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शबखसयत: डॉ. सीवी रमन



                                                                       डॉ. सीिी ररन

                                                      दिज्ान का नोबेल जीतने



                                  जनर: 7 निंबर 1888
                                  रृृतयु 21 निंबर 1970        िाले पहले भारतीय





        वष्ष 1930 का भारत के इनतहास में नवशेष सथान है। एक तरि भारत का सवतंत्ता आंदोिन व दांडी यात्ा से भारत के जन गण
        को मजबूती नमि रही थी, दूसरी तरि खुिे आसमान में एक भारतीय सूय्ष का उदय हुआ नजसकी चमक आज भी देश और
        दुननया को प्रकानशत कर रही है। डॉ. सीवी रमन, नवज्ान का नोबेि पुरसकार हानसि करने वािे पहिे भारतीय बने। प्रकाश के
        प्रकीण्षन पर आधाररत उनकी खोज ‘रमन प्रभाव’ ने नवज्ान के प्रनत भारत के िोगरों का नजररया ही बदि नदया।


        मुब्कि हािात में हार न मानें...
        तनमलनाडु के नतरुनचरापललली में जनमे चंद्रशेखर वेंकटरमन बचपन
        से हली प्रनतभाशालली ्े। लोगों ने नपता को सलाह दली नक रमन को पढ़ने   जब नोबेि पुरसकार की घोषणा की गई थी तो मैं
                                                                                                    े
        के नलए नवदेश भेजें। लेनकन एक नरिनटश डॉकटर ने खराब ट्वाट््थर के   ने इसे अपनी वयबकतगत नवजय माना। िनकन
        चलते उनहें नवदेश जाने से मना नकरा। रमन मजबूर ्े, देश में शोध   जब मैंने उस खचाखच हॉि में पब्चमी चेहररों
        को लेकर सयुनवधाएं कम ्ीं। लेनकन रमन देश में पढ़े। नतलीजा मात्र 12   का समुद्र देखा और मैं, केवि एक ही भारतीय,
        साल कली आरयु में मैनरिक परलीक्ा पास कली तो 18 कली उम्र में उनका शोध   अपनी पगड़ी और बंद गिे के को् में था, तो मुझे
        पत्र लंदन कली मशहूर ‘नफ़लॉसनफ़कल पनत्रका’ में प्रकानशत हआ।  िगा नक मैं वासतव में अपने िोगरों और अपने देश
                                                   यु
        अपने जुनून को पूरा करें...                               का प्रनतनननधतव कर रहा हूं।  -डाॅ. सी.वी. रमन
        बलीए में गोलड मेडल हानसल करने के बाद रमन ने गनणत से एमए
        नकरा। नरिनटश सरकार विारा आरोनजत परलीक्ा में प्र्म ट््ान प्रापत कर
        कोलकाता में अनसट्टट अकाउंटेंट जनरल के पद पर बैठे। लनकन अचछली   खुद पर भरोसा रखें...
                      ें
                                                े
        तनखवाह के सा् आराम से बैठने के बजार शोध करने कली ठानली, घर    28 फरवरली 1928 को डॉ. सलीवली रमन ने रमन प्रभाव के सफल प्ररोग
                                           ं
        पर हली प्ररोगशाला बना डालली। कोलकाता में हली इनडरन एसोनसएशन   के बारे में दननरा को बतारा। उनहोंने बतारा नक जब प्रकाश कली नकरणें
                                                                     यु
        फॉर कलटलीवेशन ऑफ साइंस कली प्ररोगशाला में भली काम नकरा।  नकसली जगह से गजरतली हैं तो उनमें से जरादातर कली वेवलैं् एक समान
                                                                         यु
        नजज्ासु बनें                                         हली रहतली है। लेनकन कहीं-कहीं पर इसमें बदलाव नदखाई देता है। रह
        विया 1917 में आराम कली नौकरली छोड़ रमन कोलकाता नवशवनवद्यालर में   बदलाव उसके अंदर मौजूद अणओं कली सरंचना के बारे में बताता है।
                                                                                    यु
        भौनतकली के प्रोफेसर बने। विया 1921 में ऑकसफोड्ट से नवशवनवद्यालरों   इस पररवतयान को ट्कैनर कली मदद से ग्ाफ के रूप में ररकॉड्ट नकरा
        कली कांग्ेस में नहट्सा लेकर भारत लौट रहे ्े तो जहाज के डेक पर खड़े   जाता है। इसके बाद इसके नवशलेिण के जररए उस चलीज के बारे में
        रमन ने भूमधर सागर के गहरे नलीले पानली को देखा। नजज्ासा उठली तो   जानकारली हानसल कली जातली है। रह पता लगारा जा सकता है नक कौन
        लौटकर इसली पर शोध नकरा नक ननजवीव वट्तओं में प्रकाश के प्रकलीणयान   सली घटना कब और कैसे हई? भारत के चंद्ररान 1 से जब चंद्रमा कली
                                                                                यु
                                       यु
        (नबखरने) का प्रभाव करा है? इसली से ‘रमन प्रभाव’ कली खोज हई।  सतह पर पानली के सबूत नमलने कली घोिणा हई तो इसके पलीछे रमन
                                                                                             यु
                                                    यु
        िक्य की ओर एकाग्ता...                                ट्पैकरिोट्कोपली का हली कमाल ्ा। कहा जाता है नक अपनली इस खोज पर
                                                                                        यु
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        रमन जो भली प्ररोग करते उसे अंजाम तक पहंचा कर हली छोड़ते।   रमन को इतना भरोसा ्ा नक नोबल परट्कार समारोह के चार महलीने
                                                                                   यु
        भौनतकली के प्ररोगों में वाद्य रंत्र के प्रभाव का अधररन इतना गहरा ्ा   पहले हली उनहोंने अपना नटकट बक करा नलरा ्ा। विया 1930 में उनहें
                                                                            यु
        नक विया 1927 में जमयानली में छपे बलीस खंडों वाले भौनतकली नवशवकोश   भौनतकली का नोबेल परट्कार नदरा गरा। संरयुकत राषरि ने उनहें लेननन
                                                                  यु
        के 8वें खंड का लेख रमन से हली तैरार करारा गरा ्ा। इस कोश   शांनत परट्कार से सममाननत नकरा। विया 1954 में डॉ. रमन को भारत
        को तैरार करने वालों में रमन हली ऐसे ्े, जो जमयानली के नहीं ्े।   रत्न से सममाननत नकरा गरा। 28 फरवरली को उनके जनम नदन के
                                                             अवसर पर हर विया राषरिलीर नवज्ान नदवस मनारा जाता है। n


                                                                                              न्यू इंडिया समाचार  29
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