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व्यक्ततव मैकिलीशरर िुपत

                               विनहें राष्ट्रवपता िे




                              कहा था,‘राष्ट्रकवि’






































                                 (िनम: 03 अगसत 1886, मृतयु : 12 वदसंबर 1964)

          वो ्सूरज थे श्दों के... और रहंदी भारा के आ्समान के तारे भी। तारे ऐ्से रक रजनके रबना राष्ट्रभारा रहंदी

         के श्द तारों का कोई ्सरर पूरा ही नहीं हो ्सकता। िेखनी ऐ्सी...रज्सने दा्सता के दौर में हर रहंदुसतानी के
         रदि में सवतंत्रता का न्ा जोश भरा, तो खुद राष्ट्ररपता महातमा गांधी ने रजनहें रद्ा राष्ट्रकरव का ्सममान।
                रहंदी की ऐ्सी अनमोि धरोहर महान करव मैरथिीशर् गुपत की136वीं ज्ंती पर नमन...
         झा       नलए नकसली तलीथया ट्थान से कम नहीं है। रहां कली नमट् टली में   रकसकेंद्र से मकिलीशरर िुपत का सफर
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                सली नजले का नचिगांव कट्बा आज किोड़ों नहंदली प्रेनमरों के
                                                                        ै
                                                             बात उन नदनों कली है जब सानहतर खासकि कनवता में ब्रज भाषा का
                पैदा हुए भाित मां के ऐसे सपूत, नजनहोंने अपनली लेखनली स  े  वचयाट्व था। उस समर खड़ली बोलली के पिोधा पनित महावलीि प्रसाद
                                                                                               ं
                                                                                          ु
        ट्वतंत्रता आंदोलन को जोश से भि नदरा। 03 अगट्त 1886 को रहीं   नविवेदली नहंदली भाषा को लेकि देशभि में आंदोलन चला िहे थे। महावलीि
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        जनम हुआ था मनथललीशिण गुपत का। मनथललीशिण गुपत, स्ठ िामचिण   प्रसाद नविवेदली झांसली िेलवे में काम किते थे औि वहीं से नागिलीप्राचािणली
        कनकने औि कौशलरा बाई कली तलीसिली संतान थे। उनके नपता िाम भकत   सभा विािा प्रकानशत सिट्वतली पनत्रका के संपादन कली नजममदािली भली ननभात  े
                                                                                                   े
        औि कावर प्रमली थे। नवद्ालर में खेलकूद में अनधक धरान देने के कािण   थे। सिट्वतली इलाहाबाद (अब प्ररागिाज) से प्रकानशत होतली थली, तब
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        मनथललीशिण गुपत कली पढ़ाई अधिली हली िह गरली। ऐसे में बजार ट्कूल के   सिट्वतली में ्पना नकसली भली लेखक के नलए सममान कली बात होतली थली।
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        उनह घि पि हली नहंदली, सट्कृत, अंग्ेजली औि बांगला भाषा का ज्ान ननजली   एक नदन मनथललीशिण नहममत कि महावलीि प्रसाद से नमलने गए, जहा  ं
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        नशक्क के जरिए नमला। कहा जाता है नक मनथललीशिण गुपत ने एक बाि   दोनों में नदलचट्प संवाद हुआ। वे बोले - मिा नाम मनथललीशिण गुपत
                                                                                           े
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        कहा था, “मैं करों पढ़ाई करूंगा। मैं पढ़ने के नलए पैदा नहीं हुआ हं।   है, मैं कनवता नलखता हं औि चाहता हं नक आप मिली कनवताएं सिट्वतली
                                                                                               े
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                                                                                       ू
        लोग-बाग हमें पढ़ेंगे।” बचपन में कहली उनकली रे बातें आगे जाकि सहली   में प्रकानशत कि। इस पि महावलीि प्रसाद नविवेदली ने कहा - बहत स लोग
                                                                                                      ु
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        सानबत हुई।
          6  न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 अगस्त 2022
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