Page 43 - NIS Hindi 2021 November 1-15
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भारत     आजादी किा
                                                                                                   अमृत महोतिव


                   देशभककत कवी अलख जगसाने के नलए



                   नबनपन चंद्र पसाल ने नलयसा क्सांनत कसा ्सहसारसा




                                                                                 जनम : 7 नवंबर 1858, मृतयु : 20 मई 1932








                                                                                 सबसपन चंद्र पाल

                                                                                 ने सवदेशी, गरीबी
                                                                                 उ्मूलन और सशक्ा किे

                                                                                 सलए खूब किाम सकिया।
                                                                                 अपने जीवनकिाल में

                                                                                 उ्होंने किई अखबार

                                                                                 भी सनकिाले।








                  रतीय सवाधीनता आंदोलन की रूपरेखा तैयार करने में   गरम दल का माना जाता था जो भारत में रिांट्तकारी गट्तट्वट्धयों
                 प्मुख भूट्मका ट्नभाने वाली लाल-बाल-पाल की ट्तकड़ी   को अंजाम देने में ट्वशवास रखते थे। वे असहयोग आंदोलन जैसे
        भामें से एक ट्बट्पन चंद्र पाल राष्रिवादी नेता होने के   ट्वरोध और अट्हंसावादी ट्वरोध के तौर-तरीकों के सखत ट्खलाफ थे।
        साथ-साथ ट्िक्क, पत्रकार, लेखक और एक कुिल वकता भी थे।   उनहोंने एक ट्वधवा मट्हला से िादी की थी और उस समय यह प्था
        इतना ही नहीं, उनहें भारत में रिांट्तकारी ट्वचारों का जनक भी माना   चलन में नहीं होने के कारण उनहें अपने पररवार तक का भी ट्वरोध
        जाता है। 7 नवंबर 1858 को वतमामान बांगलादेि के ट्सलहेट ट्जले   झेलना पड़ा था। उनहोंने देि में सवदेिी वसतुओं के प्योग और
        के पोइली गांव में जनमे ट्बट्पन चंद्र पाल बचपन से ही रिांट्तकारी   ट्वदेिी वसतुओं के बट्हष्कार की नीट्त अपनाई थी। यही कारण है
        और साहसी वयस्कत थे। ऐसा कहा जाता है ट्क रिह्समाज में   ट्क उनहोंने सवदेिी, गरीबी उनमूलन और ट्िक्ा के ट्लए खूब काम
        रहते हुए वह केिव चंद्र और ट्िवनाथ िासत्री के बेहद करीबी   ट्कया। 1907 में जब अंग्रेजों ने बाल गंगाधर ट्तलक को ट्गरफतार
        बन गए थे। ट्बट्पन चंद्र पाल 1886 में कांग्रेस में िाट्मल हुए और   कर ट्लया तो ट्बट्पन चंद्र पाल इंगलि चले गए और वहां जाकर
                                                                                      ैं
        अंग्रेजों ने जब 1905 में बंगाल का ट्वभाजन ट्कया तो लाला लाजपत   इंट्िया हाउस के साथ जुड़ गए। अपने जीवनकाल में उनहोंने
        राय, बाल गंगाधर ट्तलक, ट्बट्पन चंद्र पाल के नेतृतव में एक ऐसा   कई अखबार भी ट्नकाले ट्जनमें पररदिमाक (बंगाली सा्ताट्हक,
        रिांट्तकारी गुट बना, ट्जसने इस ट्वभाजन का जमकर ट्वरोध   1886), नयू इंट्िया (1902, अंग्रेजी सा्ताट्हक) और वंदे मातरम
        ट्कया। इस आंदोलन में इनहें जनता का भी भरपूर साथ ट्मला।   (1906, बंगाली दैट्नक) सबसे प्मुख रहे हैं। उनहेंने सवराज नामक
                                                                                                     ै
        आंदोलनकाररयों की मुखय गट्तट्वट्धयों में अंग्रेजी कपड़ा और   पट्त्रका की सथापना भी की थी। बंट्कम चंद्र चटजजी के अप्ल 1894 में
        उनके बनाए गए सामानों का दहन और बट्हष्कार िाट्मल था।   ट्नधन के 12 वर बाद ट्बट्पन चंद्र पाल ने एक राजनीट्तक पट्त्रका
                                                                        मा
        इसके अलावा फैस्करियों में तालाबंदी और हड़ताल के माधयम से भी   ट्नकालनी िुरू की और उसका नाम उनहोंने वंदे मातरम् रखा था।
        उनहोंने ट्रिट्टि वयवसाय को नुकसान पहुंचाने का सफल प्यास   20 मई 1932 को ट्बट्पन चंद्र पाल का ट्नधन हो गया। केनद्र सरकार
        ट्कया था। इन आंदोलनों के दौरान ट्बट्पन चंद्र पाल कई प्ट्तस्ष््त   उनके ट्दखाए सवदेिी, गरीबी उनमूलन और ट्िक्ा के रासते पर
        और चट्चमात बंगाली नेताओं के संपक्क में आए। इन नेताओं को   अथक और ट्नरंतर चलने का प्यास कर रही है।



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                                                                                       ं
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