Page 9 - NIS Hindi 01-15 August,2023
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व््यो�क्तत्व वराहवगरमी वेंकर् वगरमी
वराहटगरी वेंकि टगरी
�मे अटधकारों के समेि्वक
जन््म : 10 अगस्त 1894, ्मृत्यु : 24 जमून 1980
भारत की गौरवमेयी सांस्ककृटतक टवरासत
वनभजीक स्ितंत्ता सतेनानमी, प्रवतल्ष््ठत िक्ता, लतेखक एिं कुशल राजनमीवतज्ञ िराहवगरर िेंकट वगरमी को िमीिमी वगरमी के ना्म गमीता प्रतेस विश्ि कमी ऐसमी इकलौतमी वप्रंवटंग प्रतेस है जो वसफ्क एक संस्था नहीं है बल्ल्क एक जमीिंत आस्था है।
सते जाना जाता है। िह िकमील बनना चाहतते थते लतेवकन स्ितंत्ता संग्रा्म के दौरान अपनते आप को रोक नहीं पाए और दतेश 1923 ्में स्थावपत गमीता प्रतेस का काया्षलय, करोड़ों लोगों के वलए वकसमी ्मंवदर सते क्म नहीं है और यह विश्ि
कमी आजादमी कमी लड़ाई ्में कूद पड़े। भारत के चौथते राष्ट्रपवत िमीिमी वगरमी काय्षिाहक राष्ट्रपवत और पमूण्षकावलक राष्ट्रपवत ्में सबसते बड़े प्रकाशकों ्में सते एक है। इसनते 14 भार्ाओं ्में 41.7 करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन वकया है, वजन्में
दोनों बनते। दतेश के सि�च्च नागररक सम््मान भारत र� सते सम््मावनत िमीिमी वगरमी को भारतमीय स्ितंत्ता संग्रा्म ्में उनके 16.21 करोड़ श्मी्मद् भगिद गमीता शाव्मल हैं। भारत कमी सभ्यता, संस्कृवत को ्महत्िपमूण्ष ऊंचाई दतेनते िालते
योगदान, श््म अवधकारों और सा्मावजक स्मानता कमी आिाज उ्ठानते के वलए वकया जाता है याद…...
ऐवतहावसक गमीता प्रतेस कमी शताब्दमी स्मापन स्मारोह ्में प्रधान्मंत्मी नरेंद्र ्मोदमी 7 जुलाई को शाव्मल हुए और
राहत्गरी िेंक्ट त्गरी का ्जन्म 10 अगस्ि 1894 को 1957 से 1967 के दौरान िीिी त्गरी उत्तर प्रदेश, केरल और वचत््मय वशि पुराण ग्रंथ का वकया वि्मोचन… ...
िओत्डशा के बरहमपुर त््जले में एक िेलगु भाषी पररिार में कना्ण्टक के राज्यपाल रहे। 1967 में िे देश के उप राष्ट्पत्ि
हुआ थिा। उनके त्पिा िकील और मां सामात््जक काय्णकिा्ण थिीं। चुने गए। 3 मई 1969 को ित्कालीन राष्ट्पत्ि ्जात्कर हुसैन के गी िा प्रेस के नाम में भी गीिा है और इसके काम में भी
उन्होंने प्राथित्मक और माध्यत्मक त्शक्षा बरहमपुर में ही पूरी की। त्नधन के बाद उन्हें काय्णिाहक राष्ट्पत्ि बनाया गया। 1969 गीिा है। और ्जहां गीिा है- िहां साक्षाि ककृष्ण हैं और गरीता प्रेस को गांधरी शांदत पुरेस्कारे
इसके बाद 1913 में िे कानून की पढ़ाई करने के त्लए यूत्नित्स्ण्टी में हुए राष्ट्पत्ि चुनाि में त्दलचस्प मुकाबला हुआ। ित्कालीन ्जहां ककृष्ण हैं- िहां करुणा भी है, कम्ण भी है। िहां वर््ष 2021 का गांिी ्शांनत पुिस्काि गीता प्रेस, गोिखपुि
कॉले्ज डबत्लन गए। इसी साल महात्मा गांधी से प्रभात्िि होकर िे प्रधानमंरिी इंत्दरा गांधी ने अपनी पा्टवी के सदस्यों से अपनी ज्ान का बोध भी है और त्िज्ान का शोध भी है। उत्तर प्रदेश के को नद्या ग्या है। गांिी ्शांनत पुिस्काि भाित सिकाि
समझ गए त्क आ्जादी की लड़ाई कानून की पढ़ाई से ज्यादा ्जरूरी अंिरात्मा की आिा्ज पर िो्ट देने की अपील की। इस चुनाि गोरखपुर में गीिा प्रेस की शिाब्दी समापन समारोह को संबोत्धि �ािा स्थानपत एक वानर््षक पुिस्काि है। वर््ष 1995 में
है। यह ्जानने के बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई से ज्यादा महत्ि में कांग्रेस पा्टवी ने नीलम सं्जीि रेड् डी को अत्धककृि उम्मीदिार करिे हुए प्रधानमंरिी नरेंद्र मोदी ने कहा, “1923 में गीिा प्रेस के िाष्ट्रनपता महात्मा गांिी की 125वीं ज्यंती के अवसि
स्ििंरििा संर्ष्ण को त्दया और पूण्ण रूप से भारिीय स्ििंरििा की बनाया थिा। हालांत्क, रेड् डी चुनाि हार गए और िीिी त्गरी रूप में यहां ्जो आध्यास्त्मक ज्योत्ि प्रज्ित्लि हुई, आ्ज उसका पि उनके आद्श� के प्रनत ��ांजनल स्वरूप इस
लड़ाई में कूद पड़रे। ्जब िे भारि िापस आए िो म्जदूर आंदोलन 50.2 फीसदी िो्ट पाकर देश के चौथिे और पहले त्नद्णलीय प्रकाश पूरी मानििा का माग्णदश्णन कर रहा है। हमारा सौभाग्य है पुिस्काि की स्थापना की गई थी।
में बढ़-चढ़ कर त्हस्सा लेने लगे। राष्ट्पत्ि चुने गए। िे 1974 िक इस पद पर रहे। त्किाब लेखन त्क हम सभी इस मानिीय त्मशन की शिाब्दी के साक्षी बन रहे
म्जदूर आंदोलन में सत्रिय भूत्मका के चलिे िीिी त्गरी में भी िीिी त्गरी की गहरी रूत्च थिी। उनके द्ारा त्लखी हुई हैं। इस ऐत्िहात्सक अिसर पर ही हमारी सरकार ने गीिा प्रेस को ही नहीं ्जुड़ी है, बस्ल्क इसका एक राष्ट्ीय चरररि भी है। देशभर में
ऑल इंत्डया रेलिे मेन्स फेडरेशन के अध्यक्ष बने। इसके बाद त्किाबें अत्यत्धक लोकत्प्रय रही हैं। गांधी शांत्ि पुरस्कार भी त्दया है।” महात्मा गांधी का गीिा प्रेस इसकी 20 शाखाएं हैं। देश के हर कोने में रेलिे स््टरेशनों पर हमें
1926 और 1942 में िे दो बार भारिीय ट्रेड यूत्नयन कांग्रेस 1974 में, भारिीय डाक और िार त्िभाग ने उनके सम्मान में से भािनात्मक ्जुड़ाि थिा। एक समय में, महात्मा गांधी कल्याण गीिा प्रेस का स््टॉल देखने को त्मलिा है।” गीिा प्रेस से 15 अलग-
के अध्यक्ष बने। िीिी त्गरी दो बार 1937 और 1946 में मद्रास एक स्मारक डाक त््टक्ट ्जारी त्कया। 1975 में भारिीय स्ििंरििा पत्रिका के माध्यम से गीिा प्रेस के त्लए त्लखा करिे थिे। अलग भाषाओं में करीब 1600 प्रकाशन होिे हैं और यह भारि के
ु
प्रेत्सडेंसी का श्म और उद्ोग मंरिालय संभाला। 1942 में भारि संग्राम और साि्ण्जत्नक मामलों में उनके योगदान के त्लए उन्हें महात्मा गांधी ने सुझाि त्दया थिा त्क कल्याण पत्रिका में मूल त्चंिन को ्जन-्जन िक पहंचािी है। प्रधानमंरिी मोदी गीिा प्रेस
छोड़ो आंदोलन के दौरान सत्रियिा के कारण उन्हें ्जेल भी देश के सिवोच् नागररक सम्मान भारि र� से सम्मात्नि त्कया त्िज्ापन न छापे ्जाएं। इस संस्थिा ने रा्जस्ि के त्लए कभी पररसर के लीला त्चरि मंत्दर भी गए और भगिान श्ी राम के त्चरि
्जाना पड़ा। बाि्जूद इसके िे सत्रिय बने रहे। देश को आ्जादी गया। त्दल का दौरा पड़ने के कारण 24 ्जून 1980 को चेन्नई भी त्िज्ापन का सहारा नहीं त्लया। गीिा प्रेस अपने संबद्ध पर पुष्पां्जत्ल अत्प्णि की। गीिा प्रेस एक िरह से ‘एक भारि, श्ेष््ठ
त्मलने के बाद िीिी त्गरी को श्ीलंका का उच्ायुक्ि त्नयुक्ि में उनका त्नधन हो गया। राष्ट्पत्ि द्रौपदी मुमु्ण ने त्पछले िष्ण 10 संग्ठनों के माध्यम से लोगों के ्जीिन के उत्तरोत्तर त्िकास और भारि’ की भािना का प्रत्ित्नत्धत्ि करिी है। गीिा प्रेस इस बाि का
त्कया गया। िह 1952 में पहली लोकसभा के त्लए चुने गये। अगस्ि को राष्ट्पत्ि भिन में पूि्ण राष्ट्पत्ि िीिी त्गरी को उनकी सि्ण्जन-कल्याण के त्लए प्रयास कर रही है। प्रधानमंरिी मोदी न े भी प्रमाण है त्क ्जब आपके उद्ेश्य पत्िरि होिे हैं, आपके मूल्य पत्िरि
1952 से लेकर 1954 िक उन्होंने श्म मंरिालय संभाला। ्जयंिी पर श्द्धां्जत्ल अत्प्णि की। n काय्णरिम में कहा, “गीिाप्रेस ्जैसी संस्थिा त्सफ्फ धम्ण और कम्ण स े होिे हैं िो सफलिा आपका पया्णय बन ्जािी है। n
6 न्ययू इंटडया समेाचार 1-15 अगस्त 2023 न्ययू इंटडया समेाचार 1-15 अगस्त 2023 7