Page 42 - NIS Hindi 01-15 November 2022
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राष्टट्र  अमेृत मेहोत्सि




                       श्हेीद रामे वस्हे प्ठावनया               दामेोदर मेेनन
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                     अंग्ेजों से ्लोहा ्लेने वा्ल        े      ननभभीक पत्काररता के द्म पर

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                          नह्माच्ल के वमीर सपत                  नजन्होंने ्लड़मी आजादमी कमी ्लड़ाई


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                 जन्मे : 10 अप्रल 1824, मेृत्य : 11 निंबर 1849          जन्मे : 10 जून 1906, वनधन : 1 निंबर 1980
          नह   माचल  प्रदेश  के  एक  वलीि  सपूत                                   नब् नटश हुकूमत के नखलाफ ननष्पषि एवं
               वजलीि िाम नसंह प्ठाननर्ा का नाम
                                                                                     ननभषीक पत्रकारिता किने वाले के.
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          मां भाितली के उन महान सपतों म नगोना                                    ए. दामोदि मेनन भाित के प्रमुख स्वतंत्रता
          जाता है, नजन्होंने आजादली के पहले स्घषया                               सेनाननर्ों  में  से  एक  थे।  उनका  जन्म
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          र्ानली 1857 से 11 साल पहले हली नब्नटश                                  10 जून 1906 को केिल के किमलूि
          हुकूमत के नखलाफ स्घषया का नबगोुल बजा                                   नामक  स्थान  पि  हुआ  था।  दामोदि
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          नदर्ा था। उस समर् उनकली उम्र केवल 21 साल थली। प्ठाननर्ा, महज   मेनन ने 'महािाजा कॉलेज', नत्रवेंद्रम औि 'िगोून र्ूननवनसयाटली',
                                                                                                  ं
          24 वषया कली उम्र म भाित माता के नलए स्वतंत्रता संग्ाम के आंदोलन म  ें  बमाया (वतयामान म्र्ांमाि) से नशषिा पाई थली। इसके बाद उन्होंने
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          प्राणों कली आहनत देकि अमि हो गोए थे। कहा जाता है नक र्ुद्ध के दौिान   नत्रवेंद्रम से कानून कली निग्ली लली। कानून कली निग्ली लेने के बावजूद
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          वह चिली तलवाि को इतनली तेजली से चलाते थे नक वह दुश्मन को नदखतली   उनकली रुनच सावयाजननक कार्षों औि पत्रकारिता में अनधक थली।
          तक  नहीं  थली।  इस  वलीि   िोकगरीत ‘कोई सक्कहा            पत्काररता के िाथ             ऐसे  में  महात्मा

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          सपूत  का  जन्म  निपि   पठासन्या जोर िड़़े्या'…            भारत करी आजादरी के           गोांधली  से  प्रेरित
          रिर्ासत के वजलीि श्र्ाम                                                                होकि वे स्वतंत्रता-
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          नसंह  के  ्घि  10  अप्रल   ‘कोई बटिा वजरीर दा खूब         बाद भरी र्ेनन राष्टट्र सहत   संग्ाम  में  शानमल
          1824  को  हुआ  था।    िड़़े्या' के जरर्ये आज भरी          के सिए भरी िदैव कार्         हो  गोए।  उन्होंने
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          कहा जाता है नक 1846   उन्ह ्याद करते ह िोग।               करते रहे।                    महात्मा  गोांधली  द्ािा
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          म अंग्ज-नसख सनध के                                                                     चलाए  गोए  ‘नमक
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          कािण नहमाचल प्रदेश कली अनधकांश रिर्ासत अंग्ज साम्राज्र् के   सत्र्ाग्ह’ औि ‘सनवनर् अवज्ा आंदोलन’ में भली सनक्र् रूप से
          आधलीन हो गोई थीं। उसली वक्त िाजा वलीि नसंह कली मौत हो गोई। उनके   भागो नलर्ा औि जेल में भली िहे। उन्होंने 'भाित ्छोड़ो आंदोलन'
          बेट जसवंत नसंह िाजगोद्ली के उत्तिानधकािली थे। अंग्ेजों ने जसवंत नसंह   में भली भागो नलर्ा औि 1942 से 1945 तक जेल में बंद िहे।
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          के सािे अनधकाि पांच हजाि रुपर्े म ले नलए औि रिर्ासत म अपन  े  दामोदि मेनन कली नगोनतली देश के बेहतिलीन पत्रकािों में कली जातली
          शासन से नमलाने कली ्घोषणा कि दली। ऐसे म िाम नसंह प्ठाननर्ा न  े  थली। उन्होंने 1948 तक प्रनसद्ध मलर्ालम दैननक ‘मातृभूनम’ के
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          कटोच िाजपतों के साथ नमलकि सेना बनाई औि अंग्ेजों पि धावा   संपादक के रूप में देश में जन-जागोिण के नलए महत्तवपूणया काम
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          बोल नदर्ा। इस आक्मण से अंग्ज भागो खड़छे हुए। इससे खुश होकि   नकर्ा। इतना हली नहीं, उन्होंने अलगो-अलगो समर् में ‘समदशषी’,
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          जसवंत नसंह ने खुद को िाजा ननर्ुक्त किते हुए िाम नसंह को अपना   ‘स्वतंत्र’, ‘कहालम’ औि ‘पावि शस्क्त’ पत्रों का भली संपादन
          वजलीि बना नलर्ा। इसके बाद उन्होंने नहमाचल से सािे अंग्ेजों को   नकर्ा।  वह लोकसभा औि नवधानसभा के नलए भली चुने गोए थे।
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          उखाड़ फकने कली र्ोजना बनाई औि नवजर् हानसल कली। अंग्ेजों   केिल नवधानसभा के सदस्र् चुने जाने के बाद वह िाज्र् सिकाि
          को र्ह पता था नक वो िाम नसंह को आसानली से नगोिफ्ताि नहीं कि   में मंत्रली भली बने थे। कहा जाता है नक उनके आनथयाक नवचाि बड़छे
          सकते, ना हली माि सकते ह। ऐसे म उन्होंने र्ोजना बनाई औि पूजा   उदाि थे। 1 नवंबि 1980 को उनका ननधन हो गोर्ा। n
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          किते समर् धोखे से उन्ह नगोिफ्ताि कि नलर्ा गोर्ा। उन्ह आजलीवन
          कािावास कली सजा सुनाकि कालापानली भेज नदर्ा गोर्ा। बाद म उन्ह  ें
                                                     ें
          िगोून भेजा गोर्ा, जहां 11 नवंबि 1849 को वे मात्र 24 साल कली उम्र
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          म वलीिगोनत को प्राप्त हो गोए।
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            40  न्यमू इंनडया स्माचार   1-15 नवंबर 2022
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