Page 46 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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व्यक्ततव भारत रत्न डॉ. भगवान दास
िेश को उच्च नशक्षा
में िेखना चािते थे
आतमननभ्षर...
जन्म : 12 जनवरी, 1869, मृत् : 18 खसतंबर 1958
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वशक्षा, आधयातम और संसकवत की नगरी काशी अनेक विभूवतयों की धरती रही है। इसी धरती पर जनमें काशी के
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प्रथम भारत रत्न िॉ. भगिान दास, वजनहोंने आजादी की लड़ाई के वलए विपटी कलेकटर का पद छोड़ा और भविष्य
के भारत की नींि मजबूत करने में जुट गए। िॉ. भगिान दास उच्च वशक्षा को वरिवटश प्रभाि से मुकत कराना और
भारत को उच्च वशक्षा में आतमवनभ्यर बनाना चाहते थे। यही िजह है वक सेंट्रल वहंदू कॉलेज में पहले अिैतवनक
सवचि के तौर पर जुड़े वफर काशी विद्यापीठ के संसथापक सदसय और प्रथम कुलपवत बने...
नप ता कली इचछा से सिकािली नौकिली में आए। इतनली न नसफ्क सेंट्रल नहंदू कॉलेज कली स्ापना में सहरोग नकरा बशलक
अवैतननक सनचव के तौि पि जुड़े।
कमया्ठता से काम नकरा नक अंग्रेजली हुकूमत ने उन्हें
महज 4 वषया में तहसलीलदाि से निपटली कलेकटि बना िॉ. भगवान दास, असहरोग एवं सनवनर अवज्ा आंदोलन
नदरा। लेनकन नपता के ननधन के बाद रुतबे वाला पद छोड़कि में शानमल हुए नजसके कािण जेल भली गए। इसली दौिान बाबू नशव
तुिंत देश सेवा में जुट गए। ऐसे वरशकततव िॉ. भगवान दास को प्रसाद से उनकली मुलाकात हुई औि दोनों ने नमलकि पंनित मदन
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1955 में सानहतर औि नशक्ा के क्त्र में रोगदान के नलए भाित का मोहन मालवलीर के वािाणसली में 'नहन्दू नवशवनवद्ालर' कली स्ापना
सवणोच्च नागरिक सममान भाित ित्न नदरा गरा। ऐसा कहा जाता के नवचाि को 'काशली नहन्दू नवद्ापली्ठ' कली स्ापना के सा् मूतयारूप
है नक ततकाललीन िाषट्रपनत िॉ. िाजेंद् प्रसाद ने प्रोटोकाल तोड़कि नदरा। वह पहले कुलपनत भली बने। नवद्ापली्ठ में दूसिे प्रधानमंत्रली
िॉ. भगवान दास का पैि छूकि आशलीवायाद नलरा ्ा। देश के दूसिे लाल बहादुि शासत्रली औि सवतंत्रता सेनानली चंद्शेखि आजाद भली
िाषट्रपनत एस. िाधाकृषणन, िॉ. भगवान दास को अपना गुरु मानते उनके नशषर िहे।
्े औि पंनित मदनमोहन मालवलीर भली उनसे पिामशया लेते ्े। िॉ. भगवान दास ने बहुत सली नकताबों का अनुवाद भली नकरा
िॉ. भगवान दास का जन्म वािाणसली के जमींदाि परिवाि में 12 नजसमें भगवत गलीता का अनुवाद आज भली बहुत प्रनसद्ध है। भाषा-
जनविली, 1869 को हुआ। उनके नपता का नाम माधवदास औि सानहतर कली कई संस्ाओं से जुड़े िहे। नहंदली औि संसकृत में 30
माता का नाम नकशोिली देवली ्ा। कुशाग्र औि तलीव्र बुनद्ध वाले िॉ. से भली अनधक पुसतकों का लेखन नकरा। इस बलीच 1934 में वह
भगवान दास ने महज 12 साल कली उम्र में 10वीं औि 18 साल उत्ति प्रदेश में नवधान सभा के नलए चुने गए। आजादली के बाद भली
में एमए कली निग्रली ले लली ्ली। बहुत कम उम्र में हली उन्होंने अंग्रेजली वह ननिंति देशनहत के कारषों में जुटे िहे। 18 नसतंबि 1958 को
के सा्-सा् नहंदली, संसकृत, अिबली, उदूया, फािसली भाषाएं सलीख उनका ननधन हो गरा।
लली ्ीं। िॉ. भगवान दास धनली परिवाि से ्े लेनकन धन के पलीछे
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िॉ. भगवान दास एनली बेसेंट के एक भाषण से इतने प्रभानवत भागने कली बजार उन्होंने अपना जलीवन भाित को नशक्ा के क्त्र में
हुए नक 1894 में न्रोसोनफकल सोसारटली में शानमल हो गए। आतमननभयाि बनाने में नबता नदरा। उन्हीं कली नींव का परिणाम है नक
हृदर से नशक्ानवद िॉ. भगवान दास पशशचम औि पूवया कली नशक्ा के आज भली भाित के नवशवनवद्ालरों में पशशचमली नशक्ा के सा्-सा्
बलीच कली खाई को खतम किना चाहते ्े। रहली वजह है नक उन्होंने सवदेशली नशक्ा पि भली बिाबि धरान नदरा जाता है। n
44 न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 जनवरी 2023