Page 37 - NIS Hindi 01-15 August,2023
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राष्टट्र  अमृत महोत्सव                                                                    राष्टट्र  अमृत महोत्सव








                    त्रै्लोक्यनाि चक्रवतती


                  लहंदुस्तान की




        आजादी के लिए काटी





         कािापानी की सजा






               ्जन्मे : 1889, मेृत्यु : 9 अगस्त, 1970



 1-15 अप्रै्ल 2021 अंक से शुरू  1-15 अगस्त 2023 के अंक के साि समेापन

 नमक सत्या�ह के 91 वर््ष ्पूरे होने ्पर �िानमं�ी नरेंद्र   यह तस्वीर 16-31 जुलाई के अंक में �काब्शत हुई   लोक्यनाथि चरिििवी का ्जन्म 1889 में मयमनत्संह   भे्ज त्दया गया। त््जस समय उन्हें कालापानी की स्जा दी गई
 मोदी ने 21 माच्ष 2021 में सािरमती आ�म से अमृत   थी बजसमें ्पीएम मोदी, मंगल ्पांर्े को ��ांजबल   रिै  त््जले के कपासत्िया गांि में हुआ थिा ्जो अब बांग्लादेश   उस समय उनकी उम्र मह्ज 25 साल थिी। हालांत्क, िह इसे
 महोत्सव की ्शुरूआत की थी।   अब्प्षत कर रहे हैं।   में है। उनके त्पिा का नाम दुगा्णचरण चरिििवी थिा।   स्जा नहीं मानिे थिे। उन्हें त्िश्िास थिा त्क उनकी इस िपस्या से
           बचपन से ही रिैलोक्यनाथि चरिििवी के पररिार का िािािरण   देश को आ्जादी ्जरूर त्मलेगी। माना ्जािा है त्क िहां उनकी

           राष्ट्ीयिा की भािना से ओि-प्रोि थिा। िह रिांत्िकाररयों के   मुलाकाि त्िनायक दामोदर सािरकर से हुई और िे उनसे
 देश के सपनों को साकार करने के लिए  बीच ‘महारा्जा’ के नाम से लोकत्प्रय थिे। उनका संर्ष्णशील   काफी प्रभात्िि हुए।

           व्यस्क्ित्ि, अन्याय, अनीत्ि से ्जीिनपयिंि ्जूझने की प्रेरक   स्जा समाप्ि होने पर रिैलोक्यनाथि कोलकािा िापस आ
 संकल्प से लसल� का सिय   कहानी है। िह 1906 में मारि 17 िष्ण की उम्र में स्ििंरििा   गए। िहां उन्होंने नेशनल स्कूल की कमान संभाली लेत्कन
                                                             अपनी भूत्मगि गत्ित्ित्धयों को ्जारी रखा। 1927 में उन्हें त्फर
           संग्राम में  शात्मल  हुए।  िह  ढाका  अनुशीलन  सत्मत्ि  के
           सदस्य बन गए और पूरे मयमनत्संह त््जले में युिाओं के साथि
           त्मल कर काम त्कया। उन्होंने करीब 30 िष्ण ्जेल में त्बिाए।   से त्गरफ्िार कर त्लया गया और बमा्ण की ्जेल में भे्ज त्दया
                                                             गया। बमा्ण ्जेल में एक साल िक रहकर छू्टने के बाद िह
 न्यमू इंवडया स्माचार पवत्का नते 1-15 अप्रैल 2021 के अंक सते आजादमी के अ्मृत ्महोत्सि श्ृंखला कमी   1908 में उन्हें रिांत्िकारी गत्ित्ित्धयों के त्लए पहली बार   चंद्रशेखर आ्जाद के त्हंदुस्िान ररपस्ब्लकन आमवी में शात्मल हो
 यात्ा शुरू कमी थमी वजस्में दतेश के गु्मना्म स्ितंत्ता सतेनावनयों कमी कहानमी प्र्मुखता सते प्रकावशत कमी गई।   त्गरफ्िार त्कया गया, त््जसके पररणामस्िरूप िे त्शक्षा पूरी   गए। उन्होंने 1929 के लाहौर कांग्रेस अत्धिेशन में भाग त्लया।
 पवत्का नते अप्रैल 2021 के पहलते अंक सते लतेकर 1-15 अगस्त 2023 तक के अपनते सभमी अंकों ्में इस   नहीं कर सके।   िह 1930 से 1938 िक दत्क्षण भारि के त्ित्भन्न ्जेलों में 8
             1910 में, ्जब पुत्लस ढाका षडयंरि मामले में उनकी िलाश
 श्ृंखला के अंतग्षत स्ितंत्ता सतेनावनयों कमी िमीरता सते भरमी कहावनयों को प्र्मुखता दमी। इन नायकों कमी   कर रही थिी, िब िह फरार हो गए। उन्हें 1912 में हत्या के   िष्ण बंद रहे। ररहाई के बाद उन्होंने भारि छोड़ो आंदोलन में
                                                             भाग त्लया और 1942 में ्जेल गए। उन्हें 1946 में ्जेल स ररहा
                                                                                                       े
 कहानमी ह्मारते वलए प्रतेरणा�ोत है जो नए भारत के निवन्मा्षण के आधारस्तंभ भमी बन रहते हैं। अब आजादमी   एक मामले में त्गरफ्िार त्कया गया लेत्कन पुत्लस इसे अदालि  कर त्दया गया। उन्होंने उस कत््ठन और चुनौिीपूण्ण माहौल में
 का अ्मृत ्महोत्सि अपनते स्मापन कमी ओर है लतेवकन यह पमूण्ष विरा्म नहीं है। बल्ल्क यह नए भारत के   में  सात्बि  करने  में  त्िफल  रही।  इसके  बाद  िह  मालदा,   भी सामात््जक सद्ाि के त्लए काम त्कया। ्जब महात्मा गांधी

 निवन्मा्षण कमी िह गाथा है वजस पर आगते चल कर दतेश एक बड़ा लक्षय तय करतेगा। स्मापन अंक ्में इस   रा्जसाही और कोत्मला त््जलों में काम करिे रहे। रिांत्िकारी   नोआखाली गए थिे िो िे िहां उनके साथि थिे। पूिवी पात्कस्िान
 बार बता रहते हैं त्ैलोक्यनाथ चक्ितजी, प्रते्मकृष्ण खन्ना और सैय्यद अह्मदुल्ला कादरमी कमी कहानमी...  गत्ित्ित्धयों में सत्रिय भागीदारी के कारण रिैलोक्यनाथि को   के त्नमा्णण के बाद िे िहां ्जनसेिा में सत्रिय रहे। 1970 में िह

           1914 में कलकत्ता में त्फर से त्गरफ्िार कर त्लया गया। उन्हें   स्िास््थ्य संबंधी समस्याओं के कारण त्दल्ली आए। 9 अगस्ि,
           बारीसल षडयंरि मामले के कारण अंडमान के सेल्युलर ्जेल   1970 को त्दल्ली में ही उनका त्नधन हो गया।




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