Page 41 - NIS Hindi 01-15 November 2022
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राष्टट्र  अमेृत मेहोत्सि







                                         जमेनालाल बजाज


                                         ्महात््मा गांधमी ्मानत
                                                                                                 े



                                                                                        ु
                                         थे अपना पांचवां पत्



                                                               ु
                                           जन्मे : 4 निंबर 1889, मेृत्य : 11 र्रिरी 1942

                     ु
                                  छे
                  र्पि नजले के एक ्छोट से गोांव काशली का वास म गोिलीब   म जमनालाल ने अजलीब सा प्रस्ताव िख नदर्ा। इस प्रस्ताव म  ें
                                                               ें
                                                    ें
                                                                                                  ैं
             ज कनलीिाम  नकसान  के  र्हां  4  नवंबि  1889  को  जन्में   उन्होंने कहा नक वो बापू का 5वां बेटा बनना चाहते ह औि गोांधली
             जमनालाल बजाज, वधाया के एक बिछे स्ठ बच््छिाज के र्हां पांच   जली को अपने नपता के रूप म गोोद लेना चाहते ह। शुरुआत म तो
                                                                                                        ें
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                                                                                               ैं
                                                                                 ें
                                                                                                या
             वषया कली आर्ु म गोोद नलर्े गोर्े थे। स्ठ वच््छिाज सलीकि के िहन  े  र्े प्रस्ताव सुनकि महात्मा गोांधली को बहुत आश्चर् हुआ, लनकन
                                      े
                       ें
                                                                                                       े
             वाले थे, उनके पवयाज सवा सौ साल पहले नागोपि म आकि बस   धलीिे-धलीिे उन्होंने जमनालाल को अपना 5वां बेटा मान हली नलर्ा।
                         ू
                                                ें
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                                                      ू
             गोर्े थे। नवलानसता औि ऐश्वर् का वाताविण इस बालक को दनषत   जमनालाल गोांधली के पांचव बेट बन चुके थे, अब उनका मेल
                                 या
                                                                                    छे
             नहीं कि पार्ा, क्र्ोंनक उनका झुकाव तो बचपन से अाध्र्ात्म कली   नमलाप होता िहता औि कई बाि वे नचनठिर्ों से भली अपनली बात  ें
             ओि था। वे धलीिे-धलीिे स्वाधलीनता आंदोलन                       नकर्ा किते थे। महात्मा गोांधली अक्सि कहा
                                   ें
             से जड़ते चले गोए। शुरुआत म वे मदन   असखि भारतरी्य              किते  थे  नक  जमनालाल  तो  उनके  पांचव  ें
                ु
             मोहन मालवलीर् से नमले औि आजादली के   ग्ार्ोद्ोग िंघ करी       सुपुत्र ह।
                                                                                ैं
                                      ें
                                                                                            ें
             आंदोलन से प्रभानवत हुए। 1906 म जब   स्थापना के सिए उन्होंन  े     1920 के दशक म बजाज कंपनली समूह
                  ं
             बाल  गोगोाधि  नतलक  ने  अपनली  मिा्ठली   अपना बगरीचा तक       कली स्थापना किने वाले जमनालाल, महात्मा
                                                                                       ृ
                                                                                              ें
             पनत्रका केसिली का नहंदली संस्किण ननकालन  े  गांधरीजरी को िौंप सद्या।   गोांधली  के  इस  दस्ष्टकोण  म  नवश्वास  कित  े
                                                                                           ें
             के नलए नवज्ापन नदर्ा तो र्ुवा जमनालाल                         थे नक कुटलीि उद्ोगोों म वस्तओं का ननमायाण
                                                                                               ु
                                                                                    ें
             ने एक रुपर्े प्रनतनदन के नहसाब से नमलन  े                     कि भाित म गोिलीबली खत्म कली जा सकतली है।
             वाले जेब खचया से जमा नकए गोए सौ रुपर्े नतलक को जाकि द  े  उन्होंने नब्नटश सिकाि द्ािा प्रदान कली गोई िार् बहादि कली उपानध
                                                                                                 ु
                                                                                                  ें
             नदए। जमनालाल थे तो उद्ोगोपनत, लनकन कभली उद्ोगोपनत कली   को त्र्ागो नदर्ा औि 1921 म असहर्ोगो आंदोलन म शानमल हो
                                                                                  ें
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                                                                      ें
                                                                             ें
             तिह नहीं बस्ल्क बहुत सादगोली से िहे। कहा जाता है नक वह इतन  े  गोए। बाद म, 1923 म, उन्होंने िाष्रिलीर् ध्वज फहिाने पि प्रनतबंध
                                                                                        ें
                                    ें
             सादगोली पसंद व्र्स्क्त थे नक जब उन्ह हलीिे-पन्ों से जड़ा हाि पहनन  े  को धता बताते हुए ध्वज सत्र्ाग्ह म भागो नलर्ा। इसके नलए
             के नलए कहा गोर्ा तो उन्होंने उसे पहनने कली बजार् ्घि ्छोड़ना   नब्नटश सेना ने उन्ह नहिासत म ले नलर्ा था। उन्होंने अपने गोृह
                                                                           ें
                                                                                   ें
             पसंद नकर्ा। जमनानाल बजाज, महात्मा गोांधली से बहुत प्रभानवत   नगोि वधाया म नहंदू मनदिों म तथाकनथत नप्छड़ली जानतर्ों के प्रवेश
                                                                            ं
                                                                      ें
                                                                                ें
             थे औि उनके किलीबली सहर्ोगोली थे। 1915 म दनषिण अफ्लीका स  े  पि िोक को समाप्त किने के नलए लड़ाई लड़ली। रूनढ़वादली नहंद  ू
                                           ें
             वापस लौटने के बाद महात्मा गोांधली ने जब साबिमतली म आश्रम   पुजारिर्ों औि ब्ाह्णों ने उनका नविोध नकर्ा तो उन्होंने 1928 म  ें
                                                   ें
                                                                                                  ं
                                   ें
                                                                   ें
             बनार्ा, तो जमनालाल ने इसम सहर्ोगो नदर्ा। उन्होंने महात्मा   वधाया म, नप्छड़ली जानतर्ों के नलए अपना पारिवारिक मनदि, लक्षमली
                                          ें
                        ें
             गोांधली को वधाया म स्वतंत्रता आंदोलन का कद्र बनाने कली सलाह भली   नािार्ण मनदि खोल नदर्ा। उनके सामानजक कार्षों के सम्मान
                                                                     ं
                                                                                             ु
                                                               ें
             दली। साथ हली, वह महात्मा गोांधली के साथ उनके आश्रम म िहे भली।   म बजाज फाउंिछेशन ने जमनालाल बजाज पिस्काि कली स्थापना
                                                   ें
                   ें
             1920 म नागोपि म कांग्स का अनधवेशन हुआ। उस अनधवेशन   कली। 11 फिविली 1942 को उनका ननधन हो गोर्ा।
                              े
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