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दुरन्ा में ्सब्से बड़ा दद्ष है, अपनों ्से रबछड़ने का दद्ष।
                                                                    करीब ्सात दशक पहिे जब देश आजाद हुआ, तो
                                                                    आजादी के ्साथ ्ही दद्ष भी िेकर आ्ा, रज्सने न
                                                                    जाने रकतने अपनों को रबछड़ने पर मजबूर कर रद्ा।
        विभाजन विभीविका                                             बता्ा जाता है रक इ्स दौरान भारत और पारकसतान,
                                                                                   ं
                                                                    दोनों तरर भड़की रह्सा में िाखों की जान चिी गई तो
                                                                    िाखों िोग ऐ्से थे, रजनके र्सर ्से छत रछन चुकी थी।
                                                                    उन िोगों की समृरत में ही बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
         स्मृति दििस                                                ने हर ्साि 14 अगसत के रदन रवभाजन रवभीररका

                                                                    समृरत रदव्स के रूप में ्ाद करने की घोर्ा की थी,
                                                                    तारक हमारी नई पीढ़ी को ्ह रदन भेदभाव, वैमनस्
                                                                    और दुभा्षवना के जहर को खतम करने के ्साथ एकता,
                             14 अगसत                                ्सामारजक ्सद्ाव और मानवी् ्संवेदनाओं को मजबूत
                                                                    करने के रिए प्रेररत करे।









                रवभाजन रवभीररका समृरत रदव्स' हमें ्ह ्ाद

                रदिाता रहेगा रक ्सामारजक भेदभाव और
                वैमन्स् को रमटाने की तथा एकता, ्सामारजक

                ्समर्सता और मानवी् ्संवेदनाओं को मजबूत

                करने की जरूरत है।       - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री
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