Page 49 - NIS Hindi, 16-30 November,2022
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राष्टट्र  अमृत महोत्सवी



          दीनबधिु सर छो्टराम
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         अंग्ेजों से त्भड़ने र्ाले त्कसानों के मसीहा


                       जन्ि : 24 निंबर, 1881, िृत्यु : 9 जनिरी, 1945

         अं   ग्रेजों से नभड़ने वाले औि नकसानों के मसलीहा के रूप म पहचान     िटकि खड़े होने वाले व्र्क्क्ि थे। कृनष से जड़ली समस्र्ाओं, नकसानों,  े
                                                                                           ु
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              िखने वाले महान स्विंत्रिा सेनानली दलीनबंधु सि छोटिाम का
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                                                             छोटे उद्नमर्ों के सामने आने वालली नवपनत्तर्ों, चुनौनिर्ों को उन्होंन
                                                               ु
         जन्म 24 नवंबि, 1881 को हुआ था। वियामान हरिर्ाणा म झज्जि के   बहि किलीब से देखा औि समझा था। कहा जािा है नक पक््चचम औि
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                                                    ें
         एक छोटे से गांव गढ़ली सांपला म बहि हली साधािण परिवाि म जन्म  े  उत्ति भािि के एक बड़े नहस्स म उनका प्रभाव इिना व्र्ापक था नक
                                                                े
         छोटिाम बचपन से हली दृढ़ इच्छाशक्क्ि के धनली थे। कहा जािा है नक   अग्रज प्रशासक भली उनकली बाि मानने के इंकाि किने से पहले सौ
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         एक बाि एक साहूकाि ने कजया देने कली बजार् चौधिली छोटिाम को   बाि सोचने के नलए मजबि होिे थे। इिना हली नहीं, भाखड़ा बांध कली
                                                                               ू
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         पटवािली बनने कली सलाह दली थली। लनकन साहूकाि को इस बाि का   असलली सोच छोटिाम कली हली थली। उन्होंने हली नबलासपि के िाजा के
                                                                                                   ु
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         अंदाजा नहीं था नक नजसको वो पटवािली बनने का सुझाव दे िहे ह, वो   साथ भाखड़ा बांध प्रोजेक्ट के नलए हस्िाक्ि नकए थे। इस बाि का
                                                     ैं
         एक नदन हजािों पटवारिर्ों कली नकस्मि िर् किने वाला है। नसफ्क औि   पंजाब, हरिर्ाणा, िाजस्थान के लोगों को, नकसानों को आज भली लाभ
                                                                                                   ू
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         नसफ्क अपने सामर्र्या के बल पि स्घषया कििे हुए चौधिली साहब पंजाब   नमल िहा है। छोटिाम ने नजस प्रकाि नकसानों, मजदिों के उत्थान
                                                   ें
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         के िाजस्व मत्रली के पद िक पहंचे थे। 1916 म जब िोहिक म काग्रस   के नलए संपणयािा के साथ सोचा, उसली प्रकाि प्रधानमत्रली निद्र मोदली
                                                                                                       ें
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         कमेटली का ग्ठन हुआ िो छोटिाम इसके अध्र्क् बने लनकन बाद   कली सिकाि भली बलीज से बाजाि िक कली एक सशक्ि व्र्वस्था बनान  े
                               टू
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         म महात्मा गांधली के असहर्ोग आंदोलन से असहमि होकि इसस  े  का प्रर्ास कि िहली है। नकसानों को उसकली उपज का उनचि मूल्र्
         अलग हो गए। उन्होंने र्ूननर्ननस्ट पाटयी का ग्ठन नकर्ा औि 1937 के   नमले, मौसम कली माि से नकसानों को सिक्ा कवच नमले, आधुननक
                                                                                         ु
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         प्रोवनशर्ल असबलली चुनावों म उनकली पाटयी को जलीि नमलली। छोटिाम   बलीज नमले, पर्ायाप्ि मात्रा म र्ूरिर्ा नमले, नसंचाई कली उनचि व्र्वस्था
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         नवकास व िाजस्व मत्रली बने। उनकली दिदक्ष्ट को देखिे हुए चरिवियी   नमले, नमट्ली का स्वास्र्र् बना िहे, इस पि ननििि काम नकर्ा जा
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                                                                            ें
         िाजगोपालाचािली ने कहा था, “चौधिली छोटिाम न नसफ्क ऊंचे लक्षर् िर्   िहा है। प्रधानमत्रली निद्र मोदली ने 9 अक्टबि 2018 को हरिर्ाणा के
                                      टू
                                                                        ं
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         किना जानिे ह बक्ल्क उन लक्षर्ों को हानसल कैसे नकर्ा जाए इसका   सांपला म छोटिाम कली प्रनिमा का अनाविण नकर्ा था। इस अवसि
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         मागया भली उन्ह अच्छली ििह पिा था।” उनका नाम देश के उन समाज   पि उन्होंने कहा था, “चौधिली छोटिाम उन सामानजक सुधािकों म स  े
                                                                                    टू
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         सुधािों म शानमल है नजन्होंने भािि के ननमायाण म महत्वपणया भनमका   एक थे नजन्होंने भािि म इस क्त्र म महत्वपणया र्ोगदान नदर्ा।” उन्होंन  े
                                                                             ें
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         ननभाई है। वो नकसानों, मजदिों, वनचिों, शोनषिों कली बुलंद औि मुखि   छोटिाम को पलीनड़िों औि वनचिों के उद्धाि के नलए ननििि कार् किन  े
                                                                                                  ं
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         आवाज थे। वो समाज म भेद पैदा किने वालली हि शक्क्ि के सामन  े  वालली शक्ख्सर्ि के रूप म वनणयाि नकर्ा।
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       शानत घोर्              त्जन्होंने 15 साल की
       उम्र में त्रित््टश अत्धकारी को मारी गोली
                  जन्ि : 22 निंबर 1916, िृत्यु : 28 िाच्य 1989
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             िि के स्विंत्रिा सग्राम कली रिांनिकािली वलीिांगना शानि ्घोष का   हुई। शानि ्घोष, कोनमला म छात्र स्घ कली संस्थापक सदस्र् थीं। व  े
                                                                 ं
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       भा जन्म 22 नवंबि 1916 को पक््चचम बंगाल के कोलकािा में   रिांनिकािली संग्ठन जुगािि पाटयी म शानमल हो गईंं। इस पाटयी का मूल
                                                                                   ें
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       हुआ था। शानि के नपिा दबद्रनाथ ्घोष कोनमला के नवक्टोरिर्ा काॅलेज   उद्चर् रिांनिकािली गनिनवनधर्ों को अंजाम देना था। ऐसे म, संग्ठन न  े
                                                                                                    ें
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       म दशयानशास्त्र के प्रोफेसि थे। उनकली प्रािनभक नशक्ा ्घि पि हली हुई   िलवािबाजली औि ला्ठली चलाने के साथ हली शानि को अन्र् शस्त्रों का
                                    ं
                                       ं
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       औि मािृभनम के नलए समपयाण कली भावना शानि म ्घि से हली जागि   भली प्रनशक्ण नदर्ा। बाद म उन्ह एक नवशेष अनभर्ान के नलए चुना गर्ा।
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                                                                                ें
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