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कहानी      नानाजी देशमुख
                                                                                      भारत रत्न की





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           गांव क स्ालंबन से



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           राष्ट् ननराण की राह



         आजाद भारत में ऐिे उदाहरण कम ही समलते हैं, जब
         कोई अपनी राजनीसतक यात्रा के सशखर पर पहुंचकर िब
         एक झ्के में छोड़ दे। लगभग 40 िाल पहले चंसडकादाि
         अमृतराव देशमुख यासन नानाजी देशमुख गांवों के िमग्
         सवकाि का मॉडल खड़ा करने के सलए ऐिे ही रासते पर
         सनकल पड़े थे। ग्ामोदय िे राष्ट्ोदय का उनका मंत्र आज
         भी भारतीय लोकतंत्र की आतमा में बिता है...


          जनम : 11 अक्टूबर 1916, मृतयु : 27 िरवरी 2010



                                                                                   यु
                  या
                 र  1974,  महलीना  अप्ररैल  का।  पटना  के  गांधली  मरैदान  में   समझ गईं नक रह नानाजली देशमख हली हैं। भेंट हयुई तो वे हार कली तलखली को
                                                                         रै
                 लोकनारक जर प्रकाश नारारण पर लानिरां बरसाईं जा रहली   नछपा नहीं पाईं। तश में आकर बोलीं, ‘चयुनाव तो आप हरा चयुके मझे। अब
                                                                                                        यु
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         व थीं। तभली एक प्रचारक लोकनारक को लानिरों से बचाने के   रहां और करा लेने आए हैं? नानाजली बोले- आपकली प्रजा ने मझे आपकली
                                                                              रै
         नलए उनके ऊपर लेट गरा। लानिरों से उनका हाथ टूट गरा, पर जेपली   जगह सांसद चयुन नलरा ह पर करा बताऊं, आपके राज में न मेरे पास नसर
         को चोट नहीं लगने दली। रह प्रचारक थे चनडकादास अमृतराव देशमयुख।   छुपाने कली कोई जगह ह, न हली इतना धन नक जमलीन खरलीद कर उस पर
                                                                             रै
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         देश उनह नानाजली देशमख के नाम से जानता हरै। नानाजली के 101वें जरंतली   चार दलीवारें खड़ली करके उन पर छत डलवा सकू!’ महारानली ने एक गांव
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         समारोह में प्रधानमत्रली नरेंद्र मोदली ने खद इस नकट्स का नजक्र नकरा हरै।   नानाजली को दे नदरा, बोलीं-जाइए, मझसे बड़ा महल बनवाइए। नानाजली न  े
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           महाराष्रि के परभणली के छोटे से कट्ब कडोलली में जनम नानाजली का   इसे आदशया गांव के रूप में नवकनसत नकरा। नाम रखा जरप्रभा गांव। जर
         बचपन अभावों में बलीता, रहीं से उनहोंने अपना जलीवन राष्रि के नाम समनपयात   रानली लोकनारक जरप्रकाश नारारण और प्रभा रानली उनकली जलीवनसनगनली
                                                                                                          ं
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         करने का प्रण नकरा। सरसंघचालक डॉ. केशब बनलराम हेडगेवार ने उनह  ें  प्रभावतली। चयुनाव जलीतने के बाद प्रधानमत्रली मोरारजली देसाई ने नानाजली को
         ‘राष्रिधमया’ और ‘पाञ्चजनर’ नाम से दो सापतानहक और ‘ट्वदेश’ नाम स  े  मत्रली बनने के नलए कहा तो उनहोंने इसे िकराते हयुए कहा-“मेरली उम्र 60
                                                               ं
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          रै
         दननक समाचार पत्र ननकालने कली नजममदारली सौंपली। नानाजली ने इनमें प्रबंध   साल हरै और इस उम्र में सरकार में नहीं बस्लक लोगों के बलीच के रहकर
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         ननदेशक, अटल नबहारली वाजपरली ने संपादक और पं. दलीनदराल उपाधरार   समाजसेवा करनली चानहए।” सरट्वतली नशशयु मनदर कली ट्थापना का श्ेर भली
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         ने मागयादशयान कली नजममदारली संभालली।                 नानाजली को नदरा जाता ह। नवनोवा भावे के भूदान आंदोलन में भली नानाजली
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                                                                                     या
           वर 1977 में आपातकाल के बाद हयुए चयुनाव में नानाजली ने उत्तर   ने सनक्रर रूप से नहट्सा नलरा। वर 1980 में राजनलीनत से संनरास लेकर
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                                                                                         ं
         प्रदेश कली बलरामपयुर सलीट से जलीत हानसल कली। इस चनाव में उनहोंने रहा  ं  उनहोंने नई नदललली में ‘दलीनदराल शोध सट्थान’ और नफर उत्तर प्रदेश में
         कली महारानली राजलक्मली कुमारली को नशकट्त दली। अपनली हार से वरनथत   ‘नचत्रकूट ग्ामोदर नवशवनवद्ालर’ कली ट्थापना कली। नानाजली नचत्रकूट में
         महारानली इतनली नाराज हईं नक उनहोंने खयुद को महल में कैद कर नलरा।   हली ट्थाई रूप से बस गए। वर 1999 में अटल नबहारली वाजपरली ने उनह  ें
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                                                                                  या
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         नौकरों से कह नदरा नक बहयुत जरूरली होने पर हली एकांत में बाधा डालें।   राजरसभा भेजा। 27 फरवरली 2010 को नानाजली का देहावसान हआ। वर  या
                                                                                                        यु
         कुछ हली घंटे बाद एक नौकर ने आकर क्षमा मांगते हए बतारा, ‘महल   2019 में राष्रि सेवा के नलए नानाजली को भारत रत्न नदरा गरा। राष्रि सेवा
                                             यु
         के बड़े दरवाजे पर नानाजली नाम का एक आदमली खड़ा हरै और कह रहा   के नलए जलीवनभर समनपयात रहे नानाजली अकसर कहते थे-  “मैं अपने नलए
         ह नक उसका आज और अभली आपसे नमलना बहयुत जरूरली ह। महारानली   नहीं,अपनों के नलए हं।” n
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