Page 8 - NIS Hindi 16-30,April 2023
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व्यश्क्तत्वी  अज्चन धसंह



                                                                                             े
                                                             भारतिीय वायुििा


                                                             के पहले िाइव स्टार


                                                             अनधकारी अज्षि निंह




                                                             भारतीष्य ्वाष्यु सेना के पहले और एकमात् ‘फाइ्व
                                                             स््टार’ रैंक अद्धकारी अज्षन द्संह। द्जन्हयोंने न के्वल
                                                                                       ु
                                                             1965 में भारत-पाद्कस्तान ष्यधि में अहम भूद्मका
                                                             द्नभाई बब््कक देश की रक्ा क्मताओं को मजबूती

                                                             भी प्रदान की। द्जन्हें अदम्ष्य साहस के कारण भारत
                                                             सरकार ने पद्म द््वभूर्ण से सम्माद्नत द्कष्या। जबरदस्त
                                                             व्ष्यब््ततत््व, कामकाजी कौशल, नेतृत््वशीलता और
                                                             रणनीद्तक समझ उन्हें द््वद्शष्ट्ट बनाती थी, द्जनकी
                 जन्म: 15 अप्रैल 1919, मृत्ष्यु:  16 द्सतंबर 2017
                                                             शौष्य्षगाथा है एक प्रेरणा…...

                    श्यल ऑफ ए्यरफोस्य अज्यि नसंह का जन्म 15   ए्यर चीफ माश्यल बिे। जुलाई 1969 में सेवानिवृत्त होिे के बाद
                    अप्ल, 1919 को ला्यलपुर (अब पानकस्ताि     वे वा्युसेिा की बेहतरी और कल््याण के नल्ये लगातार काम करते
                       ै
         मा का फैसलाबाद) में हुआ था। 19 वष्य की आ्यु         रहे। उन्होंिे 1971 से 1977 तक भारत के राजदूत और भारती्य

                                                                  ु
        में उन्हें आरएएफ कॉलेज रिैिवेल में प्नशक्ण के नल्ये चुि नल्या   उच्ा्य्तत के तौर पर अलग-अलग देशों में सेवाएं दीं। करीब एक
        ग्या। नदसंबर 1939 में उन्हें पा्यलट ऑनफसर के तौर पर रॉ्यल   साल के नलए नदल्ली के उपराज््यपाल की नजम्मेदारी भी संभाली।
        ए्यरफोस्य  में  कमीशि  प्ाप्त  हुआ।  नविती्य  नवश्व्युद्ध  के  बमा्य   अज्यि नसंह की सेवाओं का सम्माि करते हु्ये भारत सरकार िे
        अनभ्याि में िेतृत्व कौशल के नलए उन्हें निक्स्टक््ववइश्ि फ्लाइंग   जिवरी, 2002 में उन्हें माश्यल ऑफ दी ए्यरफोस्य ्यािी वा्यु सेिा
                                            िं
        रिॉस (िीएफसी) से सम्मानित नक्या ग्या। स्वतंत् भारत में 15   का पहला “फाइव- स्टार” अनधकारी बिा्या। भारती्य वा्युसेिा
        अगस्त, 1947 को उन्होंिे नदल्ली में लाल नकले के ऊपर से 100   िे उिके ्योगदाि की ्याद में 2016 में वा्यु सेिा स्टेशि पािागढ़
        से अनधक हवाई जहाजों की उड़ाि परेि का िेतृत्व नक्या। अज्यि   का िाम बदलकर ए्यरफोस्य स्टेशि अज्यि नसंह कर नद्या। 16

        नसंह िे 1 अगस्त, 1964 को 44 साल के उम्र में ए्यर माश्यल के   नसतंबर, 2017 को 98 वष्य की उम्र में इिका निधि हो ग्या था।
        पद के साथ वा्युसेिा प्मुख का का्य्यभार संभाला।          प्धािमंत्ी िरद् मोदी बीमार अज्यि नसंह को देखिे के नलए
                                                                          ें
                                                       ै
           पानकस्ताि िे नसतंबर 1965 में जब ऑपरेशि ग्ैंि स्लम     अस्पताल भी गए थे। उिके निधि पर पीएम मोदी िे कहा था,
                               ू
        चलाकर अखिूर के महत्तवपण्य शहर को निशािा बिा्या तब    “भारती्य वा्यु सेिा के माश्यल अज्यि नसंह के निधि से देश दु:खी
        उन्हें  वा्यु  सह्योग  के  नल्ये  रक्ा  मंत्ी  का्या्यल्य  में  बुलाकर   है। हम देश के नलए उिकी उत्कृष्ट सेवा को ्याद करते हैं। भारती्य
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        प्छा ग्या- भारती्य वा्युसिा नकतिी जल्दी त्यार हो सकती   वा्यु सेिा के माश्यल अज्यि नसंह िे भारती्य वा्यु सेिा में क्मता
                                             ै
        है? अज्यि नसंह िे अपिे नचर-पररनचत निक्श्चत अंदाज में कहा,    निमा्यण पर दृढ़ता से ध््याि कनद्त नक्या और हमारी रक्ा क्मताओं
                                                                                  ें
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        “...घंटे भर में।” और, सच में भारती्य वा्युसिा िे घंटे भर में   को मजबूती प्दाि की। भारत 1965 में भारती्य वा्यु सेिा के
        पानकस्तािी हमले का ि नसफ्क जवाब नद्या बक्ल्क उि पर हावी   माश्यल अज्यि नसंह के उत्कृष्ट िेतृत्व को कभी िहीं भूल सकता
                               े
        हो गई नजससे भारती्य थलसिा को सामररक जीत में ज््यादा स  े  जब भारती्य वा्यु सेिा िे प्या्यप्त कार्यवाई की। कु्छ सम्य पहले
                                                                                                        े
        ज््यादा सह्योग नमला।                                 मिे उिसे मुलाकात की। तब अस्वस्थ होिे के बावजूद खड़ होकर
                                                               ैं
                                                                                              ैं
           वष्य 1965 के ्युद्ध में शािदार िेतृत्व के नलए उन्हें पद्म नवभूषण   मुझे सैल््यट करिे की कोनशश की, हालांनक मिे मिा नक्या। उिमें
                                                                    ू
        से सम्मानित नक्या ग्या। अज्यि नसंह भारती्य वा्युसेिा के पहले   इस प्कार का सैनिक का अिुशासि था।”n
         6  न््ययू इंडि्या समाचार   16-30 अप्रैल 2023
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