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आिरण कथा




                     विकगसत, संररक्त और पुनर्ा्षवपत



                                           े
                                       ै
                     हो रही ह दश में आध्ात्मिक कवरासत

























                                    रववादों ्से भरे 492 वरषों   काशी रवशवनाथ
                                    के बाद आरखरकार राम          कॉररडोर रवकर्सत हो          काशी
                राम मंददर           जनमभूरम पर राम मंरदर        ग्ा है। 2017 तक मरदर
                                                                                 ं
                 अयोध्ा             का रनमा्ष् हो रहा है        के आ्सपा्स बहुत ्संकर  े  विश्वनाथ
                                    रज्सका रशिान्ा्स पीएम       रासत थे िरकन अब रदव्      कॉररिोर
                                                                    े
                                                                        े
                                    मोदी ने रक्ा था।            और भव् काशी बन गई
                                                                है।








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                                                          ं
                                         पण्षता तक पह्चेगी योििाए           ं
                                           ू
            आजादी के सवलण्यम काि में हमें पमूण्यता तक जािा है। शत-प्रलतशत गांवरों में सड़के हरों, शत-प्रलतशत परिवािरों के बैंक अकाउंट हो, शत-प्रलतशत
           पात् िाभाल््यर्रों के पास आर्ष्माि भाित का काड्ट हो, शत-प्रलतशत पात् वर्शकतर्रों के पास गैस, लबजिी किेकशि हो। प्र्धािमंत्ी ििेंद्र मोदी िे एक
                             ु
           कार्क्म में कहा ्ा, अमृतकाि का र्े समर्, सोते हुए सपिे देखिे का िहीं बशलक जागृत होकि अपिे संकलप पमूिे कििे का है। आिे वािे 25
              ्य
            साि, परिश्म की पिाकाष्ठा, तर्ाग, तप-तपसर्ा के 25 वि्य हैं। सैकड़रों वियों की गुिामी में हमािे समाज िे जो गंवार्ा है, र्े 25 वि्य का कािखंड,
                  उसे दोबािा प्रापत कििे का है। इसलिए आजादी के इस अमृत महोतसव में हमािा धर्ाि भलवष्र् पि ही केंलद्रत होिा चालहए।





        हैं। रे उन ट्वतंत्रता सेनाननरों के सपनों को भली पूिा किने का प्ररास   ननस्शचत तौि से जब  नकसली देश के नागरिक सबका प्ररास
        है, भाित को उस ऊंचाई पि पहुंचाने का प्ररास है, नजसकली इच्ा   कली भावना के साथ, जनभागलीदािली कली भावना के साथ िाषरिलीर
        िखते हुए अनेकों वलीिों ने फांसली के फंदे को गले लगा नलरा था,   संकलपों  को  नसद्  किने  में  जुट  जाते  हैं  तो  उनहें  दुननरा  कली
        अपना जलीवन काल को्ठिली में नबता नदरा था।”            बड़ली-बड़ली शस्कतरों का भली साथ नमलने लग जाता है। आज दुननरा




          34  न्यू इंडि्ा समाचार   1-15 अगस्त 2022
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