Page 2 - NIS Hindi February 01-15,2023
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भारत्रीयता क पथ पर बढ़ता
                                                       े


           िए भारत का बजट






                 आधुनिक भारत का इनतहास दो शताब्दयों के नरिनिश उपनिवेशवाद की छाया

                                                                                  े
                    में रहा है। नकसी भी रूप में सामिे आिे वाले इस औपनिवनशक बोझ को
                   सरकार दूर कर, भारतीयता की पहचाि मजबूत करिे को कदम बढ़ा रही है।

                   बदलाव िीनतयों में भी नकए जा रहे हैं। नरिनिश काल के सैकड़ों कािूि बदल              े

                 तो दशकों से नरिनिश संसद के समय का अिुसरण करिे वाले केंद्ीय बजि की

                                परंपरा, समय और उसकी तारीख भी बदली गई है।


                                           केंद्ीय बजि से अलग रेल बजि पेश करिे की पंरपरा 2017-
                                           18 के बजि से बदली। 1924 में रेलवे नवत्त को सामानय नवत्त

                                           से अलग कर नदया गया था।


                                           वर्ष 2017 में बजि की तारीख फरवरी महीिे की अनतम तारीख
                                                                                          ं
                                           की जगह 1 फरवरी की गई। 1999 में अिल नबहारी वाजपेयी के
                                           प्रधािमंत्ी काल में बजि का समय शाम 5 बजे की जगह सुबह
                                           11 बजे नकया गया।


                                           वर्ष 2019 में रिीफकेस से बजि पेश करिे की जगह पारंपररक

                                           भारतीय 'बही खाता' का नवकलप चिा, नजसे 2021 में निनजिल
                                                                           ु
                                           बजि में बदला गया।



                                           भारत का पहला बजि 1860 में पेश नकया गया और आजाद
                                           भारत में पहला बजि 26 िवंबर 1947 को पहले नवत्त मंत्ी
                                           आरके शिमुखम चेट्ी िे पेश नकया।










                                                      हमारे अस्तित्व के ककसी भी कह्से में, हमारे मन या आदतिों
                                                       के ककसी गहरे कोने में भी गुलामी का कोई अंश नहीं होना
                                                    चाकहए। हमें इसे ्वहीं समापति कर देना चाकहए। हमें अपने आप
                                                           को गुलामी की उस मानकसकतिा से मुकति करना होगा।

                                                                                    - नरेंद्र मादी, प्रधानमंत्ी

          2  नययू इंनिया समाचार   1-15 िवंबर 2022
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