Page 27 - NIS Hindi 2021 November 1-15
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आवरण लोकिल िे गलोबल
कि्ा भारतीय उतपाद
भनया्भ् बिाने को हो रही नई-नई पहल
बलीते 6-7 सालों में अलग-अलग ट्तर पर मेक इन इंनिरा को जीआई टैग से
प्रोतसानहत करने के नलए अनेक सफल प्ररास नकए गए हैं। इसे सथानीय उतपाद को
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अगले चरण में ले जाने में कोनवि काल का अनभव बेहद सहारक
सानबत हो रहा है करोंनक रह भारत के नलए नसफ्फ एक मौका नहीं, नई पहचान
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बस्लक दननरा के प्रनत भारत कली नजममेदारली है। दननराभर में ऐसे कई
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उदाहरण हैं जहां देशों ने अपनली मै्रयुफैकचररंग क्मता को बढाकर
देश के नवकास को गनत दली है। ऐसे में देश कली रणनलीनत ऐसे उतपादों
को आगे लाने कली है वैस्शवक प्रनतट्पधाया में मजबूतली से मकाबला कर
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सके और उसकली अलग पहचान बन सके। ईज ऑफ िटूइंग नबजनेस
पर जोर देते हए नजला ट्तर ननरायात हब का ननमायाण करने के नलए हर
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ट्तर पर काम हो रहा है। सहूनलरत को बढाने और बाधाओं को खतम
करने कली पहल एमएसएमई, नकसान, िोट-िोटे हट्तनशस्लपरों जीआई टैग यानी ट्जयोग्राट्फकल इट्िकेिन टैग। ये एक
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आनद सभली को ननरायात के नलए मदद नमलेगली। प्कार का लेबल होता है, ट्जसमें ट्कसी उतपाद को ट्विेर
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ऐसे बनें वोकल फॉर लोकल भौगोट्लक पहचान दी जाती है। ऐसा उतपाद ट्जसकी ट्विरता
देश नवनवधताओं से भरा हआ है। अनेकों भाराएं, अनेकों बोनलरां, या ट्फर प्ट्तष््ा मुखय रूप से प्कृट्त और मानवीय कारकों
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पर ट्नभमार करती है। दि में सबसे पहले दाट्जमाट्लंग के चाय
अलग-अलग खान-पान, लनकन भारत एक है। भारत रानली को जीआई टैग ट्मला। आज करीब 325 उतपादों को जीआई
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कोनट-कोनट सामा्र जन के खून-पसलीने, आकांक्ाओं और टैग ट्मल चुका है। जीआई टैग का महतव आप ऐसे भी समझ
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अपेक्ाओं कली सामनहक शस्कत। भारत रानली राजर अनेक, राष्रि सकते हैं, बनारसी साड़ी के ट्लए 5 ट्जलों को ट्जयोग्राट्फकल
एक। समाज अनेक, भाव एक। पंथ अनेक, लक्र एक। ररवाज जीआई रट्जसरिी ने लीगल सट्ट्टफाइि ट्कया है। पांच ट्जलों के
अनेक, मूलर एक। भाराएं अनेक, अनभवरस्कत एक। रंग अनेक, अलावा बनने वाली साड़ी को बनारसी साड़ी नहीं कह सकत े
नतरंगा एक। अगर एक पस्कत में कहें तो भारत में राट्त भले हली हैं। मिीन की साड़ी को जीआई नहीं ट्दया गया है। ट्पछल े
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अलग-अलग हैं, लनकन गंतवर एक हली है, मनजल एक हली है और सात वरगों में हमारे दि से जीआई उतपादों का काफी ट्नयामात हो
रहा है। खास बात ये है ट्क वतमामान में आतमट्नभमार भारत और
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रे मनजल है, एक भारत, श्ेष्ठ भारत। ऐसे में वोकल फॉर लोकल वोकल फॉर लोकल से जीआई को जोड़ ट्दया गया है। इसकी
के नलए दढ ननशचरली होने का मतलब है नक देश का हर नागररक वजह से सभी ट्वभाग इस पर फोकस कर रहे हैं। अंतरराष्रिीय
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अपनली एक सूचली बनाएं और रोजमराया में काम आने वालली चलीजों बाजार में जीआई टैग को एक रिेिमाक्क के रूप में देखा जाता
को लेकर नववेचना करें नक अनजाने में कौन सली नवदेश में बनली है। इससे टूररजम और ट्नयामात को बढ़ावा ट्मलता है, साथ ही
चलीजों ने उनके जलीवन में प्रवेश कर नलरा है रा आदत बना नलरा सथानीय आमदनी भी बढ़ती है।
है। इसके बाद भारत में उपलबध उन वट्तओं के नवकलपों को
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पता करें और रे भली तर करें नक आगे से भारत में बने उन चलीजों देश में हली ननमायाण का संदेश नदरा है। इसका उद्शर देश कली
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का हली प्ररोग अपने दैननक जलीवन में करेंगे नजसमें भारतवासली कली अथयावरवट्था को मजबूत करना और आतमननभयार बनाना है।
मेहनत कली महक हो। वोकल फॉर लोकल कली रह भावना तब कोनवि कली महामारली पर दलीवालली का जनून भारली पड़ रहा है
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और मजबूत होगली जब इसे एक भारत-श्ेष्ठ भारत कली भावना कली और वरापारररों में उतसाह देखने को नमल रहा है तो बाजारों से
शस्कत नमलेगली। नवदेशली सामानों कली जगह भारतलीर सामानों कली रौनक नदख रहली
ननस्शचत तौर से बनारसली सानिरों में बनारस के बनकरों का हनर है। ‘वोकल फॉर लोकल’ मयुनहम से देश के बाजारों में भारतलीर
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नदखता है। कहीं हलदली, कहीं मसाले, कहीं आम, कहीं सेब, मखाना सामान अपनली चमक नबखेर रहा है जो दननरा को दो टक संदेश
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रा अ्र कृनर उतपाद। रूपली का आम, कशमलीर का केसर, आंध्र प्रदेश दे रहा है- “भारत कली कहानली आज मजबूत है, कल और भली
कली नमचया, तनमलनािु कली हलदली फेमस है। लोकल से गलोबल हो मजबूत होगली।” n
रहे भारतलीर उतपादों ने देश कली जनता को देश के बने उतपादों और
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न्यू इडिया समाचार | 1-15 नवंबर 2021