Page 47 - NIS Hindi 01-15,April 2023
P. 47

राष्टट्र  अमृि महोत्सव












                                                  सी. वाई. चिंतामभि


                                                         ं
                                                  स्व्तत् और निभमीक नसद्ां्तों के

                                                  प्न्त अनिग रहिे वाले व््यब्क््त



                                                                        ु
                                                  जन्म : 10 अप्ल 1880, मृत््य : 1 जुलाई 1941
                                                             ै



               हान  िाष्ट्वादली  नेता  औि  स्वतंत्रता  सेनानली  सली.  वाई.   संपादक बनाए गए। उनके संपादक बनने के बाद इसका नाम
                                                                                                ं
                                                                            े
         म नचंतामनर् का जन्म 10 अप्रैल 1880 को आंध्र प्रदेश के   बदलकि इनिर्न हिाल्ि कि नदर्ा गर्ा। हालानक, नचंतामनर् के
                                                                      ं
                                   ू
                                                     े
                                              ु
        नवजर्नगिम में हुआ थिा। उनका पिा नाम नचिाविली र्जन्चवि   पत्रकारिता करिर्ि का चिमोत्कषया उनके द ललीिि समाचाि पत्र स  े
        नचंतामनर् थिा। गिलीब परिवाि में जन्म लेने के बावजूद नचंतामनर्   जुड़ने के बाद आर्ा। इलाहाबाद से प्रकानशत द ललीिि, र्ूनाइटेि
        ने न केवल भाित बब्ल्क दुननर्ा भि में नाम कमार्ा। वह कभली   प्रॉनवंस में अग्र्ली अंग्ेजली िाष्ट्वादली समाचाि पत्र थिा। द ललीिि,
        भली अपनली गिलीबली पि लनजित नहीं हुए। उन्हें नकसली भली तिह के   पनित मदन मोहन मालवलीर्, मोतलीलाल नेहरू, सनच्चदानंद नसन्हा
                                                              ं
        नदखावे से नचढ़ थिली। एक बाि नबहाि में भलीषर्                     औि  तेज  बहादुि  सप्र  जैसे  अग्र्ली  िाष्ट्वानदर्ों
                                                                                         ू
                                                                             ं
        भूकंप  आने  पि  कुछ  लोग  उनसे  चंदा  मांगन  े                  का सर्ुक्त उपक्रम थिा। गनेंद्रनाथि गुप्ता के साथि
        आए  तो  उन्होंने  उनकली  उम्मलीद  के  मुतानबक   चिंतामणि केा    नचंतामनर् इस अखबाि के पहले सर्ुक्त संपादक
                                                                                                   ं
        िकम नहीं दली। उनकली जैसली सामानजक प्रनतष््ठा   जीवन केाफी       बनार्े गर्े लनकन जल्दली हली वह द ललीिि के पूर्या
                                                                                  े
        वाले  व्र्ब्क्त  के  नलए  वह  धनिानश  पर्ायाप्त   पारदर्शी था। वह जो   संपादक बन गर्े। इस समाचाि पत्र ने नरिनटश िाज
        नहीं समझली गई। तब नचंतामनर् ने उन लोगों   केहते थे वही केरत  े  औि उसकली नलीनतर्ों कली भिपि आलोचना कली।
                                                                                               ू
                                                                 ै
        से नवनम्रतापवयाक कहा नक वह इससे अनधक   थे। केहा जाता ह वके      नचंतामनर् ने 1918 में कांग्स छोड़कि सिेंद्रनाथि
                                                                                                        ु
                  ू
                                                                                             े
                   ै
        चंदा देने कली हनसर्त नहीं िखते हैं। इसके नलए   चिंतामणि केी     बनजमी,  नदनशॉ  वाचा,  नचमनलाल  सलीतलवाड़
                                                   स्मरि र्क्ति
                                                                                    ु
                                                                                        ू
        उन्होंने लोगों को अपना पासबुक तक नदखाने में   आश्चर््यजनके थी   औि तेज बहादि सप्र के साथि नमलकि नलबिल
        संकोच नहीं नकर्ा। र्ह उनकली सिलता का हली                        पाटमी  गन्ठत  कली  औि  स्वतंत्रता  प्राब्प्त  के  नलर्  े
        परिचार्क थिा।                                        संवैधाननक तिलीकों के उपर्ोग को प्राथिनमकता दली। भाित सिकाि
           नचंतामनर् का जलीवन काफली पािदशमी थिा औि वह जो कहत  े  अनधननर्म  1919  के  अंतगयात  नचंतामनर्  र्ूनाइटेि  प्रॉनवंस  के
        थिे वहली किते थिे। कहा जाता है नक नचंतामनर् कली स्मिर् शब्क्त   नशक्षा मत्रली बनार्े गर्े। 1927 से 1936 के बलीच वह र्ूपली नवधान
                                                                   ं
        आ्चचर्याजनक थिली। वह नकसली के मंह से सुनली हुई बात को कभली   परिषद में नवपक्ष के नेता बने। 1930 में लंदन में पहले गोलमेज
                                   ु
        नहीं भूलते थिे। वह अच्छे वक्ता भली थिे। उन्होंने अपने जलीवन   सम्मलन में उन्हें एक प्रनतनननध के तौि में आमनत्रत नकर्ा गर्ा।
                                                                 े
                                                                                                 ं
        का  अनधकांश  समर्  प्रर्ागिाज  में  नबतार्ा।  र्ुवावस्थिा  से  हली   स्वतंत्र औि ननभमीक नचंतामनर्, नसद्ांतों के प्रनत अनिग िहने वाल  े
                                  े
        नचंतामनर् उदािवादली नवचािों से प्ररित थिे। गोपाल कृष्र् गोखल  े  व्र्ब्क्त थिे। 1939 में  उन्हें नाईट कली उपानध दली गई, बावजूद
        को अपना िाजनलीनतक गुरु मानते थिे। वह भाितलीर् िाष्ट्लीर् कांग्ेस   इसके उन्होंने नरिनटश िाज के नविोध में अपनली आलोचना कभली
        के निम पथि के नेताओं से प्रभानवत थिे। नचंतामनर् 1898 म  े  बंद नहीं कली। सली. वाई. नचंतामनर् अपनली मृत्र् तक द ललीिि के
                                                                                                ु
                 ं
        पाटमी में शानमल हो गर्े। वह समाचाि पत्र वाइजैग स्पक्टेटि के   संपादक बने िहे। 1 जुलाई 1941 को उनका ननधन हो गर्ा।
                                                 े


                                                                                     न््ययू इंनि्या समाचार   1-15 अप्रैल 2023 45
   42   43   44   45   46   47   48   49   50   51   52