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शकखसित         एम.एस. सुबबुलक्मी





        कना्थटक संगी्त की


        सर्र कोदकला






        महातमा गांधी ने एक बार कहा रा, “अगर
        सुबबुलक्मी “हरर, तुम हरो जन की भीर' इस
        मीरा भजन को गाने के बजाि बोल भी दें,

        तब भी उनको वह भजन िकसी और के गाने
        से अिधक सुरीला लगेगा। ” लता मंगेशकर

        ने ‘तपकसवनी’ तो बड़े गुलाम अली खां ने
        उनहें ‘सुरसवलक्मी’ कहा। संगीत साधना में
        ऐसा अमूलि िोगदान देने वाली एम. एस.

        सुबबुलक्मी को हम 11 िदसंबर को 16वीं
        पुणिितिर के अवसर पर नमन कर रहे हैं…




                          (जनम- 16 िसतंबर, 1916 मदुरै; मतिु- 11 िदसंबर, 2004 चेन्नई)
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                 नमलनाड के मदरै में 16 नसतंबर 1916 में जनमीं मदरै   नलए कट्तरबा फाउंडेशन में दान कर देतीं।
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                 षणमयुखवनडव सबबयुलक्मली कली परवररश एक ऐसे पररवार   वषया 1938 में नफलम ‘सेवासदन’ से अनभनर कली दयुननरा में
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         त में हई जहां बचपन से उनहें महान संगलीतकारों कली संगत   कदम रखा। 1945 में आई ‘भकत मलीरा’ समेत कई नफलमों में
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        हानसल हयुई। शारद रहली कारण था नक बचपन में देवकनरा के रूप   उनहोंने अनभनर नकरा। इस नफलम में गाए उनके भजन आज
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        में ‘कुजममा’ नाम से पकारली वालली सबबयुलक्मली का झकाव शाट्त्रलीर   भली  राद  नकए  जाते  हैं।  ‘भज  गोनवंदम्’,  ‘व्णम  जन  तो  तेन  े
                                                                                               ै
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        संगलीत कली तरफ हो गरा। रह उनकली साधना का हली असर था नक   कनहरे’,  ट्वतंत्र  भारत  के  पहले  भारतलीर  गवनयार  जनरल  सली.
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        उस समर तक परुष प्रधान माने जाने वाले कनायाटक संगलीत को   राजगोपालाचारली  कली  रचना  ‘कोराईओन  रूम  इललई’  और
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        सबबयुलक्मली के रूप में ट्वर कोनकला नमलली। उम्र कभली अनभवरस्कत   नव्णसहट्त्रनाम जैसे गलीतों को उनहोंने ट्वर लहरली दली हैं। महान
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        कली सलीमा तर नहीं कर सकतली, सबबयुलक्मली ने रह सानबत भली नकरा।   गानरका नकशोरली अमोनकर उनहें ‘आठवां सयुर’ कहतली थीं।
        मात्र 8 वषया कली उम्र में कुंभकोणम उतसव में उनहोंने मंच से अपनली   सबबलक्मली पहलली भारतलीर हैं, नजनहोंने सरकत रा्रि कली सभा
                                                                                              ं
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        पहलली प्रट्तयुनत दली तो 10 वषया कली आरयु में उनका पहला एलबम भली   में गारन कली प्रट्तयुनत दली। कनायाटक संगलीत का सववोच्च परट्कार
                                                                                                        यु
        आ गरा। इसली उम्र में उनहोंने मद्रास संगलीत अकादमली में दानखला   संगलीत कलानननध हानसल करने वालली भली वह पहलली मनहला हैं।
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        नलरा। अभली तक नसफ्क कन्नड़ में गाने वालीं सबबयुलक्मली ने रहीं से   वषया 1974 में उनहें रैमन मैगससे पयुरट्कार भली नमला। संगलीत में
        दूसरली भाषाओं में गाने कली शरुआत कली।                उनके अनमट रोगदान के नलए भारत सरकार ने वषया 1954 में
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           रह वो वकत था जब भारत गयुलामली कली जंजलीर तोड़ने के नलए   उनहें पद्मभूषण और वषया 1998 में भारत रत्न से नवाजा। भारत
        संघषया कर रहा था। सबबलक्मली कहां इसमें पलीछे रहने वालली थीं।     रत्न से नवाजली जाने वालली वह पहलली संगलीतकार थीं। 2019 में
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        पनत सदानशवम के साथ उनहोंने भली ट्वतंत्रता संघषया में रोगदान   उनके जनम शताबदली वषया के अवसर पर केंद्र सरकार ने उनके
        नकरा। संगलीत से जो कमाई होतली, उसे आजादली कली लड़ाई के   सममान में नसकका भली जारली नकरा है।  n
                                                                                              न्यू इंडिया समाचार  9
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