


                                                               छ                    त्तीसगढ़  में  बिलासपुर  के







                                                                                    ग्ाम लोखंडती कती मबिलाओं ने
           आजादी की 75वीं वर्षगांठ को                                               आजादती  के  अमृत  मिोतसव
           उत्सव का रूप देकर नए भारत                                                के  तित  परायावरण  संरक्षण
                                                                                    और  ग्ामतीण  बवकास  को
           के ्संक्प को ्साकार करने में                       लेकर अनूठा उदािरण पेश बकरा। गांव कती िंजर पड़ती

           जुटी भारत ्सरकार ने नई पहि,                        सरकारती जमतीन में िाररश के बदनों में पानती का संचर
           का््षक्रमों और प्ररत्ोरगताओं                       िोता था। लेबकन समुबचत प्रिंधन न िोने से पानती जलद

           के ्साथ भारत के वत्षमान और                         सूख जाता था। गांव कती 410 मबिलाओं ने जल सिेलती
           भरवष्् की ्ोजना को रद्ा                            सवसिारता समूि िनाकर इस िंजर जमतीन पर छि

           आकार, तारक जब देश आजादी                            मितीने कती मेिनत से तालाि िना बदरा। अि िाररश का

           की 100वीं वर्षगांठ मनाए तब                         पानती इसमें संबचत िोने लगा िै। इसमें मछलती के साथ
                                                              वे ितख पालन कर रिती िैं। इससे िोने वालती आर का
           ्सबके प्र्ा्स ्से आतमरनभ्षर भारत                   30 प्रबतशत बिससा गांव के बवकास में खचया करने का

           का ्सपना हो ्साकार। िरकन                           बनणयार बलरा गरा िै।
                                        े
           आजादी की नींव पर खड़ी हुई ्े                          इसती तरि िररराणा के रमुनानगर में आजादती का
           भव् इमारत, राष्ट्र की मंरजि                        अमृत मिोतसव के तित शुरू बकए गए पाठन कौशल

                                                                  या
           नहीं, माग्ष है, एक नए भारत की                      कारक्रम  के  सकारातमक  पररणाम  बमलने  लगे  िैं।
           शुरुआत है…                                         िच्ों को पाठन से जोड़ने कती पिल अि आगे िढ़ने
                                                                                           े
                                                              लगती िै। राजकतीर सककूलों के िच् अि सककूलती काम से
                                                              अलग ज्ानवधयाक बकतािों को पढ़कर परंपरागत बशक्षा
                         े
                                          ्ष
           आजादी क 75 िर्ष पूर होने
                                                              से ऊपर उठकर अपने कौशल को िढ़ाने का प्ररास
             े
           क अिसर पर आइए जानते ह                   ैं         कर रिे िैं। राजकतीर सककूलों के िच्ों को बशक्षा के
                                                                                                      या
           वक कसे जन सहभागिता से                              क्षेत्र में उन्नत करने के बलए पाठन कौशल कारक्रम कती
                  ै
                                                                                                         या
           उत्सि को संकल्प में बदलते                          शुरुआत करने का बनणयार बलरा गरा िै। इस कारक्रम
                                                              के अंतगयात कक्षा 3 से आठवीं तक के सभती िच्ों को
           हुए प्रधानमंत्ी नरेंद्र मोदी ने
                                                                   े
                                                              लाइब्रती में प्रबतबदन आधा रा एक घंटा बकताि पढ़ने
                    े
           राष्ट् क विकास को दी ितत
                                                              के बलए दती जातती िै बजसे िच् अधरापक के मागयादशयान
                                                                                        े
           तो समृद्ध विरासत को नई                             में  पढ़ते  िैं  कुछ  िच्  कबवता,  कुछ  िच्  किाबनरां
                                                                                                    े
                                                                                  े
                                                                                                      े
           पहचान और ‘सबका प्रयास'                             रा अनर बकतािों में रुबच बदखा रिे िैं। िच् बकतािें
                                                              पढ़ने के िाद अपनती किाबनरों को सुिि प्राथयाना सभा
           बन रहा स्वररणिम भारत का
                                                                                  या
                                                              में सुनाते िैं। इस कारक्रम से िच्ों में सवरं बलखने
           आधार
                                                              व पढ़ने कती प्रबतभा भती उजागर िो रिती िै। िररराणा के
                                                              िती कुरुक्षेत्र के बकरमच गांव में अमृत सरोवर रोजना

                                                                                    न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 अगस्त 2022 17
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