Page 8 - NIS Hindi 16-30 June,2023
P. 8
वयककततव मनोज कुमार पांड रे
‘जय मिाकाली, आयो
गोरखाली’ से भरा जोश,
अंनतम क्षण सैननकों से
बोले- ‘न छोडनु’
जनम : 25 जून 1975, मृतयु : 3 जुलिाई 1999
रे
रे
काररगलि युद्ध में राष्ट् रक्षा के रलिए बहादुरी स दुशमनों का मुकाबलिा करन ्ालिरे मनोज कुमार पांडे का एक ही
संक्प था इंरडया फसट्ट यारन राष्ट् स्विप्रथम। राष्ट् की सुरक्षा में अपन प्राणों की आहुरत दकर ्ीरगरत को
रे
रे
प्रापत हुए मनोज पांडे को मरणोपरांत परम्ीर चक्र स सममारनत रकया गया। इस युद्ध के दौरान उनहोंन अदमय
रे
रे
रे
साहस, ्ीरता और असाधारण नतृत् का पररचय रदया रजस पर संपूणवि राष्ट् को है ग्वि…...
रतीय सेना के अमर िीर बवलदानी कैपटन मनोज कुमार के बािजूद िे एक के बाद एक बंकर पर कबजा करने के वलए अपन े
पांडे का जनम 25 जून 1975 को उत्र प्देश के सीतापुर दल का नेतृति करते रहे। इसी दौरान एक गोली उनके माथे के बीचो-
ं
भा वजले के रुधा गाि में हुआ था। उनके वपता का नाम बीच जा लगी। अतयवधक खून बह जाने के कारण आवखरी बंकर पर
ं
ै
गोपीचद् पांडे और मां का नाम मोवहनी था। मनोज की वशक्ा सवनक मनोज पांडे ‘न छोडनु’ (नेपाली भारा में- उनह मत छोड़ना) कहा
ें
रकल लखनऊ से हुई जहां से उनहोंने अनुशासन और देशप्ेम का पाठ और वचरवनद्ा में लीन हो गए। उनके अदमय साहस से प्ोतसावहत
कू
सीखा। उनका एनडीए में चयन हुआ था। फाम्ष भरते समय एक कॉलम होकर उनके सवनकों ने दुशमन पर हमला जारी रखा और अंततः पोरट
ै
ं
में उनहोंने वलखा था वक उनका अवतम लक्य परमिीर चक् लेना है। पर कबजा कर वलया। अतयत उतकषट शौय्षपण्ष िीरता का प्दश्षन
ू
ं
कृ
मनोज कुमार पांडे एक ऐसे वयक्त थे जो जीिन के वकसी भी मोड़ पर और सिपोच्च बवलदान करने के वलए कैपटन मनोज कुमार पांडे को
चुनौवतयों से कभी घबराये नहीं और हमेशा सममान तथा यश की चाह मरणोपरांत परमिीर चक् से सममावनत वकया गया।
रखी। इंटर के बाद उनहोंने पुणे के पास खड़किासला करथत राषट्ीय रक्ा प्धानमंत्ी नरेंद् मोदी ने 23 जनिरी 2023 को ‘पराक्म वदिस’
े
अकादमी में प्वशक्ण वलया और 11 गोरखा राइफलस रवजमेंट की पहली के अिसर पर अंडमान और वनकोबार विीप समूह के 21 अनाम विीपों
िाहनी के अवधकारी बने। उनकी तैनाती कशमीर घाटी में हुई। का नाम 21 परमिीर चक् विजेताओं के नाम पर वकया था। इसमें
ऑपरेशन विजय के दौरान 11 गोरखा राइफलस की पहली से एक विीप मनोज कुमार पांडे के नाम पर भी रखा गया। विीपों के
बटावलयन के कैपटन मनोज कुमार पांडे को जमम कशमीर के बटावलक नामकरण समारोह में उनहोंने कहा, “अंडमान वनकोबार के विीपों का य े
ू
में खालूबार ररज को दुशमनों से खाली कराने का काम सौंपा गया। नामकरण उन परमिीर चक् विजेताओं का सममान तो है ही, साथ ही
पलटन नंबर-5 का नेतृति कर रहे वनडर और दढ वनशचयी मनोज भारतीय सेनाओं का भी सममान है। पूरब से पकशचम, उत्र से दवक्ण,
ृ
ु
कुमार पांडे 3 जुलाई 1999 को ‘जय महाकाली, आयो गोरखाली’ दूर-सुदूर, समंदर हो या पहाड़, इलाका वनज्षन हो या दग्षम, देश की
े
के प्चंड यधिनाद के साथ वनभथीकतापि्षक आगे बढ। उनकी कंपनी सेनाएं देश के कण-कण की रक्ा में तैनात रहती हैं।” कारवगल यधि में
ु
ु
ू
जैसे ही आगे बढी दुशमन ने उन पर भारी गोलाबारी शुरु कर दी। जब कैपटन पांडे 3 जुलाई 1999 को शहीद हुए, उस समय िे केिल
उनहोंने वनडरतापि्षक दुशमन पर आक्मण करके चार सवनकों को 24 िर्ष के थे। अलपायु में ही िह राषट् के वलए अपनी िीरता और
ै
ू
मार डाला और दो बंकर तबाह कर वदए। कंधे और पैरों में जखम होन े वहममत का उदाहरण पेश कर गए। n
6 न्यू इंडि्ा समाचार 16-30 जन 2023
यू