Page 13 - NIS Hindi 01-15 May,2023
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आवरण कथा सुरजक्त िीवन, सशक्त राष्टट्




              आइए जािते िैं- इस पखवाड़े में पीएम उज्जवला, अटल पेंशि और जीवि बीमा से जुड़ी

           योजिाओं की वर्ष्गगांठ के अवसर पर जीवि की सुरषिा के सा्थ-सा्थ िए-िए अवसर उपलब्ि
                 करािे की िीहत और पिल से कैसे जि-जि के हलए सुरषिा का चक्र तैयार िुआ िै।



            “पिले जब गैस ििीं ्था तो हदि का आिा समय चूल्िा जलािे और खािा बिािे में बीत जाता ्था। बाररश के मौसम में
          हमट् टी के चूल्िे में पािी िर जाता ्था। काठ (लकड़ी) िी िींग जाता ्था, वो जलता िी ििीं ्था। बच्े खािा िी ििीं खा
         पाते ्थे, िूखे रिते ्थे। बच्ों और पररवार को समय ििीं दे पाती ्थी। लेहकि जब उज्जवला के तित गैस किेक्शि हमला तब
          से बाररश के मौसम में परेशािी ििीं उठािी पड़ी िै और पररवार-बच् को समय िी दे पाती िूं।” ओहर्शा के मयूरिंज की
                                                                 े
        सुल्ष्टमता के चेिरे पर सुकूि की किािी इकलौती ििीं िै। िररयाणा के हसरसा की रज्ो देवी किती िैं, “पररवार को मािो सेित
        की सौगात हमल गई। पिले चूल्िा जलािे के हलए लकड़ी बीि कर लािी पड़ती ्थी। चूल्िे के िुएं से बीमारी िो जाती ्थी। अब
         गैस चूल्िा हमलिे से जीवि आसाि िो गया िै। िम केंद्र सरकार को िन्यवाद देते िैं।” जीवि को अंिकार से उजाले की ओर
          ले जािे वाली ऐसी िी सफलता की किाहियां देश के िर कोिे-कोिे में मौजूद िै, हजससे आम लोगों का जीवि आसाि िो
                               गया िै और उसकी मूल वजि बिी िै- प्रिािमंत्ी उज्जवला योजिा।


             बेितर स्टवास्ट्थ्य का आिार बिी िै आयुष्टमाि िारत योजिा। झारखंर् के देवघर के संजय किते िैं, “प्रिािमंत्ी जि आरोग्य
        योजिा (पीएमजय) के कारण इलाज में कोई पैसा खच्ग ििीं िुआ। यि बिुत अच्छी योजिा िै। पिले के समय में इलाज में जमीि
                      तक हबक जाया करता ्था। अब सरकार िे ऐसी योजिा चलाई हजससे बिुत लाि हमला िै।”


              हबिार के पटिा की हिल्र्ा एं्थिी किती िैं, “पीएम जि और्षहि की दवा की गुणवत्ा के बारे में पिले जािा। हफर इस
         योजिा से दवा लेिे के कारण 1200-1500 रुपये की माहसक दवाएं हसफ्फ 250 रुपये तक में हमल जाती िैं। दवा से जो पैसा
                                         बचता िै उसे दूसरे काम में खच्ग करती िूं।”

             “प्रिािमंत्ी मातृ वंदिा योजिा से मुझे दो हकश्तों में 5,000 रुपये की आह्थक सिायता हमली। पिली हकश्त गिा्गवस्ट्था
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         के दौराि 3,000 रुपये और दूसरी हकस्टत बच् के जन्म के बाद 2,000 रुपये के तौर पर हमली। इस आह्थक मदद से बच् के
                                                                                             ्ग
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          पोर्षण और स्टवास्ट्थ्य की देखिाल करिा आसाि िुआ। इि रुपयों का इस्टतेमाल बच् के देखिाल में हकया।” यि कििा िै
                                                                             े
                                         ओहर्शा के कटक की सौिाग्यिी सािू का।
              र्ॉक्टर मदि महण किते िैं. “झारखंर्-ििबाद से एमबीबीएस और बिारस हिंदू हवश्वहवद्यालय से एमर्ी। स्टवास्ट्थ्य
        हविाग में िूं। ग्ामीण इलाकों में ई-संजीविी के माध्यम से सैकड़ों लोगों को टेली-कंसलटेंसी कर चुका िूं। इससे बिुत संतोर्ष
                                                                  ु
         हमलता िै। फाइल के सा्थ-सा्थ मरीज को िी देखिा बिुत सुखद अििव देता िै। ई-संजीविी एप मदद कर रिा िै।” िाल
                              िी में ई-संजीविी िे 10 करोड़ टेली-कंसल्टेंसी का लक्षय पूरा हकया िै।


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                     राजस्ट्थाि के रामगंज-मंर्ी की सुहमत्ा किती िैं, “मैं मजदूरी का काम करती िूं। मिे जि िि योजिा में बैंक खाता
                      खुलवाया िै और तबसे जो मजदूरी मुझे हमलती िै, उसे इसी बैंक खाते में जमा करवाती िूं।”


             हिमाचल प्रदेश के हबलासपुर की कांता देवी किती िैं, “प्रिािमंत्ी सुरषिा बीमा योजिा से मुल्श्कल घड़ी में मदद हमली।
        मुझे पिले कुछ पता ििीं ्था। पहत का देिांत िो गया। तब पता चला हक कोई बीमा योजिा िै कम पैसे खच्ग िोते िैं। इसके बाद
                                बैंक गईं, जिां जािकारी दी गई। इसके बाद इस योजिा से जुड़ी।”

            राजस्ट्थाि के जयपुर के हकसाि कमलेश कुमार मांझी किते िैं, “पीएम हकसाि सम्माि हिहि योजिा के लाि से काफी खुश
         िूं। कोहवर् काल में इस योजिा से बीज, खाद खरीदिे में िी मदद ििीं हमली बल्ल्क इससे घर का खचा्ग िी चला। पिले पैसे लेिे
               पोस्टट ऑहफस या अन्य जगि जािा िोता ्था, अब पैसा सीिे खाते में आ जाता िै। हबचौहलयों की छुट् टी िुई िै।”




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