Page 50 - NIS Hindi, 16-30 November,2022
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राष्टट्र  अमृत महोत्सवी




         मीराबेन                महात्मा गांधी की अनु्थ्ा्थ्ी मत्हला


         त्जन्होंने भारति की आजादी के संिर् में त्ल्थ्ा भाग
                                                             ्य



                      जन्ि : 22 निंबर 1892, िृत्यु : 20 जुलाई 1982

              ष्ट्नपिा महात्मा गांधली के अनुर्ार्ली पूिली दुननर्ा में िहे हैं   के साथ लंदन गई थली। लंदन से वापस भािि आने के बाद वह खादली
        िा लेनकन उनकली एक अनुर्ार्ली ऐसली भली थली नजसने सत्र् औि   के प्रचाि-प्रसाि में लग गर्ीं औि इसके नलर्े पूिे देश कली र्ात्रा कली।
        अनहंसा के िास्िे पि चलने के नलए धन-दौलि हली नहीं, बक्ल्क देश   मलीिाबेन सादली धोिली पहनिली, सूि काििली औि गांव-गांव ्घूमिली। वह
        भली छोड़ नदर्ा था। वो अनुर्ार्ली कोई औि नहीं बक्ल्क मलीिाबेन थली   महात्मा गांधली के संदेशों का पालन कििली िहीं औि वह अनहंसा के
        नजसका असलली नाम मेिेललीन स्लेि था। वह नरिनटश नेवली ऑनफसि   संदेश के प्रचाि-प्रसाि में सनरिर् िहीं।
        एिमंि स्लेि कली बेटली थीं। उनका जन्म 22 नवंबि 1892 को    उन्होंने र्ंग इंनिर्ा औि हरिजन पनत्रका में हजािों लेख नलखे।
        नरिटेन में हुआ था। महात्मा गांधली के अनहंसा के नसद्धांिों से प्रभानवि   उन्हें कई बाि नगिफ्िाि भली नकर्ा गर्ा। सनवनर् अवज्ा आंदोलन के
        होकि उन्होंने भािि को हली अपना ्घि बना नलर्ा। मलीिाबेन ने मानव   दौिान भली उन्हें नहिासि में िखा गर्ा था। अंग्रेजों ने उन पि भािि में
        नवकास, महात्मा गांधली के नसद्धांिों कली उन्ननि औि स्विंत्रिा संग्राम   िहिे हुए र्िोप औि अमेरिका में सूचना भेजने का भली आिोप लगार्ा।
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        के नलए अपना पूिा जलीवन समनपयाि कि नदर्ा। मूलरूप से भले हली   भािि  छोड़ो  आंदोलन  के  दौिान  भली  उन्हें  नगिफ्िाि  नकर्ा  गर्ा।
        वह एक अंग्रेज थीं, लेनकन उनका नदल नहंदुस्िान कली आजादली के   मलीिाबेन 9 अगस्ि 1942 से लेकि 6 मई 1944 िक महात्मा गांधली,
        नलए धड़किा था। वे किलीब 34 वषयों िक भािि में िहीं। मलीिाबेन 7   उनकली पत्ली कस्िूिबा गांधली के साथ-साथ उनके सनचव महादेवभाई
        नवंबि, 1925 को अहमदाबाद आईं जहां महादेव देसाई, वल्लभभाई   देसाई, प्र्ािेलाल नार्ि, सिोजनली नार्िटू औि िॉ. सुशलीला नार्ि
        पटेल औि स्वामली आनंद ने उनका स्वागि नकर्ा था। महात्मा गांधली   के साथ पुणे के आगा खान पैलेस में कैद िहीं। उन्होंने 1947 में
        ने उन्हें साबिमिली आश्म में िहने कली अनुमनि दली औि उन्हें मलीिाबेन   ऋ नषकेश के ननकट एक आश्म कली स्थापना कली। अगले 11 वषया के
        नाम नदर्ा। िब से महात्मा गांधली के सहर्ोगली के रूप में वह हमेशा   दौिान उन्होंने भािि के नवनभन्न प्रदेशों कली र्ात्रा कली, सामुदानर्क
                                                                                                  या
        उनके साथ िहने लगीं। कहा जािा है नक बापू, उन्हें अपनली बेटली   परिर्ोजनाएं चलाईं औि पर्ायाविण के मुद्ों पि कार् नकर्ा। 18
        मानिे थे। भािि में प्रवास के आिनभक वषयों के दौिान मलीिाबेन ने   जनविली, 1959 को मलीिाबेन इंग्लि चलली गई। उसके एक वषया बाद
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        नहंदली सलीखली औि भािि को जानने-समझने के नलए गांवों कली र्ात्रा   वे नवर्ना चलली गई औि जलीवनपर्यंि वहीं िहीं। भािि सिकाि ने
        कली। जल्द हली, वे महात्मा गांधली के भिोसेमंद लोगों में से एक बन गई।   1982 में उन्हें पद्म नवभूषण से सम्माननि नकर्ा। 20 जुलाई 1982
        1931 में दूसिे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने के नलए वह गांधलीजली   को मलीिाबेन का ननधन हो गर्ा।






      15 वषयीर् शानि ्घोष अपनली हमउम्र सुनलीनि चौधिली के साथ 14 नदसंबि   नदर्ा गर्ा। र्हली नहीं, जेल म उन्ह उनकली साथली सुनलीनि से अलग बिक
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      1931 को कोनमला के नजला मनजस्ट्ट चाल्सया जेफ्ली बकलि स्टलीवंस को   म िखा गर्ा। हालानक, 1939 म महात्मा गांधली औि नरिनटश सिकाि के
                                                                        ं
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      नरिसमस से पहले किली औि चॉकलेट देने के बहाने उनके कार्ायालर्   बलीच वािाया के परिणामस्वरूप, उन्ह साि साल कली सजा काटने के बाद
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      गईं। स्टलीवंस ने किली खाई औि कहा, ‘र्े स्वानदष्ट ह!’ इिना सुनिे हली   रिहा कि नदर्ा गर्ा। अपनली रिहाई के बाद, उन्होंने बंगालली मनहला कॉलेज
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      शानि ्घोष औि सुनलीनि चौधिली ने शॉल के नलीचे नछपाई गई नपस्िौल बाहि   म दानखला नलर्ा औि पढ़ाई पिली कली। देश कली स्वाधलीनिा के बाद वह
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      ननकालली औि कहा, ‘अच्छा, र्ह कैसली है नमस्टि मनजस्ट्ट?’ औि इसके   िाजनलीनिक औि सामानजक गनिनवनधर्ों म ननिंिि जड़ली िहीं। वे 1952
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      साथ हली उन्होंने मनजस्ट्ट पि गोलली चला दली। गोलली लगने के कािण   से 1962 औि नफि 1967 से 1968 िक पक््चचम बंगाल नवधान परिषद
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      मनजस्ट्ट कली थोड़ली दि म मौि हो गई। इस ्घटना के बाद शानि ्घोष   कली सदस्र् िहीं। वे 1962 से 1964 िक पक््चचम बंगाल नवधान सभा कली
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      औि सुनलीनि चौधिली को मनजस्ट्ट कली हत्र्ा के जमया म नगिफ्िाि कि उन   सदस्र् भली िहीं। उन्होंने ‘अरुण बहनली’ नाम से बांग्ला भाषा म अपनली
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      पि मुकदमा चलार्ा गर्ा। कम उम्र होने के कािण दोनों को आजलीवन   आत्मकथा भली नलखली है। 28 माचया 1989 को अपने ननधन िक शानि
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      कािावास कली सजा सुनाई गई औि खड़गपि के नहजलली निटशन कप भेज   ्घोष, देश कली भलाई के नलए ननििि काम कििली िहीं। n
          48  न्यू इंनिया समाचार   16-30 नवंबर 2022
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