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राष्ट्र   आजादी का अमृत महोत्सव



        सनहत सभली लोर आशरचयाचनकत थिे नक मलीलों     अलग ्पारकसतान की मंाग का र्वरोध
        घसलीटे जाने के बावजूद नतलका मांझली जलीनवत
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        कसे िह रए। हालांनक, अंग्जली हकूमत कहां        करने ्वाले राष्ट्र्वािी थे डॉ. रकचलू
        मानने वालली थिली। उनहोंने मांझली को भारलपयुि
        के  चौिाहे  पि  एक  नवशाल  वटवृक्  पेड़  से         जनम: 15 जनवरी 1888, मृतयु : 9 अ्टूबर 1963
        लटका कि फांसली दे दली। वह महान देशभकत
        देश कली खानति हंसते-हंसते फांसली से लटक
        ररा। बाद में आजादली के लड़ाकों ने नतलका            मृतसि के जनलरांवाला बार का
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        मांझली का अनसिर किते हए ‘हांसली, हांसली,         नाम भला नकसने नहीं सना होरा।
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        चढ़ रो फांसली’ रलीत राए। नब्रनटश शासन के   अरह  वहली  जरह  है  जहां  अंग्ज
        नवरुद् सबसे पहले आवाज उ्ठाने वाले नतलका   अनधकािली  जनिल  िारि  के  नेतृतव  में  वहां
        मांझली, दिअसल पहानड़रा समदार के एक ऐसे     जमा सैकड़ों लोरों को रोनलरों से भून नदरा
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        वलीि नसपाहली थिे नजसे भाितलीर ट्वतंत्रता संग्ाम   ररा थिा। माना जाता है नक इस हमले 1,000
        का पहला शहलीद माना जाता है। 11 फिविली     लोर मािे रए थिे औि कई घारल हो रए थिे।
        1750 को नबहाि के भारलपयुि में सलतानरंज के   जनलरांवाला बार में उस नदन जो भलीड़ जमा
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        नतलकपयुि रांव में एक संथिाल परिवाि में जनमे   हई थिली वह नकसली औि के नलए नहीं बस्लक   15 जनवरी 1888 को
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        नतलका मांझली का असल नाम जबिा पहानड़रा      अनर मद्ों के साथि-साथि लोकनप्रर नेता िॉ.   अमृतिर में जनमे डॉ.
        बतारा जाता है। उनका नतलका नाम पड़ने कली    सैफुद्लीन नकचलू कली नरि्तािली के नविोध में   िैफुद्ीन शकचलू ने कैंशरिज
                                                                   े
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        कहानली भली कम नदलचट्प नहीं है। कहते हैं नक   एकत्र हई थिली, नजनहें अंग्जों ने नरि्ताि कि   यूशनवशि्थटी िे स्नातक और
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        नतलका नाम उनहें अंग्जों ने नदरा थिा। एक बाि   नलरा थिा। जब अंग्जली हकूमत ने 1919 में   जम्थन यूशनवशि्थटी िे पीएचडी
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        एक अंग्ज ने इनकली घूितली लाल आंखों में देखा   िॉलेट एकट पारित नकरा तो पेशे से वकलील   की शडग्ी हनाशिल की री।
        थिा,  नजसके  बाद  उनहें  नतलका  नाम  दे  नदरा   औि  नहनदू-मयुस्ट्लम  एकता  के  पक्धि  िॉ.
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        ररा। दिअसल पहानड़रा भाषा में ‘नतलका’ का    नकचलू ने अंग्जली हकूमत के नखलाफ जबदयाट्त
        अथिया है रयुट्सैल औि लाल-लाल आंखों वाला   आवाज उ्ठाई थिली। दिअसल, इस कानून के जरिए सिकाि नबना वािंट के नकसली भली
        वरस्कत होता है। अंग्जों के नखलाफ 1771 से   वरस्कत को नरि्ताि कि सकतली थिली। देश भि में इस कानून का नविोध होने लरा। ऐसे
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        लेकि 1784 तक किलीब 13 साल अंग्जों के      में नकचलू ने लोरों से हड़ताल औि नब्रनटश सिकाि के नखलाफ अनहंसक सतराग्ह में
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        नखलाफ  मोचाया  संभालने  वाले  नतलका  मांझली   भार लेने का आग्ह नकरा। रह नकचलू कली अपलील का हली असि थिा नक 30 माचया 1919
                                                                                             यु
        ने ट्थिानलीर महाजनों औि सामंतों कली नींद को   को उनकली सावयाजननक सभा में लरभर 30,000 लोर शानमल हए, जहां उनहोंने दमदाि
        भली उड़ाए िखा। संथिालों द्ािा नकए रए प्रनसद्   भाषर नदरा। इसके बाद िॉ. नकचलू औि िॉ. सतरपाल ने 9 अप्रैल 1919 को अमृतसि
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        संथिाल नवद्रोह का नेतृतव भली नतलका मांझली ने हली   में सिकाि- नविोधली एक जलूस का नेतृतव नकरा नजसके बाद इन दोनों नेताओं को
        नकरा थिा। नतलका मांझली के नाम पि भारलपयुि   नरि्ताि कि नलरा ररा औि धमयाशाला में नजिबंद कि नदरा ररा। भाितलीर ट्वतंत्रता
        में नतलका मांझली भारलपयुि नवशवनवद्ालर है।   संग्ाम में लराताि सनक्र िहने वाले नकचलू ने िाषरिनपता महातमा रांधली द्ािा चलाए
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        साथि हली बांगला कली सप्रनसद् लेनखका महाशवेता   रए असहरोर आंदोलन में खल कि भार नलरा थिा। उनहोंने नखलाफत आंदोलन में
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        देवली ने नतलका मांझली के जलीवन औि नवद्रोह पि   भली महतवपूर भूनमका ननभाई थिली। वह एक ऐसे िाषरिवादली थिे नजनहोंने मयुस्ट्लम ललीर कली
        बांगला भाषा में एक उपनरास ‘शालनरिि िाके'   अलर पनकट्तान कली मांर का िटकि नविोध नकरा थिा औि 1947 में देश के बंटवािे के
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        कली िचना कली है, नजसे नहंदली में ‘शालनरिह कली   नखलाफ भली खलकि अपने नवचाि िखे थिे। वह नदललली के जानमरा नमनलरा इट्लानमरा
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        पकाि पि' नाम से प्रकानशत नकरा ररा है।     के संट्थिापकों में से एक थिे। माना जाता है नक उनहोंने हली भरत नसंह द्ािा ट्थिानपत
                                                                         या
        भाितलीर ट्वतंत्रता संग्ाम में शानमल आनदवासली   नौजवान भाित सभा के पलीछे मारदशयाक कली भूनमका भली ननभाई थिली। ट्वतंत्रता के बाद,
        ट्वतंत्रता सेनाननरों कली अहनमरत का पता इस   नकचलू ने शांनत कली बहालली औि सोनवरत-भाित संबंधों को नफि से परिभानषत किने के
        बात से चलता है नक उनहें श्द्ांजनल देने के   नलए काम किना जािली िखा। वे 1952 में लेननन शांनत पयुिट्काि से सममाननत होने वाले
        नलए  प्रधानमंत्रली  निेंद्र  मोदली  के  नेतृतव  वालली   पहले भाितलीर बने। प्रधानमंत्रली निेंद्र मोदली के नेतृतव में हाल हली में जनलरांवाला बार में
        सिकाि ने हए 15 नवंबि को जनजातलीर रौिव     ट्मािक के जलीरथोद्ाि औि उन्रन का काम नकरा ररा है। साथि हली ट्मािक ट्थिल पि
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        नदवस मनाना शरु नकरा है।                   संग्हालर, रैलिली औि धवनन एवं प्रकाश प्रदशयानली कली ट्थिापना कली रई है।

          42  न्यू इडिया समाचार | 1-15 जनवरी 2022
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