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बािचीि  डॉ. वी.के. पॉल, प्रमुख, NEGVAC





                   साधारण तरीके से वैकसीन बनाने में आठ



                   से दस साि िगते हैं, िवकन इसका ईजाद
                                                                    े

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                   करने में भारत अग्रणी श्णी में रहा



          वव्व के सबसे बड़े िोकतंत् में सबसे बडा टीकाकरण अवभयान शुरू हो गया है। टीका बनने, प्रोटोकॉि

           व टीकाकरण की प्राथवमकता तय करने के बाद चुनाव में बूथ प्रबंधन की तरह ही टीकाकरण का प्रबंधन
            वकया जा रहा है। वैकसीन के सिर पर रा्ट्ीय उच्च सतरीय समूह (नेशनि एकसपट्ट ग्रुप ऑन वैकसीन
                    ़े
          एडवमवनसट्शन िॉर कोववड-19) के प्रमुि और नीवत आयोग के सदसय (सवास्थय) डॉ. वी.के. पॉि से नयू
                  इंवडया समाचार के सिाहकार संपादक संतोष कुमार ने बातचीत की। पेश है उसके अंश:




        इतिी बड़ी आपदा ्े निपटिे ्े लेकर ्वैक्ीि तक पहंचिे को
                                                 ु
        लेकर ्रकार की प्रारनरक ्ोच कया थी?
                        ं
        भारत कली प्रनतनरिरा इस महामारली में नवज्ञान और तकनलीक से जयुड़ली रहली है।
        अप्रैल के महलीने में हली एक टाट्क फोसया गनठत करके उसे वैकसलीन के नलए
           ै
        नवज्ञान व तकनलीकली समाधान खोजने व सयुनवधाएं तरार करने का अनधकार
                                        ै
                                ै
        नदरा गरा। राषरिलीर प्ररोगशालाओं के वज्ञाननकों और वैकसलीन उद्ोग में जयुड़े
        लोगों को साथ लेकर प्रोतसानहत नकरा गरा। जब वैकसलीन कली संभावनाए  ं
        बढ़ीं तो सरकार कली तरफ से संसाधन और फंड भली उपलबध कराए गए।
         शरु से लक्र रहली था नक देश में वैकसलीन ईजाद करने के साथ उतपादन
          यु
        करना भली है। आज हम सफल हयुए हैं और अनर चार वैकसलीन रिारल के
        चरण में हैं। आगे नए वैकसलीन भली आएंगे और जो तरार हैं उनका उतपादन
                                        ै
        बढ़ता जाएगा।

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        ्वैक्ीि के नलए इतिा बड़ा इंफ्ासट्कचर, िा् तौर ्े कोलि चि
        की तैयारी क्ी हुई?
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        दनखए, भारत के पास गभयावतली मनहलाओं और बच्ों के नलए टलीकाकरण
                   यु
        का एक लंबा अनभव है। हर साल 65 करोड़ से भली जरादा टलीके 90 लाख
        से अनधक सत्र में लगाए जाते हैं। काफली हद तक कोलड चेन कली वरवट्था
                                                                                यू
        थली नजसे मौजूदा जरूरत के नहसाब से बढ़ारा गरा। टलीकाकरण में शानमल   ह्मारे दोिनों ्वैक्ीि परी तरह ्ुरनक्षत हैं।  ह्मारे पा्
                                                                                           ु
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        कनमयारों को प्रनशनक्षत नकरा। आईटली पलटफामया कली मदद से इंफ्ाट्रिकचर   हजारनों लोगनों पर नकया गया अिर्व और िाटा है।
        और कोलड चेन प्रबंधन कली सूक्म ट्तर कली रोजना बनाई गई। जो लाभाथमी   प्रनतरक्षण ताकत पैदा करिे को लेकर कोई ्ंदेह िहीं
                                                                                     यू
        हैं उनह नचस्नहत करना, टलीके कली जगह और समर बताने का काम और   है। ये बहुत रोबसट (्मजबत) हैं। ह्में अथोराइजेशि
             ें
        लोगों का भरोसा कारम रखने के नलए फॉलोअप भली इसली से होगा।  ्े ्मौका न्मला है नक ह्म इ्े आगे बढाएं। अरी नजि
                                                            ्वैक्ीि के बकलनिकल ट्ायल चल रहे हैं, जब उिके
        लनकि कोलि चि की ्ंखया बढािे के नलए और कया-कया नकया    पररणा्म आएंगे तब और री ह्में ््मझ आएगा।
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        गया है?
        अगर कोलड चेन के नवट्तार कली बात करें तो हमारे पास चार बड़े और



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