Page 41 - NIS - Hindi, 01-15 January 2023
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राष्ट्र अमृत महोतसव
हाखसल की थी और न ही खकसी खवष् में एक केंद्र डॉ. राधाबाई के मकान स संचाखलत
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पीएचडी। खफर भी लोग उन्हें आदर और होता था खजसका नतृतव वह सव्ं करती
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सममान स डॉ. राधाबाई कहत थ। रा्पुर के थी। उनकी मखहला सत्ाग्खह्ों न कई बार
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माहौल में उनमें भी राष्ट्री् भावना इतनी धरन-प्रदशदून के भी आ्ोजन खकए। ऐस में ही
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बलवती हुई खक वह राष्ट्रखपता महातमा गांधी एक प्रदशदून के दौरान 29 माचदू और 20 अप्रैल
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रॉ. राधाबाई ने न तरो के सभी आंदोलनों में आग रही। डॉ. राधाबाई 1932 को अनक मखहला सत्ाग्खह्ों को
की प्रयेररा स ही वहां की मखहलाएं सवतंत्ता अंग्जों न खगरफतार कर खल्ा। डॉ. राधाबाई को
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करोई रॉक्टरी की ररग्री आंदोलनों स जुड़न लगीं। उन्होंन न खसफ्फ घर- भी 13 ज्न 1937 को खगरफतार कर खल्ा ग्ा।
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हाससल की थी और घर जाकर मखहलाओं को आजादी की लड़ाई खगरफतारी के बाद उन्ह 6 माह जल और 25
के खलए संगखठत खक्ा बकलक उनका नतृतव रुप् आखथदूक दंड की सजा सुनाई गई। बावज्द
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न ही रकसी ववषय भी खक्ा। आजादी के संदश का प्रसार-प्रचार इसके वह रुकी नहीं और दयेश की िाखतर काम
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में पीएररी। वफर करन के खलए उन्होंन घर-घर जाकर िादी के करती रही। उन्होंन व्क्तगत सत्ाग्ह में भी
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वसत् भी बच। खहससा खल्ा। उन्होंन भारत छोड़ो आंदोलन में
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भी लरोग उन् आदर
सखवन् अवज्ञा आंदोलन में डॉ. राधाबाई एक जुल्स का नयेतृतव खक्ा और खगरफतारी भी
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और सम्ान से रॉ. के प्र्ासों स ही सत्ाग्ही बहनों का एक जतथा दी। जनजागरर और वश्ावखत्त में फंसी औरतों
तै्ार हुआ था। खजसमें रोहरीबाई परगखनहा, को मुक्त खदलान के साथ-साथ डॉ. राधाबाई
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राधाबाई कहते थे।
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केतकी बाई, फुलकुंवर बाई, पावदूती बाई न छुआछूत के खिलाफ भी लंबा संघषदू खक्ा।
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आखद मखहलाएं थी। रा्पुर खजल में मखहला उन्होंन शराब की दुकानये बंद करान के खलए भी
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का्दूकतादूओं के चार केंद्र थ जहां सत्ाग्ही धरन खदए और ्ातनाएं झयेली। 2 जनवरी 1950
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बहनों को प्रखशषिर खद्ा जाता था। इसमें स ही को उनका खनधन हो ग्ा।
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संपक्फ बना रहा। मजहरुल हक 1891 में वकालत शुरू करन ये लड़ाई उन्होंन उस सम् शुरु की जब बहुत ही कम लोग
के खलए भारत आ गए। थोड़े सम् में ही उनकी गरना चोटी इसमें जुटे थ। वह खबहार में 1916 में होम रूल आंदोलन
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के वकीलों में होन लगी लयेखकन वह आजादी के आंदोलन के अध्षि भी बनये। चंपारर आंदोलन में सखक्र् भ्खमका
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स अपन आप को दर नहीं रि सके। महातमा गांधी के साथ खनभान के खलए उन्हें 3 महीन जल की सजा सुनाई गई थी।
मलजोल की वजह सये मौलाना साहब की खजंदगी में बड़ा असह्ोग और खिलाफत आंदोलन के खवचारों को
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पररवतदून हुआ। उन्होंनये राजसी खजंदगी छोड़कर सादगी को लोगों तक पहुंचान और क्रांखत का संचार करन के खलए
अपना खल्ा और अपना सब कुछ दश सयेवा के खलए अखपदूत मौलाना मजहरुल हक न 1921 में ‘द मदरलैंड’ नामक
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कर खद्ा। सापताखहक पखत्का का प्रकाशन भी शुरू खक्ा। उन्होंन ये
भारत में जैसये-जैस सवतत्ता संग्ाम की गखतखवखध्ा ं खरिखटश सरकार के अत्ाचारों और आजादी के आंदोलनों
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बढ़ती गई, वह धीर-धीर आंदोलन में शाखमल होतये चलये के खलए भी पखत्का में बहुत कुछ खलिा खजसके खलए उन
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गए। उन्होंनये पटना में सदाकत आशम की भी सथापना की पर मुकदमा भी चला्ा ग्ा। बाद में ्ह अिबार बंद
जहां कई नामी सवतत्ता सयेनाखन्ों न आजादी की लड़ाई हो ग्ा। भारत के सवतंत्ता आंदोलन में सखक्र् भ्खमका
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की ररनीखत्ां बनाई। मौलाना मजहरुल हक भारत के उन खनभान के साथ-साथ उन्होंन खहंद-मुकसलम एकता,
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प्रमि नयेताओं में थ खजन्होंन सवतत्ता संग्ाम में कौमी एकता सामाखजक कल्ार एवं खशषिा के षियेत् में उललयेिनी्
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को संगखठत कर आंदोलन की रूपरयेिा त्ार करन में सखक्र् ्ोगदान खद्ा। 2 जनवरी 1930 को उनका खनधन हो
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भ्खमका खनभाई थी। अंग्जी साम्राज् के खवरुधि आजादी की ग्ा। n
न्यू इंडि्ा समाचार 1-15 जनवरी 2023 39