Page 10 - NIS Hindi 16-30 June,2023
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नवशेष ररपोर ्ड  9वां अंतरराष्ट्ीय योग नदवस




                        म  हो  या  खास,  यिा  हो  या  बुजग्ष,
                                        ु
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                        मवहला  हो  या  बच्च,  आकरतक  हो  या
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            आ नाकरतक,‘योग’ आज सभी उम्र के लोगों
             के शरीर, ऊजा्ष, मकरतषक और मनोभाि की पहचान बन
             गया है। धम्ष, सप्दाय, जावत, अमीर-गरीब, देशों को
                         ं
             अलग करने िाली सीमा रेखा के पार समूचे विशि की
             एक भारा बन गई है। भारत की प्ाचीन धरोहरों में योग
             का महतिपण्ष रथान है। भारतीय सरककृवत कम्ष प्धान
                                        ं
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             आधयाकतमकता से य्त हैं। कम्ष को पूजा भाि से करन  े
             की परंपरा भारतीय समाज का अंग रहा है। योग अब
             केिल जीिन का वहरसा भर नहीं बकलक जीिनशैली बन
             गई है।

               2014 में प्धानमंत्ी बनने के बाद नरेंद् मोदी ने अलग
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             से आयर मंत्ालय बनाया। रिार्थय सिाओं में आयिवेद
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             के साथ योग और अनय पारंपररक वचवकतसा प्णावलयों
             को  एकीककृत  करके  इसे  विशि  रतर  पर  नई  पहचान
             वदलाने का वजममा उठाया। भारत के प्यासों के कारण   अंतराष्ट्ीय योग ििवस 2023 का मुखय काय्यक्रम मधय प्रिेश
             ही दवनया में 21 जून 2015 से अंतरराषट्ीय योग वदिस   के जबलपुर में होगा िजसका थीम- 'वसुधैव कुटुंबकम् के
                ु
             की शुरुआत हुई। इनहीं प्यासों का पररणाम है वक भारत   िलए योग' है। 25 ििन पूव्य का काउंटडाउन उतसव हैिराबाि
                                                              में हुआ िजसमें हजारों लोगों ने साझा योग अभयास िकया।
             की प्ाचीनतम और समधि परंपरा के रूप में योग रोगों
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             से बचाि का महतिपण्ष साधन बना और दवनया को भी
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             इसकी ताकत का अहसास हुआ। समग्रता में रिार्थय
             संबंधी समरयाओं से बचाने में महतिपण्ष योग के कारण
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             भारत अपनी इस सभयता की पहचान का प्णेता बना
             है। आज योग िकशिक सहयोग का पाररपररक आधार
                         ै
             बन रहा है। आज योग मानि मात् को वनरोग जीिन           जब हम योग से चलते हैं, कमदूयोग की
             का विशिास दे रहा है। योग की जो तरिीरें कुछ िर्ष   िावना से चलते हैं, तो वयक्त के तौर पर,
             पहले केिल घरों में, आधयाकतमक केंद्ों में वदखती थीं,   समाज के तौर पर, देश के तौर पर हमारी

             िो आज विशि के कोने-कोने से आ रही हैं। यह तरिीरें   शक्त िी कई गुना बढ़ जाती है। आज हमें
             आकतमक बोध के विरतार, एक सहज, रिाभाविक और
                                           े
             सांझी मानिीय चेतना की तरिीरें हैं। विशरकर तब, जब   इसी िावना से संकलप लेना है- हम अपन           े
             दवनया ने दो िर्ष कोविड जैसी सदी की बड़ी महामारी   सवासरय के हलए, अपनों के सवासरय के हलए
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             का सामना वकया हो। इन पररकरथवतयों में भी देश, विीप,   हर सिव प्रयास करेंगे। एक सजग नागररक
                                                                    ं
             महाविीप  की  सीमाओं  से  ऊपर,  योग  वदिस  का  यह
             उतसाह, मानिीय जीिटता का भी प्माण है।             के रूप में हम पररवार और समाज के रूप में

               योग अब एक िकशिक पि्ष बन गया है ्योंवक योग                एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।
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             वकसी वयक्त मात् के वलए नहीं बकलक संपण्ष मानिता
             के वलए है। इस िर्ष जब दवनया योग वदिस मना रही                  - नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्ी
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             है तब भारत अपनी आजादी का अमृत महोतसि मना





             8  न्यू इंडि्ा समाचार   16-30 जन 2023
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