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राष्टट्र  अमृत महोत्सवी













                                                         ं
                                                  अिति लक्षमण कन्हेरे


                                                  िानिक के कले्तटर जरै्तिि


                                                  की गोली मार कर की हत्या



                                                  जन्म : 7 जन्वरी 1891, मृत्यु : 19 अप्रैल 1910




                      रत  के  ्युवा  रिांनतकारर्यों  में  से  एक  अिंत   िानसक के लोगों िे इस तरह के अत््यचारों के नखलाफ
             भा लक्षमण कन्हरे का जन्म 7 जिवरी 1891 को        नवद्ोह करिा शुरू कर नद्या। मामले को शांत करिे के
                                े
              महाराष्ट् के रत्ानगरी नजले के आ्यिी-मेटे के कोंकण   नलए जल्दबाजी में ज्तसि काे पदोन्ननत देकर तबादला
                                                                             ै
              पररवार  में  हुआ  था।  प्ाथनमक  नशक्ा  निजामाबाद  में   कर  नद्या  ग्या।  उसके  नलए  एक  नवदाई  समारोह  का
                                                                                       े
                                                                                                    ै
              पूरी हुई। बाद में वे औरंगाबाद चले गए। औरंगाबाद में   आ्योजि नक्या ग्या। अिंत कन्हरे को लगा नक ज्तसि
                                                                                ं
              उिका संपक्क गुप्त रिांनतकारी समहों के सनरि्य सदस््यों   से बदला लिे का ्यह अनतम अवसर है और उन्होंिे दृढ़
                                                                      े
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              से हुई। इसी दौराि महाराष्ट् में नविा्यक सावरकर और   संकल्प नक्या नक वे अकेले ही इस काम को अंजाम देंगे।
              गणेश सावरकर की अगुवाई में ‘अनभिव                             29 नदसंबर 1909 को नवदाई समारोह
              भारत’ ्युवा संग्ठि की स्थापिा की गई।   19 अप्रैल 1910 को   में  अचािक  गोनल्यों  की  आवाज  गंज
                                                                                                      ू
              केवल सशस्त् नवद्ोह से ही नरिनटश शासि   अनंत को उन्नीस वर््ष   उ्ठी। समारोह में नवनशष्ट अनतनथ नजला
              को उखाड़ फेंकिे में नवश्वास रखिे वाल  े  की आयु मेें फांसनी द  े  कल्तटर की गोली मारकर हत््या कर दी
                                                                            े
              अिंत ‘अनभिव भारत’ संग्ठि में शानमल   दनी गई। वे भारत क     गई थी। हत््या को अिंत लक्षमण कन्हर  े
                                                                                                       े
                                                                    े
              हो गए।                           उन सबसे कमे उम्र क        िाम के एक 18 वषमी्य ्युवक िे अंजाम
                                                                     े
                                                                                  ै
                देश  में  अंग्ेजों  विारा  भारती्य  लोगों   क्ांततकाररयों मेें से   नद्या था। ज्तसि को गोली मारिे के बाद
                                                                                 े
              पर  लगातार  बढ़ते  अत््याचार  के  कारण                     अिंत कन्हरे की ्योजिा थी नक वे खुद की
                                                             ें
              आमजि में नरिनटश-नवरोधी भाविाएं बढ़   एक थे जिन्ह अंग्ेिों   जाि ले लेंगे। इससे पहले नक वह ऐसा कर
              रही थीं। लोकमान््य बाल गांगाधर नतलक,   ने फांसनी पर        पाते उन्हें पकड़ नल्या ग्या। मािा जाता
              गणेश  सावरकर  और  अन््य  िेताओं  के   लटकाया था।           है नक मुकदमे के दौराि अपिी गवाही में

              साथ अंग्ेजों की रिूरता से लोगों के मि में प्नतशोध और   उन्होंिे कहा था, “मैंिे नकसी की मदद ्या सलाह के नबिा
                                                                                                     ं
              घृणा की भाविा बढ़ रही थी और वे उत्तेनजत हो रहे थे।   अपिे दम पर इस काम को अंजाम नद्या है।” हालानक,
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              ज्तसि उस सम्य िानसक का नजला कल्तटर था और       उिके सानथ्यों में से एक रिांनतकारी दुश्मिों से जा नमला
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              अपिे निद्य्यी स्वभाव के नलए जािा जाता था। उसिे वामि   और पररणामस्वरूप इस घटिा में शानमल सभी लोगों को
              सखाराम खरे िामक एक वकील को इस हद तक प्तानड़त   नगरफ्तार कर नल्या ग्या। 19 अप्ल 1910 को अिंत को
                                                                                      ै
              नक्या नक उन्होंिे अपिा मािनसक संतुलि खो नद्या। एक   उन्नीस वष्य की आ्यु में फांसी दे दी गई। वे भारत के उि
              नरिनटश अनधकारी िे एक नकसाि को पीट-पीटकर मार    सबसे कम उम्र के रिांनतकारर्यों में से एक थे नजन्हें अंग्ेजों
                                ै
              िाला नजसके कृत््य को ज्तसि िे न्छपािे का काम नक्या।   िे फांसी पर लटका्या था।



         42  न््ययू इंडि्या समाचार   16-30 अप्रैल 2023
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