Page 50 - NIS Hindi 01-15 May,2023
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राष्टट्  अमृत म्हेोत्सव













                                    ं
                          रमेश चिद् झा                                       भाई बालमुकुंि
             लेखि से नक्या आजािी की                             नवस्फोट की घटिाओं के नलए


                   लड़ाई के नलए प्रेररत                            सुिाई गई मौत की सजा

                 जन्म : 8 मेई 1928, मृत््य : 07 अप्ल 1994               जन्म : 1889, मृत््य : 8 मेई, 1915
                                                                                       ु
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                ितलीर्  स्टवाधलीनता संग्ाम म सनक्रर्ता से नहस्टसा लेने औि   क्रां  नतकािली स्टवतंत्रता सेनानली भाई बालमुकुंद का जन्म झेलम
                                   ें
                                      ू
        िा सानहत्र् के क्ेत्र में उल्लेिनलीर् भनमका ननभाने वाले िमेश चद्   नजले के करिर्ाला गांव में 1889 में हुआ था, जो अब
                                                       ं
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        झा का जन्म 8 मई 1928 को नबहाि के चंपािण नजले के िलवरिर्ा गांव म  ें  पानकस्टतान  में  है।  इनके  नपता  का  नाम  भाई  मथुिादास  था  औि
                              ें
        हुआ था। उन्होंने कनवताएं, गजल, कहाननर्ां औि उपन्र्ास नलिे। उनकली   वह स्टककूल में अध्र्ापक थे। बालमुकंद सनक्रर् रूप से िाष्ट्रवादली
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               ें
        लिनली म देशभष्क्त कली भावना भिली थली नजसने लोगों को अंग्ेजों से लड़ाई   गनतनवनधर्ों में शानमल थे औि एक क्रांनतकािली दल के सदस्टर् थे।
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                                 ं
        लड़ने के नलए प्ररित नकर्ा। िमेश चद् झा के नपता लक्षमली नािार्ण झा     उन्हें हनथर्ाि चलाने औि बम िेंकने का प्रनशक्ण नदर्ा गर्ा था।
                                               ें
        जाने-माने देशभक्त औि स्टवाधलीनता संग्ाम सेनानली थे नजन्ह अंग्ेजों ने कई   िास नबहािली बोस उनके गुरु थे। बालमुकुंद को पंजाब औि नवशेष रूप
                                                                         या
        बाि नगिफ्ताि नकर्ा था। लक्षमली नािार्ण झा तब भली नगिफ्ताि नकए गए थ  े  से लाहरौि में कार् के नलए एक नेता के रूप में ननर्ुक्त नकर्ा गर्ा था।
        जब महात्मा गांधली सत्र्ाग्ह के नलए चंपािण आए थे। अपने तात्कानलक   स्टवतंत्रता संग्ाम के दरौिान उन्होंने आजादली से जुड़े पोस्टटि दलीवािों पि
                                      ं
                                                ें
        परिवेश औि नपता से प्रभानवत होकि िमेश चद् झा बचपन म हली आजादली   नचपकाने औि पचवे बांटने का काम नकर्ा।
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        के आंदोलन कली तिि उन्मुि हुए औि स्टवतंत्रता संग्ाम म शानमल हो गए।  भाई बालमुकुद के परिवाि म अपने नसद्धांतों पि मि नमटने कली प्रथा
                                                                                 ं
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          िमेश चंद् झा नवद्ाथती नेता बन गए औि अंग्ेजों के नवरूद्ध प्रदशयान   बड़ली पिानली थली। भाई बालमुकुद के चचिे भाई का नाम भाई पिमानंद था
                                                                          ं
        किने के कािण उन्हें स्टककूल से ननकाल नदर्ा गर्ा। महज 14 साल कली   जो गदि पाटती के सस्टथापक सदस्टर् थे। उनके परिवाि का संबंध नसि
        आर्ु में उन पि चोिली का आिोप लगार्ा गर्ा। वह देश कली आजादली   इनतहास के एक प्रनसद्ध शहलीद भाई मनत दास से था। र्हली कािण है नक
                                                                                                      ं
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        के नलए काम किने लगे। कहा जाता है नक उनकली सनक्रर्ता ने अंग्जली   उन्होंने अपने नाम के साथ भाई उपानध जोड़ली। भाई बालमुकुद कली रुनच
                                                                           ें
        शासन को पिेशान किके िि नदर्ा था। सन 1942 में भाित ्छोड़ो   िाष्ट्रलीर् आंदोलन म तब जागली जब वे ्छात्र थे। स्ातक स्टति कली पढ़ाई
                                                                                              े
        आंदोलन में सनक्रर् भागलीदािली के नलए उन्हें जेल भेजा गर्ा। जेल में   के बाद उन्होंने अध्र्ापन का पेशा अपनार्ा लनकन िाष्ट्रलीर् आंदोलन
        िहते हुए उन्होंने भाितलीर् सानहत्र् का अध्र्र्न नकर्ा औि आजादली   के प्रनत उनके लगाव ने उन्ह एक उत्साहली िाष्ट्रवादली बना नदर्ा। वह उन
                                                                                ें
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        के बाद िाजनलीनत में जाने के बजार् लेिन क्त्र को चुना। इस प्रकाि   लोगों म से एक थे जो इस बात से सहमत थे नक नक्रसमस वलीक िांस के
                                        े
                                                                                      ें
                                                                                              ें
        स्टवाधलीनता के बाद वह कनवताएं, गजलें औि उपन्र्ास नलिने लगे।   दरौिान लाहरौि के मोंटगोमिली हॉल म एक बम िका जाना चानहए औि
                                                                                              ें
        उनकली प्रमुि पुस्टतकों में भाित देश हमािा, जर् भाित जर् गांधली,   दूसिा वार्सिार् कली कपिथला र्ात्रा के दरौिान िका जाना चानहए। 23
                                                                              ू
        जवान जागते िहे औि चलो नदल्लली शानमल है। उनका उपन्र्ास अपने   नदसंबि, 1912 को जब लॉि्ड हानििंग नदल्लली के चांदनली चरौक से जा िह  े
                                                                            ें
                                                                                              ें
        औि सपने : चंपािण कली सानहत्र् र्ात्रा, चंपािण कली समृद्ध सानहष्त्र्क   थे तो उन पि बम िका गर्ा था। इस घटना म वार्सिार् को केवल
        नविासत कली कहानली है। उनकली कनवताओं, कहाननर्ों औि गजलों में   मामूलली चोट आईं लनकन उनका सहार्क मािा गर्ा। पांच महलीने बाद
                                                                      ें
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                                                                                     ें
        जहां एक तिि देशभष्क्त औि िाष्ट्रलीर्ता का स्टवि है, तो वहीं दूसिली   17 मई, 1913 को लाहरौि के लॉिस गाि्डन म कु्छ र्िोपलीर् लोगों पि
                                                                                             ें
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        तिि मानव मूल्र्ों औि जलीवन के संघषथों कली भली अनभव्र्ष्क्त है। आम   एक औि बम िका गर्ा। जांच के बाद, बालमुकुद को जोधपि स  े
                                                                         ें
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        लोगों के जलीवन का संघषया, उनके सपने औि उनकली उम्मलीदें िमेश चंद्   नगिफ्ताि नकर्ा गर्ा था जहां वह जोधपि महािाजा के पुत्रों काे नशक्ा
                                                                                                 ें
        झा कली कनवताओं के मुख्र् स्टवि हैं। 15 अगस्टत 1972 को आजादली   देने का काम कि िहे थे। बाद म उन पि नदल्लली म मुकदमा चलार्ा
                                                                                    ें
        कली 25वीं वषयागां्ठ पि उन्हें ताम्र पत्र पुिस्टकाि से नवाजा गर्ा। इसके   गर्ा। बम नवस्टिोट कली घटनाओं के नलए बालमुकुद को मरौत कली सजा
                                                                                               ं
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        अलावा भली उन्हें कई सम्मान से सम्माननत नकर्ा गर्ा। सात अप्रैल   सुनाई गई। 8 मई, 1915 को उन्ह िांसली दे दली गई। भाई बालमुकुद का
        1994 को िमेश चंद् झा का ननधन हो गर्ा।                नववाह िांसली नदए जाने से एक साल पहले हली हुआ था। l
         48  न््ययू इंडि्या समाचार   1-15 मई 2023
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