Page 8 - NIS Hindi 01-15 August,2023
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व््यो�क्तत्व वराहवगरमी वेंकर् वगरमी
वराहटगरी वेंकि टगरी
�मे अटधकारों के समेि्वक
जन््म : 10 अगस्त 1894, ्मृत्यु : 24 जमून 1980
वनभजीक स्ितंत्ता सतेनानमी, प्रवतल्ष््ठत िक्ता, लतेखक एिं कुशल राजनमीवतज्ञ िराहवगरर िेंकट वगरमी को िमीिमी वगरमी के ना्म
सते जाना जाता है। िह िकमील बनना चाहतते थते लतेवकन स्ितंत्ता संग्रा्म के दौरान अपनते आप को रोक नहीं पाए और दतेश
कमी आजादमी कमी लड़ाई ्में कूद पड़े। भारत के चौथते राष्ट्रपवत िमीिमी वगरमी काय्षिाहक राष्ट्रपवत और पमूण्षकावलक राष्ट्रपवत
दोनों बनते। दतेश के सि�च्च नागररक सम््मान भारत र� सते सम््मावनत िमीिमी वगरमी को भारतमीय स्ितंत्ता संग्रा्म ्में उनके
योगदान, श््म अवधकारों और सा्मावजक स्मानता कमी आिाज उ्ठानते के वलए वकया जाता है याद…...
राहत्गरी िेंक्ट त्गरी का ्जन्म 10 अगस्ि 1894 को 1957 से 1967 के दौरान िीिी त्गरी उत्तर प्रदेश, केरल और
िओत्डशा के बरहमपुर त््जले में एक िेलगु भाषी पररिार में कना्ण्टक के राज्यपाल रहे। 1967 में िे देश के उप राष्ट्पत्ि
हुआ थिा। उनके त्पिा िकील और मां सामात््जक काय्णकिा्ण थिीं। चुने गए। 3 मई 1969 को ित्कालीन राष्ट्पत्ि ्जात्कर हुसैन के
उन्होंने प्राथित्मक और माध्यत्मक त्शक्षा बरहमपुर में ही पूरी की। त्नधन के बाद उन्हें काय्णिाहक राष्ट्पत्ि बनाया गया। 1969
इसके बाद 1913 में िे कानून की पढ़ाई करने के त्लए यूत्नित्स्ण्टी में हुए राष्ट्पत्ि चुनाि में त्दलचस्प मुकाबला हुआ। ित्कालीन
कॉले्ज डबत्लन गए। इसी साल महात्मा गांधी से प्रभात्िि होकर िे प्रधानमंरिी इंत्दरा गांधी ने अपनी पा्टवी के सदस्यों से अपनी
समझ गए त्क आ्जादी की लड़ाई कानून की पढ़ाई से ज्यादा ्जरूरी अंिरात्मा की आिा्ज पर िो्ट देने की अपील की। इस चुनाि
है। यह ्जानने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई से ज्यादा महत्ि में कांग्रेस पा्टवी ने नीलम सं्जीि रेड् डी को अत्धककृि उम्मीदिार
स्ििंरििा संर्ष्ण को त्दया और पूण्ण रूप से भारिीय स्ििंरििा की बनाया थिा। हालांत्क, रेड् डी चुनाि हार गए और िीिी त्गरी
लड़ाई में कूद पड़रे। ्जब िे भारि िापस आए िो म्जदूर आंदोलन 50.2 फीसदी िो्ट पाकर देश के चौथिे और पहले त्नद्णलीय
में बढ़-चढ़ कर त्हस्सा लेने लगे। राष्ट्पत्ि चुने गए। िे 1974 िक इस पद पर रहे। त्किाब लेखन
म्जदूर आंदोलन में सत्रिय भूत्मका के चलिे िीिी त्गरी में भी िीिी त्गरी की गहरी रूत्च थिी। उनके द्ारा त्लखी हुई
ऑल इंत्डया रेलिे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष बने। इसके बाद त्किाबें अत्यत्धक लोकत्प्रय रही हैं।
1926 और 1942 में िे दो बार भारिीय ट्रेड यूत्नयन कांग्रेस 1974 में, भारिीय डाक और िार त्िभाग ने उनके सम्मान में
के अध्यक्ष बने। िीिी त्गरी दो बार 1937 और 1946 में मद्रास एक स्मारक डाक त््टक्ट ्जारी त्कया। 1975 में भारिीय स्ििंरििा
प्रेत्सडेंसी का श्म और उद्ोग मंरिालय संभाला। 1942 में भारि संग्राम और साि्ण्जत्नक मामलों में उनके योगदान के त्लए उन्हें
छोड़ो आंदोलन के दौरान सत्रियिा के कारण उन्हें ्जेल भी देश के सिवोच् नागररक सम्मान भारि र� से सम्मात्नि त्कया
्जाना पड़ा। बाि्जूद इसके िे सत्रिय बने रहे। देश को आ्जादी गया। त्दल का दौरा पड़ने के कारण 24 ्जून 1980 को चेन्नई
त्मलने के बाद िीिी त्गरी को श्ीलंका का उच्ायुक्ि त्नयुक्ि में उनका त्नधन हो गया। राष्ट्पत्ि द्रौपदी मुमु्ण ने त्पछले िष्ण 10
त्कया गया। िह 1952 में पहली लोकसभा के त्लए चुने गये। अगस्ि को राष्ट्पत्ि भिन में पूि्ण राष्ट्पत्ि िीिी त्गरी को उनकी
1952 से लेकर 1954 िक उन्होंने श्म मंरिालय संभाला। ्जयंिी पर श्द्धां्जत्ल अत्प्णि की। n
6 न्ययू इंटडया समेाचार 1-15 अगस्त 2023