Page 43 - Hindi NIS 1-15 January 2022
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राष्ट्र आजादी का अमृत महोत्सव
महातमा गांधी की ्परछाई बन स्वतंत्ता संग्ाम में
महाि्व भाई िेसाई ने रनभाई महती भूरमका
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जनम - 1 जनवरी 1892 मृतयु - 15 अगसत 1942
हादेव भाई देसाई कहने को तो सांस तक जािली िहा। महातमा रांधली ने 8 अरट्त
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िाषरिनपता महातमा रांधली के ननजली 1942 को मंबई के अपने ऐनतहानसक भाषर में
मसनचव थिे, लेनकन उन दोनों के बलीच ‘किो रा मिो' का नािा नदरा थिा। 9 अरट्त कली
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उम्र में किलीब 24 साल का अंति थिा। उम्र में सबह हली अंग्जों ने महातमा रांधली, महादेव देसाई
इतना अंति होने के बावजूद दोनों के बलीच का आनद को नरि्ताि कि पयुरे के आरा खां महल में
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संबंध बहत सहज औि मधयुि थिा। रहली कािर बंद कि नदरा। इसली जेल में 15 अरट्त को महादेव
है नक महादेव देसाई को लोर महातमा रांधली कली देसाई का नदल का दौिा पड़ने से ननधन हो ररा।
पिछाई कहते थिे। उनके ननधन पि महातमा रांधली ने कहा थिा नक
इतना नहीं, कुछ लोर उनहें रांधली का दानहना उनहोंने 50 साल कली नजंदरली में हली 100 साल
हाथि मानते थिे, जो बापू कली सभली जरितों का धरान स्नातक तक की शिक्ना का काम कि नदरा। महातमा रांधली कली इचछा के
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िखते थिे। माना जाता है नक वह महातमा रांधली हनाशिल करने के बनाद अनसाि आरा खां के महल में हली उनकली समानध
के टाइनपट्ट, अनवादक, काउंसलि, कूरिरि, उनहोंने कनानून की भी बनवाई रई। एक साल के बाद जब कट्तूिबा
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दभानषरा, संकटमोचक सनहत औि भली बहत पढनाई की और वकनालत रांधली का ननधन हआ तो उनकली समानध भली
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कुछ थिे। रहां तक नक वह िसोइरे भली थिे औि के पेिे िे भी जुड़े। महादेव देसाई कली समानध के ननकट हली बनवाई
उनके हाथि कली बनली नखचड़ली कली रांधली खासतौि रई। सूित के एक रांव में 1 जनविली 1892 को
से तािलीफ किते थिे। देसाई से स्ह के कािर हली जनमे महादेव देसाई ने महातमा रांधली कली रयुजिातली
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महातमा रांधली औि उनकली पत्ली कट्तूिबा उनहें अपने पत्र जैसा मानते में नलखली आतमकथिा ‘सतर के प्ररोर’ का अंग्जली में अनवाद नकरा थिा।
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थिे। महातमा रांधली ने 1917 में देसाई से हई अपनली पहलली हली मलाकात वह लंबे समर तक िारिली लेखन किते िहे औि इस िारिली में महातमा
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में उन में नछपली हई नवशेषताओं को पहचान नलरा औि उनसे अपने रांधली कली जलीवनशैलली, उनके नक्राकलापों आनद का नवट्तृत नवविर
साथि काम किने का आग्ह नकरा थिा। ऐसे में महातमा रांधली का 1917 नमलता है। रांधली के चरित्र, नवचाि औि उनके दशयान को समझने के
या
में देसाई से जो संबंध बना वह 15 अरट्त 1942 तक देसाई कली अंनतम नलए रह िारिली आज कली तािलीख में एक महतवपूर दट्तावेज है।
हांसी, हांसी चढ़ गो फांसी... गीत की
प्रेर्ा बन गए थे रतलका मांझी
जनम: 11 फरवरी 1750, शहीदी िदवस : 13 जनवरी 1785
ए क रयुवक 13 जनविली 1784 को ताड़ के पेड़ पि चढ़ ररा औि जैसे हली घोड़े पि सवाि अंग्ज
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सयुप्रींटेंिेंट कललीवलैंि उस ओि आरा उसे अपने जहिलीले तलीि से माि नरिारा। ऐसा किने वाला
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रह रयुवक कोई औि नहीं, बस्लक नतलका मांझली थिा। मांझली ने अंग्जों के नखलाफ उस समर दरअिल पहनाशड़यना
लड़ाई शयुरु कली थिली, जब कहीं कोई नवद्रोह कली बात भली नहीं हो िहली थिली। इस घटना के बाद अंग्ज उनके भनाषना में ‘शतलकना’ कना
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पलीछे पड़ रए। एक िात नतलका मांझली औि उनके क्ांनतकािली साथिली पािंपरिक उतसव मना िहे थिे तभली अर्थ है गुसिैल और
अचानक उन पि हमला कि नदरा ररा। मांझली, अचानक हए इस हमले में तो बच ननकले, लेनकन इस लनाल-लनाल आंखों
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हमले में कई औि लोर मािे रए। 13 जनविली 1785 को एक अंग्ज अनधकािली के नेतृतव में नतलका मांझली वनालना वयक्त।
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को बंदली बना नलरा ररा औि उनहें घोड़े से बांध कि कई मलील घसलीट कि भारलपयुि लारा ररा। अंग्ज
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न्यू इडिया समाचार | 1-15 जनवरी 2022 41
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