Page 46 - NIS Hindi 01-15 November, 2024
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व्याक्ति��त्�  लालकृष्णं आड�ाणंी


        निजान्हांने राजानीनितक



            ै
        ननितकता मं अंनुकरणीयु

        मानक निकयुा स्थाानिपात



        सामााभिजके-राजनीभितीके केाय�केतीा�, संगौठीनकेतीा� और
          े
        नतीृत्वाकेतीा� केे रूप मां राष्ट्री भिनमाा�ण केे केाय� मां अंहमा योगौदान
        दने वाालीे लीालीकेृष्ण आडवााणी केा �ारती केे भिवाकेास मा  ं
          े
        योगौदान अंभिवास्मारणीय है। समााज और राष्ट्री केे भिलीए समाप�ण
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        एवां भ्रष्�ाचाार से दरी केो मात्री बीना केर उन्हंने राजनीभिती
                              ं
        मां अंपनी अंलीगौ पहचाान बीनाई। केरीबी साती दशके केी
        राजनीभितीके यात्रीा मां भिवाचाारधाारा और ठीोस नीभिती अंपनान  े
                           ं
        वाालीे आडवााणी ने सासद, मांत्रीी और उप प्रधाानमांत्रीी केे रूप मा  ं
        राष्ट्री केे प्रभिती उत्केृष्� योगौदान भिदया। 31 मााचा� 2024 केो उन्ह  ं
        सवाोच्चा नागौरिरके सम्माान �ारती रत्न से भिकेया गौया सम्मााभिनती...               जन्मा : 8 नेवांबर 1927


                   ष्ट्रीीर्या एकता और सूास्कनितक पुनरुत्थीान को आ�े बढ़ााने   लालकृष्णा आ�वंाणाी आजाीवंन निनःस्वंाथी� भाावं सूे देेश और
                                ं
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                   की निदेशा मंं अनिद्वातीर्या प्रर्याासू करने वंाले लालकृष्णा   देेशवंानिसूर्यां की सूवंा मंं सूमंनिप�त रहाे। उप प्रधाानमंंत्रीी जासूे निवंनिभान्न
                                                   ं
                                                               ं
         रा आ�वंाणाी का जान्मं 8 नवंंबर 1927 को निसूधा प्रान्त   सूवंैधाानिनक देानिर्यात्वंं पर रहाते हाुए उन्हांने अपने देढ़ा नतृत्वं सूे देेश
                                                                                                    े
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        (पानिकस्तान) मंं हाुआ थीा। 1936 सूे 1942 तक कराची के सूंट   की सूुरक्षेा, एकता और अखं�ता के निलए अभाूतपवं� कार्या� निकर्याे।
                                                                                                  ू
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        पनिट्रीक्सू स्कूल मंं पढ़ााई की और देसूवंं तक हार कक्षेा मंं प्रथीमं आए।   उनको भाारतीर्या राजानीनित मंं प्रामंानिणाकता के मंानक तर्या करन  े
                                    े
        इसूके बादे उन्हांने नि��मंल नेशनल कॉलजा मंं देानिखला निलर्याा और बादे   वंाले राजानता के रूप मंं जााना जााता हाै। अपने लबे सूावं�जानिनक
                                                                                                   ं
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        मंं कराची के मंॉ�ल हााई स्कूल मंं बतौर निशक्षेक नौकरी की। बंटवंार  े  जाीवंन मंं उन्हांने देेश, सूंस्कृनित और जानता सूे जाड़ाे मंद्दें के निलए
        के बादे वंहा निदेल्ली आ �ए थीे। वंहा 1942 मंं राष्ट्रीीर्या स्वंर्यांसूेवंक सूघो मं  ं  अथीक सूघोषा� निकर्याा। भाारत रत्न की घोोषाणाा पर एक बर्याान जाारी
                                                                    ं
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        शानिमंल हाुए।  1947 सूे 1951 तक अलवंर, भारतपुर, कोटा, बंदेी और   कर उन्हांने कहाा, “अत्र्यांत निवंनम्रता और कृतज्ञाता के सूाथी मंं
                                                                                       ं
        झाालावंाड़ा मंं आरएसूएसू को सू�निठत करने का कामं निकर्याा। निदेसूंबर   भाारत रत्न को स्वंीकार करता हा। र्याहा न केवंल एक व्र्याष्टिक्त
                                                                                       ू
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        1972 मंं भाारतीर्या जानसूघो के अध्र्याक्षे निनर्याुक्त हाुए।   के रूप मंं मंरे निलए सूम्मंान की बात हाै बष्टिल्क उन आदेशं और
           आपातकाल  के  देौरान  26  जाून  1975  को  उन्हां  बं�लोर   निसूद्धांतं का भाी सूम्मंान हाै निजासूकी मंंने अपनी परी क्षेमंता सू  े
                                                                                                   ू
        (बं�लुरु) सूे नि�रफ्तार कर निलर्याा �र्याा। वंहा मंाच� 1977 सू  े  जाीवंन भार सूेवंा की हाै।”
        जालाई 1979 तक सूूचना एवंं प्रसूारणा मंंत्रीी रहाे। मंई 1986 मंं   आ�वंाणाी को देेश के सूवंोच्चे ना�रिरक पुरस्कार भाारत रत्न सूे
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                                                                                                        ं
        वंहा भाारतीर्या जानता पाटी के राष्ट्रीीर्या अध्र्याक्षे बने। उन्हांने 1990   सूम्मंानिनत निकए जााने की घोोषाणाा करते हाुए प्रधाानमंंत्रीी नरद्री मंोदेी
        मंं सूोमंनाथी सूे अर्याोध्र्याा तक रामं मंंनिदेर रथी र्याात्रीा निनकाली।   ने कहाा थीा निक “अपने सूमंर्या के सूबसूे सूम्मंानिनत राजानताओं मंं
                                                                                                       े
        अक्टूबर 1999 सूे लेकर मंई 2004 तक उन्हांने कंद्रीीर्या �हा मंंत्रीी   सूे एक लालकृष्णा आ�वंाणाी का भाारत के निवंकासू मंं र्याो�देान
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        का पदेभाार सूंभााला। जाून 2002 सूे मंई 2004 तक वंहा देेश के   अनिवंस्मंरणाीर्या हाै। उनका जाीवंन जामंीनी स्तर पर कामं करने सूे
                                                                                                       े
                                    े
        उप प्रधाानमंंत्रीी के तौर पर देेश की सूवंा की। उन्हांने सूावं�जानिनक   शुरू हाोकर हामंारे उप-प्रधाानमंंत्रीी के रूप मंं देेश की सूवंा करने
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        जाीवंन मंं देशकं परानी सूवंा को पारदेनिश�ता और अखं�ता के   तक का हाै। उन्हांने �हा मंंत्रीी और सूूचना एवंं प्रसूारणा मंंत्रीी के
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                                                                              ृ
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        प्रनित अटूट प्रनितबद्धता प्रदेनिश�त की निजासूने राजानीनितक ननितकता मंं   रूप मंं भाी अपनी पहाचान बनाई। उनका सूसूदेीर्या र्याो�देान हामंशा
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        एक अनुकरणाीर्या मंानक स्थीानिपत निकर्याा।            अनुकरणाीर्या और सूमंृद्ध अंतदेृ�ष्टिष्ट सूे भारा रहाा हाै।”  n
         44  न्यूू इंंडि�यूा समााचाार   1-15 नवंंबर, 2024
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