Page 46 - NIS Hindi 16-30,April 2023
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राष्टट्र अमृत महोत्सवी
उज्जवला मजूमदार मिीभाई देिाई
गवि्षर एंर्रिि पर गोली स्वतिंत्रतिा िंग्ाम और ग्ामीण
चलािे की ्घटिा में नदया िाि नवकाि को िमनप्षति नकया जीवि
जन्म :21 न्वम्बर 1914, मृत्यु : 25 अप्रैल, 1992 जन्म : 27 अप्रैल 1920, मृत्यु : 14 न्वंबर 1993
रत की प्नसद्ध मनहला रिांनतकारी उज्जवला मजूमदार का ष्ट्नपता महात्मा गांधी के सह्योगी मिीभाई देसाई का जन्म
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जन्म 21 िवम्बर 1914 को ढाका (बा्वलादेश) म हुआ रा 27 अप्ल 1920 को गुजरात के सूरत में हुआ था। उिका
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था। उज्जवला के नपता हमेशा रिांनतकारर्यों की मदद करते थे, इसका पूरा िाम मिीभाई भीमभाई देसाई था। बचपि से ही वह पढ़ाई-नलखाई
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प्भाव उि पर भी प्भाव पड़ा। ्यही कारण था नक उसम वीरता के गुण के साथ खेलकूद में भी अव्वल थे। सादगी का भाव मिीभाई के भीतर
बाल््यावस्था म ही आ गए थे। वह बचपि से ही देश के स्वाधीिता बचपि से ही था। पररवार के लोग चाहते थे नक वह इंजीनि्यर बिे
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सिानि्यों की सहा्यता करिे लगी थी। पनलस को चकमा दिे म प्वीण इसनलए उन्होंिे 1942 में बैचलर ऑफ साइंस की निग्ी प्ाप्त की।
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हो चुकी उज्जवला मजूमदार आजादी की गनतनवनध्यों म बढ़-चढ़ कर स्वतंत्ता आंदोलि में मिीभाई देसाई िे महात्मा गांधी के साथ
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भाग भी लिे लगी थी। बाद म वह ‘बंगाल वालनट्यस्य’ की सदस््य बि सनरि्य रूप से काम नक्या। महात्मा गांधी की अगुवाई में जब 1942
गई जो उग् नवचारों वाली संस्था थी। में भारत ्छोड़ो आंदोलि शुरू हुआ तो मिीभाई देसाई िे उसमें
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‘बंगाल वालनट्यस्य’ की सदस््य बििे के बाद उिका संपक्क एक अन््य बढ़-चढ़ कर भाग नल्या नजसकी वजह से अंग्ेजों िे उन्हें जेल में िाल
स्वाधीिता प्मी संस्था ‘दीपाली संघ’ से हुआ और इसकी सदस््य बि नद्या। जेल से ्छूटिे के बाद उन्होंिे त्य नक्या नक इंजीनि्यर बििे की
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गईं। इन्हीं नदिों ‘्युगांतर दल’ भी देश की स्वाधीिता के नलए काम कर बजा्य वह गांवों के नवकास के नलए काम करेंगे। उन्होंिे महात्मा गांधी
रहा था, उज्जवला मजूमदार िे इस संस्था की सदस््यता भी प्ाप्त कर ली। के साथ ग्ाम नवकास की आवश््यकता पर चचा्य की। ्यह भेंट बहुत
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इि संस्थाओं से जड़िे के बाद उज्जवला का पररच्य अिेक रिांनतकारर्यों, महत्वपूण्य रही। 1946 में महात्मा गांधी िे मिीभाई देसाई को पुणे के
नवशेष रूप से रिांनतकारी वीरांगिाओं से हुआ। इसी बीच, उज्जवला निकट क्स्थत उरुली कंचि भेजा। उन्होंिे ग्ामीण लोगों के नहत में कई
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िे अग्जों के अत््याचार और दमिकारी िीनत्यों के नवरोध म गवि्यर पहल की और उन्हें बढ़ावा नद्या। इिमें सूखे की आशंका वाले क्ेत्ों
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एिरसि की हत््या की ्योजिा बिाई। ्योजिा के तहत रिांनतकारर्यों में जल नवतरण प्णाली की स्थापिा, उरुली कंचि में व््यावसान्यक
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को एिरसि पर गोली चलािे की नजम्मदारी सौंपी गई। 8 मई, 1934 प्नशक्ण को बढ़ावा देिे के नवशेष उद्श््य के साथ ग्ामीण स्कूल
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को जब एिरसि पर गोली चलाई गई तो उज्जवला मजूमदार वहां िहीं और सं्य्तत सहकारी कृनष सोसाइटी की स्थापिा शानमल है। आजाद
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थी लनकि पनलस िे उिकी नगरफ्तारी का वारंट निकाल नद्या। नवशेष भारत में भी उन्हें काम करिे का लंबा अवसर नमला। मिीभाई देसाई
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नट््ध्यूिल िे उन्ह आजीवि कारावास की सजा सिाई। हालानक, बाद म ें िे महात्मा गांधी के सामिे ्यह संकल्प नल्या था नक वह आजीवि
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उिकी सजा कम कर दी गई और 1939 म उन्ह ररहा कर नद्या ग्या। निध्यि ग्ामीण के आनथ्यक और सामानजक नवकास के नलए काम करते
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राष्ट्नपता महात्मा गांधी िे जब भारत ्छोड़ो आंदोलि की घोषणा रहेंगे। उन्होंिे संकल्प को पूरी निष््ठा के साथ निभा्या। उन्होंिे भारती्य
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की तो ्यह वीरांगिा इसम शानमल हो गई। वह इस आंदोलि म सनरि्य स्वतंत्ता संग्ाम, गांधीवादी नवचारधारा, ग्ाम स्वराज के लक्ष्य को पूरा
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रूप से शानमल रहीं। इस आंदोलि म सनरि्यता के कारण एक बार करिे और ग्ामीणों के सामानजक और आनथ्यक नवकास के नलए अपिा
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नफर उज्जवला को नगरफ्तार कर जेल म िाल नद्या ग्या। करीब िढ़ जीवि समनप्यत कर नद्या। मिीभाई देसाई ि 1967 में भारती्य एग्ो
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वष्य बाद 1946 म वह ररहा हुईं नजसके कु्छ सम्य बाद देश आजाद इंिस्ट्ीज फाउिंिेशि शुरू नक्या नजसमें गोरक्ण के बापू के नसद्धांत
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हुआ। उज्जवला िे 1948 म रिांनतकारी सानहत््यकार भूपन्द् नकशोर रा्य को का्य्यरूप नद्या ग्या। मिीभाई देसाई के ्योगदाि को देखते हुए कद्
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से नववाह कर नल्या। आजादी के बाद भी वह लगातार सनरि्य बिी रहीं सरकार िे उन्हें पदम श्ी से सम्मानित नक्या। मिीभाई देसाई की इसी
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और देश के िव-निमा्यण के नलए का्य्य करती रहीं। 25 अप्ैल, 1992 प्नतबद्ध सेवा के नलए उन्ह 1982 में ‘ रमण मै्वसेसे पुरस्कार’ भी नद्या
को इस वीरांगिा िे अनतम सांस ली। ग्या। 14 िवंबर1993 को उिका पुणे में निधि हो ग्या। l
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44 न््ययू इंडि्या समाचार 16-30 अप्रैल 2023