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व्यक्ततव मैकिलीशरर िुपत
चाहते हैं नक उनकली िचनाएं सिट्वतली में प्रकानशत हों लेनकन सबको प्रातः काललीन प्राथयानाओं में भाित भाितली हली गाई जातली थली। गांव-गांव में
मौका नहीं नमलता औि नफि आप तो ब्रज भाषा में नलखते हैं। हम नसफ्फ अनपढ़ लोग भली सुन सुनकि इसे राद कि चुके थे। महातमा गांधली के
खड़ली बोलली में िचनाएं ्ापते हैं। इस पि मैनथललीशिण ने कहा- अगि असहरोग आंदोलन के बाद जब नागपुि में झंिा सतराग्ह हुआ तो सभली
्ापने का आशवासन नमले तो मैं खड़ली भाषा में कनवता नलख दूंगा, सतराग्हली जुलूस में भाित भाितली के गलीत गाते हुए सतराग्ह किते थे।
मैं अपनली िचनाएं िनसकेंद् के नाम से भेजूंगा। जवाब नमला - अगि गोिली सिकाि ने भाित भाितली पि पाबंदली लगा दली औि सािली प्रनतरां जबत
प्रकानशत होने के लारक होगली तो अवशर प्रकानशत किेंगे, साथ रह कि लली। भाित भाितली सानहतर जगत में आज भली सांट्कृनतक नवजागिण
भली कहा गरा नक िचनाएं नकसली उपनाम से नहीं अपने नाम से भेनजए। का ऐनतहानसक दट्तावेज है।
महावलीि प्रसाद नविवेदली के कहने पि पहलली बाि मैनथललीशिण गुपत ने मानस भिन में आयमाजन तजसकी उिारें आरिीं।
्
हेमंत शलीषयाक से खड़ली बोलली में कनवता नलखली नजसे महावलीि प्रसाद नविवेदली भगिान्! भारििषमा में गंजे हमारी भारिी।।
ने कु् संशोधनों के बाद सिट्वतली में ्ापली। हेमंत के प्रकाशन के बाद हो भद्रभािोद्ातिनी िह भारिी हे भिगिे। सीिापिे!
सिट्वतली में गुपत लगाताि ्पते िहे। देखते हली देखते वे अपनली नहंदली कली सीिापिे!! गीिामिे! गीिामिे!!
सेवा के कािण दद्ा के रूप में लोकनप्रर हो गए। 1914 में शकुंतला औि इसके 2 साल बाद नकसान नाम से कनवता
दद्ा की कहंदी सेवा संग्ह प्रकानशत हुए। नकसान में भाितलीर नकसानों कली दुदयाशा औि उनकली
1905 से 1925 के बलीच मैनथललीशिण गुपत कली कनवताएं सिट्वतली में पिेशाननरों का नचत्रण अद्भुत है। 1933 में उनहोंने विापि औि नसद्िाज
लगाताि जगह पातली िहीं। अपनली पहलली कनवता हेंमत से लेकि जरद्थ, जैसे पौिानणक औि ऐनतहानसक कावर संग्ह नलखें। वे अब तक
भाित-भाितली, साकेत जैसली तमाम िचनाएं नकताब के रूप में आने से कहानली, उपनरास, कनवता, ननबंध पत्र, आतमकथा अंश, महाकावर कली
पहले सिट्वतली में ्प चुकली थली। महावलीि प्रसाद औि सिट्वतली पनत्रका लगभग 10 हजाि पंस्कतरां नलख चुके थे। इसली बलीच नजंदगली के 50
से अपने लगाव के बािे में गुपत ने साकेत कली प्रट्तावना में नलखा- करिे साल पूिे हुए। देशभि के सानहतर प्रेनमरों ने बनािस से लेकि नचिगांव
िुलसीदास भी कैसे मानस-नाद? महािीर का यतद उनहें तमलिा तक मैनथललीशिण गुपत कली 50वीं वषयागां्ठ धूमधाम से मनाई। इस
नहीं प्रसाद। वैसे तो मैनथललीशिण गुपत कली सभली िचनाएं कालजरली है अवसि पि िाषरिनपता महातमा गांधली ने मैनथललीशिण गुपत को िाषरिलीर
लेनकन 1910 में आई कनवता 'िंग में भंग' ने जोश से भि नदरा। 1921 कनव कली उपानध से सममाननत नकरा। इसके बाद से मैनथललीशिण गुपत
में महावलीि प्रसाद नविवेदली ने संपादक पद से इट्तलीफा दे नदरा औि इधि िाषरिकनव हो गए। 50वीं वषयागां्ठ का जश्न समापत भली नहीं हुआ था
मैनथललीशिण ने भली गोिली सिकाि के नखलाफ खुलकि नलखना शुरु कि नक 1937 एक औि कामराबली लेकि आरा। साकेत के नलए उनहें नहंदली
नदरा। सानहतर सममलेन ने मंगला प्रसाद पुिट्काि से सममाननत नकरा। साथ
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आज की तचत्ौि का सुन नाम कुछ जाद भरा हली 1954 में उनहें पद्मभूषण नदरा गरा।कोिोना काल में नमले अवसिों
चमक जािी चंचला-सी तचि में करके तिरा पि बात किते हुए िाजरसभा में अपने भाषण के दौिान प्रधानमंत्रली
ें
िंग में भंग के बाद आई जरद्थ-वध। 1905 में बंगाल नवभाजन का निद् मोदली ने मैनथललीशिण गुपत का नजक्र किते हुए कहा था- ''जब
गुट्सा जरद्थ वध के जरिए ननकला... मैं अवसिों कली चचाया कि िहा हूं, तब महाकनव मैथललीशिण गुपत जली
िाचक! प्रथम सिमात् ही ‘जय जानकी जीिन’ कहो। कली कनवता को मैं उदघोनषत किना चाहूंगा। गुपत जली ने कहा था-
तिर प्िमाजों के शील की तशषिा िरंगों में बहो।। अिसर िेरे तलए ििा है, तिर भी ि् चुपचाप पिा है।
दु:ि, शोक, जब जो आ पिे, सो धैयमा प्िमाक सब सहो। िेरा कममा षिेत् बिा है पल-पल है अनमोल,
होगी सिलिा कयों नहीं कत्मावय पथ पर दृढ़ रहो।। अरे भारि उठ, आिें िोल।।
अतधकार िो कर बैठ रहना, यह महा दुषकममा है। रे मैनथललीशिण गुपत जली ने नलखा है। लेनकन मैं सोच िहा था इस
नयायाथमा अपने बंधु को भी दंड देना धममा है।। कालखंि में, 21वीं सदली के आिंभ में अगि उनको नलखना होता तो
जरद्थ वध के बाद मैनथललीशिण गुपत लोकनप्ररता के नशखि पि थे करा नलखते- मैं कलपना किता था नक वो नलखते-
लेनकन 1914 में भाित भाितली ने उनहें िाषरिलीर ट्ति पि पहलली जमात अिसर िेरे तलए ििा है, ि् आतमतिशिास से भरा पिा है।
में बै्ठा नदरा। भाित भाितली कली लोकनप्ररता का आलम रे था नक सािली हर बाधा, हर बंतदश को िोि,
प्रनतरां देखते हली देखते समापत हो गई औि 2 महलीने के भलीति दूसिा अरे भारि, आतमतनभमारिा के पथ पर दौि।।'' n
संट्किण प्रकानशत किना पड़ा। िाषरिलीर आंदोलनों, नशक्ा संट्थानों औि
न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 अगस्त 2022 7