Page 39 - NIS Hindi 16-31 Aug 2022
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वयसकततव ्सुभद्ा कुमारी चरौहान




                     नज्होंिे कनव्ता में नपरोई




                     झांसी की रािी की वीर्ता






                                                                                                      ने
         भारत ्े इडतहास में क्डरि् अपनी अपनी तलवार ्े डलए प्रडसर् रह हैं, लनेड्न ए् क्रिाणी ऐसी भी थीं, डजनहोंन अपनी
                                                                 ने
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          ्लम ्ो तलवार बना्ा। वो भी ए् ऐस सम् में जब साव्षजडन् जीवन में मडहलाओं ्ी भागीदारी ्ो लने्र बहस
         और मुडहम दोनों ्ो ताड््फ् मु्ाम त् पहुंचान ्े डलए ्ई सतरों पर संघर्ष चल रहा था, बावजद इस्े आजादी ्े चार
                                                 ने
                                                                                        यू
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         दश् पयूव्ष जनम लन वाली भारत ्ी ए् बटी सुभद्ा ्ुमारी चरौहान न अपन दश ्े डलए ्लम उठाई और घर स बाहर
                         ने
                                                                         ने
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          डन्ल्र आंदोलनों में शाडमल होन ्ा साहडस् िैसला ड््ा। व महातमा गांधी ्े असह्ोग आंदोलन में भाग लन    ने
                                                                  ने
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          वाली पहली मडहला सनानी बनीं तो दशभर में उनहें पहचान डदलाई उस ्ालज्ी रचना न, डजसमें उनहोंन मडण्डण्ष्ा
                                         ने
                                                                                    ने
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               ्ी वीरता ्ो ्डवता में डपरो्र उनहें ‘झांसी ्ी रानी’ ्े माध्म स हर शखस ्ी जुबां त् पहुंचा डद्ा...
                                                                       ने
        ि्मक उठी सन् सत्ावि ्में, वह तलवार ्पुरािी थी,       नकरा। सुभद्ा कुमािली चौहान, महातमा गांधली के असहरोग आंदोलन
        बुंदल हरबयोलों के ्मुंह, ह्मिषे सुिी कहािी थी,       में भाग लेने वालली प्रिम मनहला िीं औि कई बाि जेल भली गईं। उनहें
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        इ      से अगि नहंदली कली सबसे जरादा पढ़ली जाने वालली कनवता   नलए भली जाना जाता है। नजस जजबे को उनहोंने कागज पि उतािा उसे
        िूब लड़ी ्मरदािी वह तयो, झांसी वाली रािी थी।          18 माचया 1923 को जबलपुि में 'झंिा सतराग्रह' में भाग लेने के
                                                             नजरा भली। कहा जाता है नक तब इस सतराग्रह कली खबि ने लंदन तक
               कहा जाए तो गलत नहीं होगा। सकूल कली नकताबों से लेकि
               नजंदगली के िंगमंच तक बाि-बाि रह कनवता              तहलका मचा नदरा िा। 1941 के वरशकतगत सतराग्रह औि
        नदलोनदमाग से टकिातली है। लेनकन बहुत कम                         1942 के भाित छोड़ो आंदोलन में नहससा लेने कली
        लोगों को इस बात का पता होगा नक सुभद्ा                             वजह से वे पांच अवसिों पि किलीब एक साल तक
        कुमािली चौहान ने इस कनवता को जेल में                               जेल में िहीं। लेनकन जेल के अपने समर को भली
        िहते हुए नलखा िा।                                                   सुभद्ा कुमािली चौहान ने कभली बेकाि नहीं जाने
          सुभद्ा  कुमािली  चौहान  का  जनम                                    नदरा। वे जेल के अंदि भली ननरनमत सजन
                                                                                                          तृ
        नागपंचमली के नदन 16 अगसत 1904                                        कितली िहीं। जेल में हली उनहें अपनली कहाननरों
        को प्ररागिाज के पास ननहालपुि गांव                                    के नवनभन्न पात्र नमले। जबलपुि जेल-प्रवास
        में  हुआ  िा।  उनहोंने  'रिासिवेट  गलसया                            के दौिान उनहोंने कई कहाननरां नलखीं। वे मधर
        सकूल' में नशक्ा प्रापत कली। 1913 में नौ वषया                      प्रदेश नवधानसभा कली नवधारक भली िहीं। अपने

        कली आरु में सुभद्ा कली पहलली कनवता प्रराग                       पूिली जलीवन में उनहोंने लगभग 88 कनवताओं औि 46
        से ननकलने वालली पनत्रका 'मरायादा' में प्रकानशत हुई          कहाननरों कली िचना कली। 15 ििविली 1948 को दोपहि
        िली। रह कनवता 'सुभद्ाकुंवरि' के नाम से छपली। रह कनवता   के समर नागपुि से जबलपुि लौटते समर एक सड़क दुघयाटना में
        ‘नलीम’ के पेड़ पि नलखली गई िली। सुभद्ा चंचल औि कुशाग्र बुनद्ध   44 वषया कली अलपारु में उनका ननधन हो गरा। उनकली मतरु पि
                                                                                                        तृ
        कली िीं। सुभद्ा औि महादेवली वमाया दोनों बचपन कली सहेनलरां िीं।     माखनलाल चतुवदेदली ने नलखा, “सुभद्ा जली का आज चल बसना
        उनकली पढ़ाई नौवीं कक्ा के बाद छूट गई। नशक्ा समापत किने के   प्रककृनत के पष्ठ पि ऐसा लगता है मानो नमयादा कली धािा के नबना तट
                                                                     तृ
        बाद '्ठाकुि लक्मर नसंह' के साि सुभद्ा कुमािली चौहान का नववाह   के पुणर तलीिषों के सािे घाट अपना अिया औि उपरोग खो बै्ठे हों।
        हो गरा। नववाह के बाद वे जबलपुि में िहने लगीं। लक्मर नसंह   सुभद्ा जली का जाना ऐसा मालूम होता है मानो ‘झांसली वालली िानली’ कली
        एक नाटककाि िे औि उनहोंने पत्ली कली प्रनतभा को आगे बढ़ाने में   गानरका, झांसली कली िानली से कहने गई हो नक लो, नििंगली खदेड़ नदरा

        सदैव उनका सहरोग नकरा। दोनों ने नमलकि कांग्रेस के नलए काम   गरा औि मातभूनम आजाद हो गई।” n
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                                                                                    न्यू इंडि्ा समाचार    16-31 अगस्त 2022 37
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