Page 8 - NIS Hindi 01-15 July 2022
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वयककिति कैप्टन विक्रम बत्रा
गिमाचल का लाल बना
कारगिल
का ‘शेर’
जनम : 9 िसतंबर 1974
मृतयु : 7 जुलाई 1999
तारीि 1 जन 1999, जब लस्टनेंट द्वक्रम बत्ा को उनकी टुकडी के सा् कारद्गल यधि में रेजा गया। वहां द्वक्रम बत्ा ने न केवल अपने अदमय
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साहस और वीरता का पररचय द्दया बसलक बेहद दग्भम क्ेत् होने के बावजद अपने साद््यों के सा् 20 जन 1999 को सुबह तीन बजकर 30 द्मनट
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पर श्ीनगर-लेह माग्भ के ठीक सबसे ऊपर 5140 चोटी को पाद्कसतानी सेना के कबज से मुकत करा द्लया। द्वक्रम बत्ा ने जब इस चोटी से रद्डयो के
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जररए अपना द्वजय घोर् ‘यह द्दल मांगे मोर’ कहा, तो सेना ही नहीं बसलक परे रारत में उनका नाम ्ा गया। यधि के मैदान में ही उनह कैपटन की रैंक
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दी गई। कारद्गल के पांच सबसे महतवपमूण्भ चोटी जीतने में मुखय रमूद्मका द्नराने वाले द्वक्रम बत्ा 7 जुलाई 1999 को शहीद हो गए लद्कन दद्नया
को द्दिा द्दया द्क रारतीय जवान रारत माता की रक्ा के द्लए मर द्मटने से पी्छे नहीं हटते...
पा नकट्तानली सेना से 5140 चोटली कबजे में लेने के बाद उनकली इस बहादुिली के नलए भाित सिकाि ने कैपटन नवक्म बत्रा
7 जुलाई 1999 को कैपटन नवक्म बत्रा को अगला
को मिणोपिांत सववोच्च औि सबसे प्रनतस्ष्ठत पुिट्काि पिमवलीि
लक्र नदरा गरा पवाइंट 4875 को जलीतने का। उस
समर उनकली तनबरत खिाब थली। उनके सलीने में ददया चक् से सममाननत नकरा था। ु े
नहमाचल प्रदेश के पालमपि में 9 नसतंबि 1974 को जनम नवक्म
था औि आंख सुखया लाल हो चुकली थीं। उनके अनधकािली उनहें ऊपि बत्रा को बचपन से फौजली बनने का जुनून सा था। भाितलीर सेना में जान े
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भेजने में नझझक िहे थे लेनकन बत्रा ने हली का जजबा नवक्म में 1985 में दिदशयान
खुद जोि दे कि कहा नक वो इस काम को दोसत से कहा ्ा- मैं जीत पि प्रसारित एक सलीरिरल ‘पिमवलीि चक्'
पूिा किेंगे। दुशमनों से इस चोटली को मुकत देख कि पैदा हुआ था। रहली कािण है नक
किाने के नलए नवक्म बत्रा ने अपनली जान के बाद नतरंिा लहरा कर मचट नेवली में हांगकांग कली एक नशनपंग
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कली पिवाह नहीं कली औि अपनली आनखिली आऊंिा ्ा निर उसी नतरंिे कंपनली में चरन होने के बावजूद नवक्म
सांस तक लड़ते हुए वलीिगनत को प्रापत में नलपट कर आऊंिा। ने सेना के करिरि को हली प्राथनमकता दली।
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हुए। नवक्म बत्रा, कािनगल रधि के उस लेनकि आऊंिा जरूर। फौज में भतती होने पि नवक्म को उसके
नसपाहली का एक चेहिा बन गए थे जो एक दोट्त ने जब कहा, ‘अब तुम फौज
अपनली मातृभूनम कली िक्ा के नलए सलीमा पि में हो। अपना धरान िखना...’ तो उनहोंन े
गए औि शहलीद हो गए। 16 जून को कैपटन ने अपने जुड़वां भाई जवाब नदरा, ‘नचंता मत किो। रा तो मैं जलीत के बाद नतिंगा लहिा कि
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नवशाल को द्ास सेकटि से नचट्ली में नलखा था - ‘नप्रर कुश, मां औि आऊंगा रा नफि उसली नतिंगे में नलपट कि आऊंगा। लनकन आऊंगा
या
नपताजली का खराल िखना। रहां कुछ भली हो सकता है।’ जरूि।’ नवक्म बत्रा के शौर औि पिाक्म का हली प्रभाव था नक उनके
दिअसल, पानकट्तान ने जब धोखे से 1999 में कािनगल बािे में खुद ततकाललीन भाितलीर सेना प्रमुख ने एक बाि कहा था नक
कली कई चोनटरों पि कबजा कि नलरा, तब भाितलीर सेना ने उन ‘अगि वो नजंदा वापस आते, तो वह भाितलीर सेना के प्रमुख बन गए
चोनटरों को कबजा मुकत किाने के नलए ऑपिेशन नवजर शुरू होते।’ नवक्म बत्रा के हौसले औि कद-का्ठली को देखते हुए उनह ें
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नकरा था। इस रधि में 24 साल के रुवक कैपटन नवक्म बत्रा कािनगल के रधि के दौिान कोि नाम 'शिशाह' नदरा गरा था औि
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ने सबसे महतवपूणया भूनमका ननभाई थली। कािनगल रधि के दौिान पानकट्तान में आज भली लोग उनह इसली नाम से जानते हैं। ‘कािनगल के
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शहलीद होने से पहले नवक्म बत्रा ने कई पानकट्तानली सैननकों को शि’ के नाम से भली जाने जाने वाले नवक्म बत्रा कली शहादत के बाद
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मौत के घाट उतािा था औि अपने बहुत से सानथरों को बचारा था। पवाइंट 4875 चोटली को बत्रा टॉप का नाम नदरा गरा है। n
6 न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 जुलाई 2022