Page 46 - NIS Hindi 2021 November 1-15
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वयल्ततव    आचाय्ष जेबी
                   किकृपलानी

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          लोकितत्    कि ‘आचाय्ष’
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         िार् की लोक्ांभत्क परंपरा आज भजस स्मृद्ध रूप ्में दुभनया को राह भदखा रही है
         इस्में बड़ा योगदान उन ्महान भविभ्यों का िी है, भजनहोंने आजादी के वक् इसकी
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         नींव राली और अपने जीवन पर इसके सच् वाहक बने रहे। ऐसी भविभ् भजनहोंने
         देश की आजादी ्में ्ो अह्म योगदान भदया ही, आजादी के बाद शीर पर हो्े हुए
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         िी न पद का ्मोह भकया, न सत्ा का, बश्क एक सच् सेवक के रूप ्में िार्ीय
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         लोक्ांभत्क परंपरा को शीर पर पहुंचाने के भलए सव्भसव नयौ्छावर कर भदया।
         आचाय्भ जीव्टरा्म िगवानदास कृपलानी इनहीं ्महान भविभ्यों ्में से एक हैं…।
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                     जन्म: 11 नवंबर 1888, ्मृतयु: 19 ्माच्भ, 1982

                  चार जेबली कृपलानली का नाम आज कली पलीढली के नलए
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                  सामा्र ज्ान के उस प्रश्न में नसमट कर रह गरा है,
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       आ नजसके उत्तर में आजादली के वकत 1947 में कांग्स अधरक्       आचाय्भ कृ्लािी को राष्ट्र की प्रगनत ्में
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        के रूप में उनका नाम नलरा जाता है। लनकन इस प्रश्न के इतर उनका   अनवितीय और अिुकरणीय योगदाि के नलए
        जलीवन, आचार, नवचार और वरवहार कहीं वरापक और जलीवटता का   याद नकया जाता िै। उनिोंिे युवाओं और गरीब
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        मागया नदखाने वाला है। नवशरकर जब देश आजादली के 75वें वर में अपन  े  तबके के लोगों को सशकत बिािे के प्रनत
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        महानारकों को ट्मरण कर रहा है, आचार कृपलानली और जरादा प्रासनगक   अ्िे आ् को स्मन्त कर नदया ्ा।
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        हो जाते हैं।
          हैदराबाद(नसंध) के एक मधरमवगमीर पररवार में 11 नवंबर 1888 को      - िरेंद्र ्मोदी, प्रधाि्मंत्ी
        ज्म जेबली का पूरा नाम जलीवटराम भगवानदास कृपलानली था। नसंध में हली
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        ट्कलली नशक्ा के बाद जेबली ने आगे कली पढाई बॉमब के नवलसन कॉलेज में   सचेता कृपलानली से नववाह नकरा, जो आगे चलकर उत्तर प्रदेश कली पहलली
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        कली। कहा जाता है नक पढाई करते-करते रहीं उ्ह इस्गलश कनवताओं स  े  मनहला मयुखरमत्रली बनीं। दािली रात्रा से लेकर, सनवनर अवज्ा आंदोलन,
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        नजतना ्रार हआ, उतनली हली अंग्जों से नफरत ने भली ज्म नलरा। उस वकत   भारत िोड़ो आंदोलन से नोआखोलली के दंगों तक हमेशा वे गांधलीजली के साथ
                                                                               े
        बंगाल नवभाजन ने उनके भलीतर इस भावना को और बढारा तो कॉलेज न  े  रहे। आजाद भारत में वे कांग्स के पहले अधरक् बने। नवंबर 1947 में पं.
        उ्ह कराचली के िलीजे नसंध कॉलेज में भेज नदरा। पयुणे के फगरसन कॉलेज   जवाहरलाल नेहरू से मतभेद के चलते उ्होंने इस पद से इट्तलीफा दे नदरा।
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        से उ्होंने एमए नकरा। 15 अप्रल 1917 को जब महातमा गांधली चंपारण   1950 में आचार कृपलानली नफर कांग्ेस अधरक् पद के नलए खड़ हयुए,
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        में सतराग्ह के नलए जाने को मयुजफफपर रेलवे ट्टेशन पर उतरे तो आधली   लनकन इस बार परुरोत्तम दास टंिन ने उ्ह हरा नदरा। उ्होंने कांग्स के
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        रात को ट्टेशन पर उनका ट्वागत करने वाले शखस जेबली कृपलानली हली थे।   सदट्र पद से इट्तलीफा दे नदरा और नकसान मजदूर प्रजा पाटमी कली ट्थापना
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        जेबली तब मजफफरपर के निग्ली कॉलेज में इनतहास के प्रोफेसर थे। बापू स  े  कली। कुि समर बाद इनकली पाटमी भारत कली समाजवादली पाटमी में शानमल हो
        संपक्फ हआ तो आजादली कली वरषों पयुरानली वो आग जेबली के नदल में नफर घर   गरली और एक नरली पाटमी बनली नजसका नाम प्रजा समाजवादली पाटमी रखा गरा।
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        कर गई। रह उनके जलीवन के नए अधरार कली शयुरुआत थली। चंपारण स  े  1952, 1957, 1963 और 1967 में वे चार बार लोकसभा के सदट्र चन  े
                                                                           ं
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        शरू हयुआ रह नसलनसला बापू के अन्र साथ तक चलता रहा। 1919   गए। भारत कली लोकतानत्रक परमपराओं के इनतहास में आचार कृपलानली का
                                                                                                            ं
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        में जरूर वे कुि समर के नलए बनारस नहंदू नवशवनवद्ालर में रहे लनकन   नाम इसनलए भली नलरा जाता है करोंनक वह पहले वरस्कत थे जो प्रधानमत्रली
        इसके बाद 1920 से 1927 तक उ्होंने महातमा गांधली द्ारा ट्थानपत   नेहरू के नखलाफ अनवशवास प्रट्ताव लेकर आए थे। इससे पहले कभली
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        गजरात नवद्ापलीठ के प्राचार कली नजममदारली संभालली। रहीं से उनके नाम   नकसली नवपक्ली नेता ने इस बारे में सोचा तक नहीं था। इस अनवशवास प्रट्ताव
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                                                                         या
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        के साथ ‘आचार’ जयुड़ गरा। गयुजरात से लेकर महाराष्रि तक गांधलीजली के   को संसद में आचार कृपलानली ने चलीन का रयुधि हारने के बाद पेश नकरा था।
                                                                                             ं
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        कई आश्मों कली नजममदारली उ्हीं के ऊपर रहली। 1928 में मोतलीलाल नेहरू   कहा जाता है नक पनित नेहरू के बाद कृपलानली इनदरा गांधली के भली उतने हली
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        कांग्स के अधरक् बने तो जेबली महासनचव बनाए गए। 1936 में उ्होंन  े  नवरोधली थे, नजतने जेपली और राम मनोहर लोनहरा थे।
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          44  न्यू इडिया समाचार | 1-15 नवंबर 2021
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